फ्रांसिस डब्ल्यू प्रिटचेट और गालिब इंस्टीट्यूट सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार के लिये चयनित

Chanchal Varma
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अलीगढ मीडिया डिजिटल, अलीगढ़| अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रशंसित विद्वान, अनुवादक, आलोचक और लेखक तथा दक्षिण एशियाई, मध्य पूर्वी और अफ्रीकी अध्ययन विभाग, कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क की प्रोफेसर एमेरिटा प्रोफेसर फ्रांसिस डब्ल्यू प्रिटचेट को अंतरराष्ट्रीय श्रेणी में इस वर्ष के सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार के लिये चयनित किया गया है। जबकि सर सैयद उत्कृष्टता राष्ट्रीय पुरस्कार देश के एक प्रतिष्ठित साहित्यिक और सांस्कृतिक संगठन, गालिब इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली को 17 अक्टूबर को सर सैयद दिवस स्मृति कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा।


एएमयू द्वारा सर सैयद अध्ययन, दक्षिण एशियाई अध्ययन, मुस्लिम मुद्दे, उर्दू साहित्य, मध्यकालीन इतिहास, सामाजिक सुधार, सांप्रदायिक सद्भाव, पत्रकारिता और अंतर-धार्मिक संवाद के क्षेत्रों में उत्कृष्ट और बौद्धिक रूप से उत्प्रेरक कार्य करने वाले प्रसिद्ध विद्वानों या संगठनों को दिए जाने वाले वार्षिक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार के अन्तर्गत क्रमशः 200000 और 100000 रुपये की नकद पुरस्कार राशि दी जाती है।


एएमयू कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून ने प्रोफेसर आजरमी दुख्त सफवी, प्रोफेसर एआर किदवई, प्रोफेसर शाफे किदवई, प्रोफेसर अनीसुर रहमान, प्रोफेसर अख्तरुल वासे, प्रोफेसर आसिम सिद्दीकी और प्रोफेसर काजी ओबैदुर रहमान हाशमी की अध्यक्षता वाली निर्णायक मंडल की सिफारिश पर पुरस्कार विजेताओं के नाम तय किए।


सर सैयद अकादमी के निदेशक और निर्णायक मंडल के संयोजक प्रोफेसर शाफे किदवई के अनुसार प्रोफेसर प्रिटचेट को आधुनिक भारतीय भाषाओं और साहित्य का सबसे प्रखर विद्वान माना जाता है। उन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय से दक्षिण एशियाई भाषाओं और सभ्यताओं में पीएचडी पूरी की है तथा उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ाया और नेट्स ऑफ अवेयरनेसः उर्दू पोएट्री एंड इट्स क्रिटिक्स; रोमांस ट्रेडिशन इन उर्दू और ए डेजर्टफुल ऑफ रोजेज; उर्दू गजल्स ऑफ मिर्जा गालिब समेत कई लेख, मोनोग्राफ और मौलिक पुस्तकें लिखीं हैं।


गालिब इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली, उपमहाद्वीप में सबसे सम्मानित साहित्यिक और सांस्कृतिक संगठनों में से एक है, और इसके वार्षिक पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सेमिनार, और प्रकाशन दुनिया भर में सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। इस संस्थान की स्थापना 1971 में एक ट्रस्ट द्वारा की गई थी, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार, गालिब एक्सटेंशन व्याख्यान, अमीर खुसरो और फखरुद्दीन अली अहमद व्याख्यान, यौम ए गालिब, यौम ए जौक कार्यक्रम आदि आयोजित करता है।


गालिब इंस्टीट्यूट हर साल सात प्रतिष्ठित उर्दू और फारसी विद्वानों को पुरस्कार प्रदान करता है, और इसके प्राप्तकर्ताओं में शम्सुर रहमान फारूकी, गोपी चंद नारंग, काजी अब्दुल वदूद, मालिक राम, कुर्रतुल ऐन हैदर, कलीमुद्दीन अहमद, ज्ञान चंद जैन, असलूब अहमद अंसारी, आले अहमद सुरूर, नजीर अहमद, इस्मत चुगताई, कृष्ण चंद्र, जज्बी, खलीलुर रहमान आजमी शामिल हैं। गालिब इंस्टीट्यूट अक्सर विद्वानों की किताबें प्रकाशित करता है और 500 से अधिक शीर्षक प्रकाशित कर चुका है।


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भूगोल विभाग द्वारा वैश्विक जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन


अलीगढ़, 28 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा अपने 100वें वर्ष के उपलक्ष्य में आज कैनेडी हॉल ऑडिटोरियम में ‘वैश्विक जलवायु परिवर्तनः लचीला समाज और सतत विकास’ विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया गया।


