अलीगढ़ मीडिया डिजिटल, दिल्ली| देश में आर्थिक सुधारों के प्रणेता माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर गुरुवार रात निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। तबीयत बिगड़ने के बाद उनको एम्स में भर्ती कराया गया था। 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे 92 वर्षीय मनमोहन सिंह ने एम्स के आपातकालीन विभाग में अंतिम सांस ली। दिल्ली एम्स ने आधिकारिक बयान जारी कर इसकी पुष्टि की है।
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👉सभी सरकारी कार्यक्रम जो कल निर्धारित थे, उन्हें रद्द कर दिया गया है।
👉राष्ट्र में 7 दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है।
👉मंत्रिमंडल की बैठक कल सुबह 11 बजे आयोजित की जाएगी।
डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
...जब मनमोहन सिंह ने लोकसभा चुनाव में भी आजमाई किस्मत
मनमोहन सिंह को इसलिए भी याद रखा जाएगा कि एक बार भी लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए बिना वे दो बार प्रधानमंत्री बने। हालांकि मनमोहन ने अपने राजनीतिक जीवन में एक बार लोकसभा चुनाव भी लड़ा। वर्ष 1999 में उन्होंने दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमाई। हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा से उन्हें करीब 30 हजार मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1991 में राजनीति में कदम रखने वाले डॉ. मनमोहन सिंह को उस समय कारगिल युद्ध में विजय की लहर व वांजपेयी सरकार की एक वोट से हार के प्रकरण की वजह से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि इस असफलता ने उनके राजनीतिक जीवन की दिशा को प्रभावित नहीं किया। डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन इस बात का उदाहरण है कि चुनावी हार के बावजूद, नेतृत्व की क्षमता और दूरदृष्टि के बल पर राजनीति में स्थायी प्रभाव डाला जा सकता है। उनकी विनम्रता, कार्यशैली और नीतियों ने उन्हें भारतीय राजनीति का एक प्रमुख चेहरा बनाया।