अलीगढ़ मीडिया डिजिटल, अलीगढ: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पेट्रोलियम अध्ययन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सैयद जावेद अहमद रिजवी ने ‘ग्रीन हाइड्रोजनः चुनौतियां और अवसर’ विषय पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान स्थिरता प्रबंधन और वैकल्पिक ईंधन प्रौद्योगिकी, पर “टीईआरआई ग्राम, गुआल पहाड़ी में आयोजित कार्यक्रम में व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का उद्देश्य भविष्य के विकास के लिए की मुख्य व्यावसायिक रणनीतियों में स्थिरता को एकीकृत करना था, जो कि विशेष रूप से इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए डिजाइन किया गया था।
डॉ. रिजवी ने वैश्विक ऊर्जा बाजार पर हरित हाइड्रोजन के परिवर्तनकारी प्रभाव के बारे में चर्चा की और लागत दक्षता, बुनियादी ढांचे के विकास और नीति ढांचे जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उद्योगों में स्थिरता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए इस तकनीक द्वारा प्रदान किए जाने वाले दूरगामी अवसरों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत के प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के ऊर्जा नेता के रूप में, आईओसीएल कई नवीन हरित पहलों के माध्यम से 2046 तक शुद्ध शून्य परिचालन उत्सर्जन प्राप्त करने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है।
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कोयंबटूर में आयोजित एपीएसआईसीओएन 2024 में जेएन मेडिकल कालिज के शिक्षक और छात्रों ने धाक जमायी
अलीगढ़ 21 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जे.एन. मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद फहुद खुर्रम ने हाल ही में गंगा अस्पताल कोयंबटूर, तमिलनाडु में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन ऑफ इंडिया (एपीएसआईसीओएन 2024) में ‘गहरे ऊतक दबाव की चोट की प्रारंभिक पहचान और निगरानी में इन्फ्रारेड रैमोग्राफी की प्रभावकारिता का आकलन’ शीर्षक से शोध पत्र प्रस्तुत किया।
उन्होंने पेरिनियल दोषों के पुनर्निर्माण पर एक सत्र की अध्यक्षता भी की, जिससे प्रतिभागियों को इस जटिल शल्य चिकित्सा क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता से लाभ हुआ।
विभाग के वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर इमरान अहमद ने भी सम्मेलन में भाग लिया और कई सत्रों की अध्यक्षता की।
विभाग के दो रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी सम्मेलन में भाग लिया और अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए, जिन्हें वरिष्ठ शिक्षकों द्वारा सराहा गया। सीनियर रेजिडेंट डॉ. केतल गुप्ता ने दो पेपर और एक पोस्टर प्रस्तुत किया, जबकि द्वितीय वर्ष की रेजिडेंट डॉ. निमिषा सिंह ने ‘ब्रिजिंग वर्चुअल एंड फिजिकल हीलिंगः मिक्स्ड रियलिटी रैपी इन हैंड ट्रॉमा एंड बर्न्स’ शीर्षक से अपना पेपर प्रस्तुत किया।
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अभिलेखीय सामग्रियों के संरक्षण पर कार्यशाला आयोजित
अलीगढ़ 21 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संग्रहालय विज्ञान विभाग ने पांडुलिपियों और पुराने दस्तावेजों सहित ‘अभिलेखीय सामग्रियों के संरक्षण’ पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