मुख्य अतिथि, एनएटीएमओ के पूर्व निदेशक और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के पूर्व कुलपति प्रो. पृथ्वीश नाग ने एएमयू भूगोल विभाग के गौरवशाली इतिहास की सराहना की। विश्वविद्यालय के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि 1972 में जाम्बिया पर अपने शोध के लिए मुझे जिस पहली पुस्तक की आवश्यकता थी, वह एएमयू में ही उपलब्ध थी। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर सामूहिक कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला और इसे ‘मानवता की सबसे जटिल चुनौतियों में से एक’ बताया। प्रो. नाग ने जोर देकर कहा कि इस वैश्विक संकट से निपटने के लिए समाज के सभी क्षेत्रों से समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है, जिससे इस सम्मेलन जैसे आयोजन महत्वपूर्ण बन जाते हैं।


एएमयू की कुलपति प्रो. नईमा खातून ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि ‘जलवायु परिवर्तन सभी के लिए चिंता का विषय बन गया है। यह आवश्यक है कि अकादमिक समुदाय इस गंभीर मुद्दे को हल करने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाएं। प्रो. खातून ने राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से जीपीएस-युक्त बैलून के प्रक्षेपण की सराहना की। उन्होंने अकादमिक समुदाय को मानवता के लाभ के लिए वैज्ञानिक जांच और अनुसंधान को बढ़ावा देने के सर सैयद अहमद खान के दृष्टिकोण पर फिर से विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया।


अपने मुख्य भाषण में, ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय, कोरापट में सलाहकार (शैक्षणिक और प्रशासन) प्रो. वी.सी. झा ने टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने और जीवन की उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाले लचीले समाजों को आकार देने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने हिमनद और अंतर-हिमनद सिद्धांतों, भौगोलिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर गहन चर्चा की और जलवायु चुनौतियों का समाधान करने में भूगोलवेत्ताओं की उभरती भूमिका का विश्लेषण किया।


मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय भौगोलिक संघ की उपाध्यक्ष और दिल्ली विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग की अध्यक्ष प्रो. आनंदिता दत्ता ने एएमयू भूगोल विभाग को उसकी शताब्दी पर बधाई दी और जलवायु परिवर्तन से संबंधितयुक्तिकरण, अनुकूलन और शमन प्रयासों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की।


अन्य मुख्य अतिथि और एएमयू में विजिटिंग शोधकर्ता, मलेशिया विश्वविद्यालय की प्रो. एम. फिरुजा बेगम मुस्तफा ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए व्यक्तिगत किस्से साझा किए।


भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रो. निजामुद्दीन खान ने विभाग की उपलब्धियों का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने मानव पर्यावरण पर जलवायु के प्रभाव को समझने और संबोधित करने में भूगोल की भूमिका पर जोर दिया।


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संयुक्त निदेशक डॉ. जगबीर सिंह ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से तात्पर्य तापमान, वर्षा और मौसम के पैटर्न में दीर्घकालिक बदलाव से है, जो या तो प्राकृतिक या मानवीय गतिविधियों के कारण होता है।


विज्ञान संकाय के डीन प्रो. सरताज तबस्सुम ने जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, आर्थिक समानता और स्थिरता के महत्व को रेखांकित किया। प्रो. शहाब फजल ने भौगोलिक शोध में विभाग की गतिशील भूमिका पर प्रकाश डाला।


उद्घाटन सत्र के दौरान, कई उल्लेखनीय पुस्तकों का विमोचन किया गया। जिनमें ‘डेयरी फार्मिंग फॉर सस्टेनेबल रूरल डेवलपमेंटः ए जियोग्राफिकल अप्रोच’ (प्रोफेसर निजामुद्दीन खान, डॉ. आशीष कुमार पाराशरी, डॉ. मुहम्मद अवैस और डॉ. मुस्तफिजुर रहमान), जलवायु परिवर्तन भेद्यता और अनुकूलन (सालेहा जमाल, आभा लक्ष्मी सिंह और वानी सुहैल अहमद), सतत विकास लक्ष्य और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (अहमद मुज्तबा सिद्दीकी, सैयद मोहम्मद उस्मान, रुबीना शहनाज, सबा अनीस और तबस्सुम कमर) पड़ोस और सार्वजनिक स्वास्थ्यः शहरी क्षेत्रों में स्थान का प्रभाव (उजमा अजमल और सलेहा जमाल) शामिल हैं।


