चुनौतियां कम नहीं है देश के प्रत्येक हिंदू नौजवान को शिवाजी बनना होगा

Aligarh Media Desk


अलीगढ मीडिया डिजिटल, न्यूज़ ब्यूरो,अलीगढ़| बुधवार को महानगर के आगरा रोड स्थित ड्रीम पार्क में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यारोहण दिवस को हिंदू साम्राज्य दिवस के रूप में मनाया गया और उपस्थित बजरंगबल पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं ने आजीवन शिवाजी राजे के आदर्शों का निपालन करते हुए धर्म समाज और संस्कृति हेतु अपना सर्वस्व बलिदान का संकल्प लिया।

     कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बजरंगबल संयोजक गौरवशर्मा ने कहा कि शिवाजी का जीवन चरित्र आज भी सभी राष्ट्रवादियों के लिए आज भी प्रेरणा का श्रोत है, हम सबको अपने क्षुद्र जातिगत मतभेद भुलाकर स्वयं को सभी प्रकार के नहीं से दूर रखना होगा तथा योग व्यायाम को अपने जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाना होगा। उन्होंने कहा की जो परिस्थितियां छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी आज परिस्थितियां उनसे कम भयानक नहीं है, भले ही केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार है फिर भी हमें राष्ट्र और संस्कृति के लिए अपने सर्वोच्च बलिदान को तत्पर रहना होगा।

       इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में अपना उद्बोधन देते हुए बजरंगबल के संरक्षक अशोक चौधरी ने कहा कि भारत वर्ष में छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा किए गए संघर्षों के कारण आज से 350 वर्ष पूर्व औरंगजेब के शासन में हिंदुओं का बलात धर्मांतरण रुका, भारत के बड़े भूभाग में मंदिरों का ध्वंस बंद हुआ गौहत्या बंद हुई और हमारी मां बहनें अपमान व अत्याचार से बच सकी।    उन्होंने कहा कि अपने जीवन के 35 वर्ष निरंतर छत्रपति शिवाजी महाराज युद्धरत रहे और मराठा  साम्राज्य की नींव मजबूत करते रहे। 



     छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रमुख युद्धों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने महज 16 साल की उम्र में तोरणा किले पर कब्जा करके अपना सैन्य अभियान शुरू किया। 1646 ई.रायगढ़ का युद्ध में आदिलशाही सल्तनत के जनरल मुल्ला अली को पराजित किया। 1647 ई. में तोरणा की लड़ाई में आदिलशाही सेना को हराया। तंजावुर की लड़ाई 1656 ई. में मदुरै के 'नायक राजा' से जीती। 1657 ई. में कल्याण की लड़ाई मराठा साम्राज्य के छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल सेना के बीच हुई और छत्रपति शिवाजी विजयी हुए। प्रतापगढ़ का युद्ध 1659 ई. में आदिलशाही सेनापति अफजल खान के मध्य हुआ । जिसका बहुत चतुराई से शिवाजी ने वध कर दिया। अफ़ज़ल खान जैसे शक्तिशाली सेनापति के वध के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज की सैन्य लोकप्रियता पूरे भारत में बढ़ गई। पवन खंड की लड़ाई 1660 ई. में मराठा साम्राज्य के छत्रपति शिवाजी महाराज के सेनापति बाजी प्रभु देशपांडे और आदिलशाही सेना के जनरल सिद्दी मसूद के बीच लड़ी गई थी और इस युद्ध में विजय प्राप्त की।


      उन्होंने आगे बताया कि 1664 ई. में सोलापुर की लड़ाई मराठा साम्राज्य के छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेना के बीच लड़ी गई जिसमें छत्रपति जीते। 1665 ई. में पुरंदर किले में मराठा साम्राज्य के छत्रपति शिवाजी महाराज और आमेर महाराजा जय सिंह प्रथम के बीच संधि हुई। जिसे इतिहास में पुरंदर की संधि के नाम से भी जाना जाता है। इसका उद्धेश्य छत्रपति शिवाजी महाराज मुग़ल सम्राट औरग़ज़ेब के बीच चल रहे संघर्ष को समाप्त करना था। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त शिवाजी राजे ने अनेक युद्ध लड़े और जीते वह गुरिल्ला युद्ध में पारंगत थे और उन्होंने भरता में नौ सेना की नींव भी डाली थी। उन्होंने कहा कि आज भी हिंदुओं के समक्ष चुनौतियां कम नहीं है देश के प्रत्येक हिंदू नौजवान को शिवाजी बनना होगा। 


       इस अवसर पर प्रमुख समाज सेवी रवि राठी ने कहा कि आज यह अत्यंत आवश्यक है सभी राष्ट्रवादी  समाज का एकत्रीकरण करें, सशस्त्रीकरण करें,  राजनीति का शुद्धिकरण और संस्कृति का अंगीकरण करें , तभी इस संकट से छुटकारा सम्भव है, क्योंकि छत्रपति शिवाजी और गुरु गोविन्दसिंह की तरह  राजसत्तायें सदैव संस्कृति - धर्म व समाज की रक्षा नहीं करती। एक विशेष तथ्य हम सभी को आज के पवित्र अवसर पर समझना होगा कि सरकारों के भरोसे और अति ईश्वरवादी दर्शन से समाज संस्कृति का रक्षण असंभव है।

      कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, कार्यक्रम का संचालन बजरंगबल के महानगर महामंत्री मोनू पंडित ने किया। इस अवसर पर रवि राठी  रितेश वर्मा  मोनू पंडित  रितेश वर्मा महानगर  धन्यजय शर्मा  जतिन कुमार संदीप कुमार नीरज पंडित रमाकांत  हर्ष वर्मा सुनील कश्यप सुनील कुमार आशु सक्सेना अजय ठाकुर गुलशन ठाकुर दीपक कुमार गगन राजपूत अभिषेक शर्मा गोपाल माहौर गौरी पाठक आशीष गुप्ता चिराग वार्ष्णेय राजा बाबू नितिन बाबू राहुल गुप्ता रितिक गुप्ता रोहित वार्ष्णेय सतीश मूर्ति सुनील कुमार राहुल देव संदीप शर्मा रामू माहौर सचिन कश्यप अमित शर्मा सहित सैकड़ों बजरंगी उपस्थित रहें।