रिसोर्स पर्सन, खुदा बख्श लाइब्रेरी, पटना के प्रिजर्वेशन केमिस्ट और संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. नूरुद्दीन अंसारी ने भावी पीढ़ियों के लिए प्रभावी संरक्षण प्रथाओं के माध्यम से नाजुक दस्तावेजों की सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने संरक्षण में अपनी विशेषज्ञता साझा की और कागज संरक्षण में सर्वोत्तम प्रथाओं, तकनीकों और नवीनतम नवाचारों पर प्रकाश डाला।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि, पदमश्री प्रोफेसर हकीम सैयद जिल्लुर रहमान, पूर्व कोषाध्यक्ष, एएमयू और निदेशक, इब्ने सीना अकादमी ने पुस्तकालयों और संग्रहालयों में कुशल संरक्षणवादियों को तैनात करने की आवश्यकता पर बल दिया जो कागज संरक्षण की आधुनिक तकनीकों में पारंगत हों।
उन्होंने यूरोपीय देशों की तुलना में संग्रहालयों के प्रति भारत के आम लोगों की अज्ञानता पर अफसोस जताया और संग्रहालय विज्ञान के छात्रों से आग्रह किया कि वे संग्रहालयों के महत्व और अभिलेखीय महत्व की वस्तुओं के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने का काम करें।
मानद् अतिथि, प्रोफेसर नफीस अहमद खान, डीन, जीव विज्ञान संकाय ने पांडुलिपियों, दुर्लभ पुस्तकों और कलाकृतियों जैसी कागज-आधारित विरासत सामग्री को संरक्षित करने के महत्व को रेखांकित किया, जो इतिहास और संस्कृति के आवश्यक घटक हैं।
अन्य मानद् अतिथि, एएमयू के संयुक्त रजिस्ट्रार एस. एम. अतहर ने संस्कृति और इतिहास के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए संग्रहालय विज्ञान विभाग द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।
इससे पूर्व, अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, संग्रहालय विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. अब्दुरहीम के. ने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को व्यावहारिक कौशल और व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना था, जिसमें विरासत सामग्री के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो कि कारकों के कारण खराब होने की आशंका है।
भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय (एनएमएनएच) में वैज्ञानिक सी के रूप में नियुक्त संग्रहालय विज्ञान विभाग के एक शोध विद्वान जैनब इफ्तिखार को डॉ. नूरुद्दीन अंसारी के साथ इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अलीगढ़ के विभिन्न स्कूलों के 50 प्रतिभागियों के बीच आईआर राइट अप के लिए अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर संग्रहालय विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित करने के लिए एक पुरस्कार वितरण समारोह भी आयोजित किया गया, जिन्होंने ‘शिक्षा और अनुसंधान के लिए संग्रहालय’ पर अपने निबंध लिखे और विभिन्न पुरस्कार जीते।
सीनियर वर्ग कक्षा 11 व 12 में प्रथम पुरस्कार सारा अतहर (कक्षा 12), सीनियर सेकेंडरी स्कूल (गर्ल्स), एएमयू को दिया गया, जबकि दूसरा पुरस्कार लवी यादव (कक्षा 12), हेरिटेज इंटरनेशनल स्कूल को और तीसरा पुरस्कार हामिद अब्बास (कक्षा 12) एम.यू. कॉलेज को दिया गया।
जूनियर वर्ग कक्षा 9 व 10 में जैद अब्दुर रहमान (कक्षा 9), ब्लॉसम स्कूल को प्रथम पुरस्कार, कुलसुम फातिमा अली (कक्षा 10), दिल्ली पब्लिक स्कूल, सिविल लाइंस को दूसरा पुरस्कार और तीसरा पुरस्कार वैष्णवी पाठक (कक्षा 10) विज्डम पब्लिक स्कूल को मिला।
विश्वविद्यालय श्रेणी के तहत, प्रथम और द्वितीय पुरस्कार शोध विद्वान फरहा आसिफ और नवाजिश रजा को मिला, जबकि तीसरा पुरस्कार एम.एससी. संग्रहालय विज्ञान विभाग के छात्र अदीब रिजवी को मिला।
भोपाल के शासक एम. हमीदुल्ला खान का संग्रहालय विज्ञान विभाग द्वारा संरक्षित चित्र प्रोफेसर हकीम सैयद जिल्लुर रहमान को भेंट किया गया।
कार्यक्रम का संचालन कार्यशाला समन्वयक डॉ. अमीजा जरीन ने किया।