इस अवसर पर एएमयू ज्योग्राफिकल सोसायटी के सदस्यों द्वारा ‘स्मारिका’ का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अतीक अहमद ने किया, जिन्होंने सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डाला और बटलर, ई.डब्ल्यू. डॉन और मूनिस रजा जैसे विभाग के प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों के बारे में बताया।


डॉ. अहमद मुजतबा ने कार्यक्रम के सुचारू संचालन में मदद की और प्रो. राशिद अजीज अफरीदी ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया।


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प्रो. मोहम्मद नवेद खान एनआईटी उत्तराखंड में अल्पकालिक पाठ्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल


अलीगढ़ 28 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद नावेद खान ने मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग और मानविकी एवं सिविल इंजीनियरिंग विभाग, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी-यूके), उत्तराखंड  द्वारा आयोजित ‘रिसर्च रोडमैपः नेविगेटिंग मेथडोलॉजिकल एक्सीलेंस’ विषय पर पांच दिवसीय अल्पकालिक पाठ्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।


अपने संबोधन में, प्रोफेसर खान ने अध्ययन करते समय अनुसंधान पद्धति को ठीक से समझने, निष्कर्षों की विश्वसनीयता और वैधता सुनिश्चित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अनुसंधान को नैतिक रूप से संचालित किया जाना चाहिए और उपलब्ध संगठनात्मक संसाधनों का इष्टतम उपयोग करना चाहिए।


उन्होंने कहा कि अल्पकालिक पाठ्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को अकादमिक अनुसंधान में गुणात्मक और मात्रात्मक अनुसंधान अध्ययन और डेटा संग्रह और डेटा विश्लेषण में नवीनतम रुझानों और तकनीकों से परिचित कराना है ताकि परिणाम बड़े शैक्षणिक समुदाय और अन्य हितधारकों तक भलिभांति प्रेषित किया जा सके।


उन्होंने पाठ्यक्रम के दौरान अनुसंधान डिजाइन, स्केलिंग तकनीक और प्रश्नावली डिजाइन पर सत्रों में भी भाग लिया।


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शिक्षा विभाग में स्वच्छता पखवाड़ा से संबंधित गतिविधियाँ आयोजित


अलीगढ़ 28 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा से संबंधित राष्ट्रीय अभियान के रूप में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया जिसमें वृक्षारोपण अभियान, स्वच्छता जागरूकता मार्च, नारा लेखन, पोस्टर-निर्माण, निबंध लेखन और ड्राइंग प्रतियोगिताएं शामिल हैं।


गतिविधियों की शुरुआत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मुजीबुल हसन सिद्दीकी द्वारा आयोजित स्वच्छता शपथ के साथ हुई, जिन्होंने संकाय सदस्यों और छात्रों से व्यक्तिगत और पर्यावरणीय स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने का आग्रह किया।


कार्यक्रम के समन्वयक, डॉ. मोहम्मद हनीफ ने वृक्षारोपण अभियान का नेतृत्व किया और शिक्षकों और छात्रों के साथ विभाग परिसर में पौधे लगाए, जिन्होंने अपने पौधों की देखभाल करने और उन्हें नियमित रूप से पानी देने का संकल्प लिया।


बाद में, छात्रों और स्टाफ सदस्यों ने परिसर में स्वच्छता बनाए रखने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए ‘स्वच्छता अभियान जागरूकता मार्च’ में भाग लिया।


डॉ. रजिया बी ने नारा-लेखन, पोस्टर-मेकिंग प्रतियोगिताएं और ड्राइंग प्रतियोगिताएं आयोजित कीं। नारा लेखन प्रतियोगिता में अलीना तारिक ने प्रथम पुरस्कार जीता, जबकि हुमेरा मिर्जा और सेहबा हसीब ने क्रमशः दूसरा और तीसरा पुरस्कार हासिल किया।


पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में अर्शी, महविश खानम और सारा अंसारी को क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार मिला।


ड्राइंग प्रतियोगिता में महविश खानम को प्रथम पुरस्कार मिला, जबकि सारा अंसारी और मंतशा सदफ ने क्रमशः दूसरा और तीसरा पुरस्कार जीता।


डॉ. तरन्नुम द्वारा आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता में आतिया फातिमा, सुहिरा खान और रेबेका अब्बास ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार जीता।


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एएमयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने एंडोमेंट फंड बनाने के लिए 50 लाख रुपये का दान दिया


अलीगढ़ 28 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग से सेवानिवृत्त हुए वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर सुहैल साबिर ने ‘प्रोफेसर सुहैल साबिर एंडोमेंट फंड’ के गठन के लिए एएमयू को 50 लाख रुपये का दान दिया है।


