जनता से वित्तपोषित, UPI, PhonePe, और PayTM: 9219129243

हरदुआगंज नगर पंचायत से चुनावी परिक्रमा# नेता जी से ज्यादा तो सोनपापड़ी वफादार निकली

0


अलीगढ़ मीडिया डॉट कॉम, इलेक्शन डेस्क। सोनपापड़ी तो आपने खूब खाई होगी, पर हरदुआगंज की सोनपापड़ी की बात ही कुछ और है। कस्बा में देशी घी में सोनपापड़ी का बनना ही खासियत नहीं.....पांच साल पहले चुनाव जिताने में सोनपापड़ी ने जो भूमिका निभाई उसकी चर्चा खास है। .....

रविवार सुबह से ही सूर्यनारायण पूरे ताव पर थे, बावजूद इसके कस्बे में राजनीतिक रंग चटख नजर आया। मुख्य चौराहों पर मौसम से ज्यादा चुनावी चर्चा गरम थी। चौराहे से लेकर चाय की दुकानों तक लोग चुनावी चर्चा करते देखे जा सकते हैं। रविवार को थाना चौराहे पर बबलू की दुकान पर चाय की चुस्की लेते लोगों में चुनावी बहस छिड़ी हुई थी। सभी के अपने अपने तर्क और आकड़े थे। वहां की चर्चा में सरकार द्वारा निश्शुल्क राशन मिलने की खुशी लोगों की बातों में झलकती दिखी तो बीते पांच साल में विकास के मामले में कुछ खास न होने का दंश भी था।

चुनावी चर्चा में मगशूल अहीरपाड़ा के भूपेंद्र सिंह का कहना था कि आज सब उम्मीदवार खुद को समाजसेवी, कर्मठ, जुझारू गरीबों के हमदर्द बता रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद इनकी कर्मठता लापता हो जाती है। उन्होंने तर्क दिया कि पांच साल तो दूर की बात है, चार माह पहले जनवरी-फरवरी में चुनाव होने की चर्चा के दौरान नेता नए कुर्ते पहनकर वोटरों को लुभाने निकल पड़े थे, तभी कोर्ट के आदेश पर चुनाव टले तो सब गायब हो गए, इस बात से यहां के श्याम भारद्वाज व तरूण कुमार भी सहमत थे।

रामघाट रोड पर थोड़ आगे बढऩे पर मिले गिरधारीलाल वर्मा मिल गए उन्होंने अपने घर के बाहर बैठे गौवंशो के झुंड की ओर इशारा करते हुए कहा कि इनसे हादसे का डर रहता है। इनकी हां में हां मिलाते हुए भरत सिंह ने कहा कि अबकी नेता आएंगे तो उनसे यही सवाल करेंगे कि इनसे निजात कब मिलेगी। अनिल चौधरी ने कहा कि हम बहुत पहले से नगर में खेल मैदान की मांग उठा रहे हैं। खिलाड़ी लडक़े-लडकियां तालानगरी से अलीगढ़ तक दौड़ लगाने जाते हैं। ना ही टहलने को कोई पार्क ही है। प्रमोद कुमार महाकवि नाथूराम शंकर को याद करते हुए बोले कि कुछ लोगों ने उनके नाम पर खूब वाही-वाही लूटी मगर किया कुछ नहीं..यहां उनके नाम पर स्मारक व पुस्तकालय बनता तो आने वाली पीडिय़ां महाकवि से प्रेरित होकर साहित्य के क्षेत्र में भी नाम कमातीं।

हमारी बाइक बगीची रोड पर पहुंची तो यहां मंदिर व सरकारी भवन, बोर्डों पर उम्मीदवारों के पोस्टर लगे थे। वहां मिले गजेंद्र यादव चार-पांच युवकों के साथ चुनावी चर्चा करते दिखे, जो अपने-अपने प्रत्याशियों की खूबियां बताकर जीत का दावा कर रहे थे मगर विकास का मुद्दा यहां की चर्चा से गायब था।  

हम मुख्य बाजार से होकर हनुमानगढ़ी रोड पर पहुंचे वहां एक बंद दुकान के आगे ताश खेलते युवाओं में चुनाव की ही चर्चा छिड़ी थी, वहां बैठे मुकेश कुमार बीते पांच साल में हुए कामों का आंकड़ा गिनाते हुए कहने लगे कि इस बार वोट सोचसमझकर ईमानदार प्रत्याशी को देंगे। पिछली बार सोनपापड़ी व गिफ्ट बांट कर वोट ले गए, फिर पांच साल नहीं दिखे, वादे-वादे ही रह गए। लोकेंद्र कुमार भी हां-हां मिलाते हुए फोन में सेव कर रखी अखबार की पुरानी खबरों को सबूत के तौर पर दिखाकर बीते सालों में हुए विकास कार्यो पर उठे सवालों को गिनाने लगे, इसी बीच नत्थी सिंह बोल पड़े कि करोड़पतियों को आवास का लाभ मिला में आज तक में तिरपाल टांगकर रह रहा हूं, कोठियों वाले पीएम आवास योजना में डंक न मारते तो गरीबों के काफी पहले मकान बन गए होते। पास ही खड़े अजय कुमार तो चुटकी लेते हुए यहां तक कह गए कि नेता जी से ज्यादा तो सोनपापड़ी वफादार निकली, लोगों ने खाकर मूंह मीठा किया तो वोट भी दिया, मगर नेता जी कड़वा अनुभव दे गए।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)