-डॉ० जसीम मोहम्मद
भारतीय मुसलमानों के लिए देश में मदरसों द्वारा प्रदान की जा रही शिक्षा एक प्रकार से न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि आवश्यक भी है। भारतीय मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग आर्थिक रूप से कमज़ोर है जो कि अपने बच्चों को परम्परागत शिक्षा नहीं प्रदान कर सकता है। मदरसे उक्त वर्ग को एक अवसर प्रदान करते है जिसके द्वारा मुस्लिम बच्चे शिक्षा से परिचित होते हैं। हालांकि हजारों आर्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम बच्चे इन मदरसों मे शिक्षा ग्रहण कर रहे है परन्तु वे अभी भी आधुनिक शिक्षा से वंचित है। परन्तु अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति ले० जनरल जमीरउद्दीन शाह ने इन मदरसा छात्रों के भविष्य को सकारात्मक दिशा देने का बीड़ा उठाया और उनकी पहल पर अमुवि ने मदरसा छात्रों के लिए ब्रिजकोर्स आरम्भ किया जिसे सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद वे विश्वविद्यालय के परम्परागत कोर्सो मे प्रवेश ले सकते हैं।
अमुवि मे ब्रिज कोर्स केवल और केवल अमुवि कुलपति ले० जनरल जमीरउद्दीन शाह की पहल है जिसने मदरसा छात्रों को परम्परागत और व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त करके अपना जीवन सम्मानित रूप से बिताने का अवसर प्रदान किया। मदरसा छात्रों ने अमुवि मे ब्रिजकोर्स पूरा करने के बाद विश्वविद्यालय के अन्य पाठ्यक्रमों मे प्रवेश लिया है। केवल यही नहीं अमुवि से पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद वे विभिन्न स्थानों पर सम्मानित पदों पर कार्य भी कर रहे हैं। अमुवि मे संचालित ब्रिज कोर्स को मौलाना आज़ाद एजूकेशनल फाउन्डेशन (एमएईएफ) द्वारा भारत सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मन्त्रालय द्वारा सहयोग प्राप्त है। अमुवि कुलपति ले० जनरल जमीरउद्दीन शाह ने अपने प्रयत्नों से अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि कैसे सीमित संसाधानों मे सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर समाज के हाशिये पर खड़े वर्ग का शैक्षिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण किया जा सकता है।
ब्रिज कोर्स के प्रथम बैच मे 40 छात्रों ने प्रवेश लिया था जो कि पाठयक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद आज सम्मानित रोज़गार पर रहे है। द्वितीय बैच में 58 छात्र-छात्रायें थी जिन्होंने शत प्रतिशत रूप से पाठयक्रम सफलतापूर्वक पूरा किया। इसी प्रकार तृतीय बैच 2015-16 मे छात्रों की संख्या बढ़ाई गई। 2016-17 के बैच मे 80 छात्रों ने प्रवेश लिया। अमुवि कुलपति ले० जनरल जमीरउद्दीन शाह के सपनों का प्रोजेक्ट ब्रिज कोर्स केवल मदरसा छात्रों की आवश्यक्ताओं को ही नहीं पूरा कर रहा है बल्कि वह अन्तराष्ट्रीय सामाजिक न्याय और सामाजिक विकास के आयामो को भी पूरा करता है अमुवि कुलपति ले० जनरल जमीरउद्दीन शाह के सपनो को सरकार करते हुए ब्रिज कोर्स देश के मदरसों से निकलने वाले 300,000 छात्रों से लाभ पहुंचा रहा है।
अमुवि द्वारा संचालित ब्रिज कोर्स केवल एक परम्परागत पाठ्यक्रम नहीं है बल्कि यह आर्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम वर्ग के संशक्तिकरण का एक माध्यम है जिसके द्वारा मदरसा छात्र देश की शैक्षिक मुख्यधारा से जुड़ रहे है और परिणाम स्वरूप देश की एकता भी मजबूत हो रही है अमुवि कुलपति ले० जनरल द्वारा ब्रिज कोर्स लागू करने को विश्वव्यापी स्तर पर सहारा गया है और इसीलिए केन्द्रिय अल्पसख्ंयक कल्याण मन्त्रालय ने ब्रिज कोर्स के अतिरिक्त बजट का भी आबंटन किया है। इस समय ब्रिज कोर्स पूरा करने के बाद मदरसा छात्र ने केवल अमुवि में व्यवसायिक पाठयक्रम में प्रवेश ले रहे है बल्कि वे देश के अन्य शिक्षण संस्थानों मे भी प्रवेश ले रहे हैं।
अमुवि मे संचालित ब्रिज कोर्स का एक सुखद पहलू यह है कि ब्रिज कोर्स के छात्रों को भी नई सुविधाये प्राप्त है जो विश्वविद्यालय मे अन्य छात्रों को उपलब्ध है। शिक्षा प्राप्त करने के साथ ब्रिज छात्रों को यह अवसर भी प्रदान है कि उन्हें प्रतिश्ष्ठित लोगों के व्याखान सुनने और बात करने का अवसर प्राप्त है। सत्र 2015-16 मे विश्व के कई महानतम लोगों ने अमुवि के ब्रिज कोर्स छात्रों को सम्बोधित किया जिनमें मुख्य रूप से भारत मे अमेरीकी दूतावास के राजनयिक तथा यूएस स्टेट डिपार्टमेन्ट के डॉ० जॉन इस्कन्दर यूएन एडवाईज़र सुश्री सुबी चर्तुवेदी, मलेशिया के पूर्व विदेश मन्त्री हामिद अल बार, बीबीसी (लन्दन) के पत्रकार सतीश जैकब, पाकिस्तानी उर्दू लेखक डॉ० सलीम मनसूर खालिद, मरसर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लोलाएड ऐलेन तथा वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखिका रशमी सहगल सक्सिलेत है। इसके अलावा ब्रिस कोर्स छात्रों द्वारा इस्लाम के पैगम्बर हजरत मोहम्मद और इसा मसीह के जन्म दिवसो पर भी कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इस समय अमुवि के बी०ए०एल०एल०बी० पाठयक्रम मे कई ऐसी छात्रायें है जो मदरसो से शिक्षा प्राप्त करने के बाद पहले ब्रिज कोर्स पूरा किया और फिर उन्होंने बीएएलएलबी में प्रवेश लिया। उनका भविष्य स्वार्णिम है क्योंकि वे इस्लामी और कानूनी शिक्षा दोनों से परिचित है। अमुवि मे कुलपति आते रहेगें और जाते रहेगें परन्तु एैसे कम कुलपति आए है जिन्होंने अमुवि पर अपनी छाप छोड़ी है और ले० जनरल जमीरउद्दीन शाह ऐसे कुलपति है जिन्होंने न केवल अमुवि को शैक्षिक रूप से विकसति किया बल्कि अमुवि को देश की प्रथम हरित विश्वविद्यालय बना दिया इसी प्रकार उन्हांंने मदरसा छात्रों के लिए अमुवि मे ब्रिज कोर्स लागू करके इतिहास रचा है। अमुवि का इतिहास कुलपति ले० जनरल जमीरउद्दीन शाह के योगदान के बगैर अधूरा रहेगा। अतः न केवल अमुवि ब्रिरादरी बल्कि देश की जनता और सरकार की अमुवि कुलपति ले० जनरल जमीरउद्दीन शाह के योगदान को संज्ञान मे लेना चाहिए।
(लेखक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मीडिया सलाहकार हैं, यह लेख इनकी निजी राय है।