प्रोफेसर साबिर ने उक्त राशि का चेक विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी प्रोफेसर एम. मोहसिन खान को सौंपा और कहा कि इस से उत्पन्न आय का उपयोग सालाना साक्षात्कार-आधारित खुली चयन प्रक्रिया के माध्यम से विश्वविद्यालय के जरूरतमंद और योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए किया जाएगा।


वित्त अधिकारी ने गरीब और जरूरतमंद छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने और सफल करियर बनाने में मदद करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए इस उदार परोपकारी कदम के लिए प्रोफेसर साबिर को धन्यवाद दिया।


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बीएएन हॉल में स्तन कैंसर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन


अलीगढ़ 28 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बेगम अजीजुन निसा हॉल द्वारा स्तन कैंसर के प्रभाव, सावधानियों और उपचार के बारे में हॉल की निवासी छात्राओं के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए ‘भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर जागरूकता’ विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।


इस कार्यक्रम में सोसाइटी फॉर ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस (एसबीसीए) के सचिव डॉ. सैयद मोहसिन रजा, प्रमुख स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. फरजाना हादी और जेएनएमसी के फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सैयद जियाउर रहमान विशेष वक्ता थे।


डॉ. मोहसिन रजा ने स्तन कैंसर पर एक प्रस्तुति दी और महिलाओं से आग्रह किया कि वे सभी प्रकार की गांठों से सावधान रहें क्योंकि गांठ का जल्दी पता चलने से प्रभावशाली उपचार होता है और तेजी से रिकवरी होती है।


डॉ. फरजाना हादी ने एक सचित्र प्रस्तुति की मदद से दिखाया कि कैसे स्वयं की जांच करें और इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानें, और गांठ का पता चलने के बाद क्या करें। उन्होंने बताया कि आधुनिक जीवनशैली स्तन कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है, जिसमें अस्वास्थ्यकर आहार, नींद के पैटर्न में गड़बड़ी और गतिहीन जीवन जीना शामिल है। उन्होंने गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर पर भी प्रकाश डाला, जो भारतीय महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है।


प्रोफेसर सैयद जियाउर रहमान ने स्तन कैंसर और इसके उपचार के औषधीय पक्ष पर अपने विचार साझा किए।


व्याख्यान के बाद प्रश्न-उत्तर सत्र आयोजित किया गया। 


इससे पूर्व, अतिथि वक्ताओं का स्वागत करते हुए हॉल की प्रोवोस्ट प्रो. आसिया चैधरी ने कार्यक्रम के आयोजन के उद्देश्य और एक स्वस्थ समाज के निर्माण में युवाओं को शिक्षित करने के महत्व पर चर्चा की।


कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सदफ परवीन ने अतिथि वक्ताओं का परिचय दिया।


कार्यक्रम का संचालन स्थानीय छात्र बिनीश जुबिया ने किया, जबकि सीनियर हॉल मॉनिटर आमिना इरशाद ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।


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कंप्यूटर सेंटर में साइबर जागरूकता पर पैनल चर्चा का आयोजन


अलीगढ 28 सितम्बरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो. एम.एन. फारुकी कंप्यूटर सेंटर द्वारा उच्च शैक्षणिक संस्थानों (एचईआई) के लिए भारत सरकार की साइबर जागरूकता पहल के रूप में साइबर स्वच्छता को बढ़ाने के लिए ऑनलाइन पैनल चर्चा का आयोजन किया गया।


अमुवि कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून कार्यक्रम की संरक्षक थीं तथा अमुवि रजिस्ट्रार श्री मोहम्मद इमरान आईपीएस कार्यक्रम के सह-संरक्षक थे।


एएमयू के पैनलिस्टों में ओएसडी डवलपमेंट प्रोफेसर आसिम जफर (कंप्यूटर विज्ञान विभाग) और डॉ. परवेज महमूद खान, निदेशक, कंप्यूटर सेंटर शामिल थे, जिन्होंने कार्यक्रम की अध्यक्षता भी की।


बाहर से शामिल पैनलिस्टों में जामिया मिलिया इस्लामिया के कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रोफेसर मनसफ आलम और गृह मंत्रालय के एनआईसी के तकनीकी निदेशक श्री मोहम्मद जहीन थे।


कार्यक्रम में विभिन्न विभागों, कार्यालयों, कॉलेजों और विश्वविद्यालय द्वारा संचालित संस्थानों से बड़ी संख्या में छात्रों और कर्मचारियों ने भाग लिया।

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