"भारतीय ऋषी परंपरा और शिक्षा संस्कृति" पुस्तक का लोकापर्ण एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन

Chanchal Varma
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 श्रेष्ठ शिष्य का निर्माता होता है उत्कृष्ट शिक्षक :

-जीटी रोड स्थित पीएचसी बन्ना देवी के समीप काव्य गोष्ठी का आयोजन


अलीगढ मीडिया डिजिटल, कार्यालय संवाददाता । शहर के जीटी रोड स्थित पीएचसी बन्ना देवी के समीप एक आवास पर भारतीय ऋषि परंपरा और शिक्षा संस्कृति पुस्तक का लोकापर्ण एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन शनिवार को किया गया। जिसमें साहित्याकारों और कवियों ने अपनी रचना प्रस्तुत कर सभी को भाव- विभोर कर दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. शुभदा पांडेय ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पण कर शुभारंभ किया।  उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट शिक्षक ही श्रेष्ठ शिष्य के निर्माता होता हैं। हमारी प्राचीन शिक्षा रोजगार नहीं परोपकार से अपनी पाठशाला आरंभ करती थी। छात्र पुस्तकों से अधिक गुरूजनों से सीखते थे। जब वशिष्ठ जैसे गुरू होते हैं, तभी राम जैसे वैश्विक व्यक्तित्व के शिष्य होते थे। मुजीब साहब ने कहा कि यह पुस्तक सही समय पर छात्रों के सर्वांगीण विकास की पौराणिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान में शैक्षिक दर्शन की अवधारणा स्पष्ट करती है। 

अलीगढ़ विश्व विद्यालय के जानी सर ने कहा कि शिक्षा से हमारा वैचारिक परिमार्जन होता है, और इस दिशा में यह कृति और ॠषियों के विचार आज के समय में सर्वोपरि लाभदायी हैं। प्रखर समीक्षक डॉ. राजेश सिंह ने सनद कुमार और नारद और के पौराणिक संवाद से शिक्षा, ज्ञान, वाणी, प्राण और मानवीयता की परिभाषाएं रखते हुए शिक्षा को आत्मोत्सर्ग का विधान बताया। देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि इन पुस्तकों की आज समाज में महती आवश्यकता है, भारत के विश्व गुरू की  प्रमाणिकता इन्हीं  ॠषि- मुनियों के ज्ञान और त्याग की शिक्षा- प्रणाली से श्रेष्ठ है। इस मौके पर ओम  वार्ष्णेय, डॉ. दौलतराम शर्मा, दिनेश चंद्र शर्मा, डॉ. राजेंद्र वार्ष्णेय, डॉक्टर इंद्रा गुप्ता गाफिल स्वामी, चाचा रसखान मौजूद रहे।


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