#Aligarh: जिलाधिकारी ने पराली प्रबन्धन के लिये विभागीय अधिकारियों के साथ की बैठक

Aligarh Media Desk
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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ| जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह की अध्यक्षता में जनपद में पराली जलाने से रोकने के लिए कलैक्ट्रेट सभागार में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक का आयोजन किया गया। डीएम ने कहा कि जनपद में लगभग 87082 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की फसल की जाती है। धान कटने एवं गेहूँ बोने के मध्य समय कम रहता है जिस कारण कुछ किसान भाई फसल अवशेष-धान की पराली, गन्ने की पताई व अन्य कूडा-करकट खेत में जला देते हैं, जिससे वायुमण्डल दूषित होता है। मृदा एवं वायुमण्डल का तापमान बढ़ने से लाभदायक जीव मर जाते हैं, जिससे मृदा पर बुरा प्रभाव पड़ता है, लाभदायक जीव केंचुए मर जाते हैं जिससे फसलों का उत्पादन कम हो जाता है। डीएम ने बताया कि अतिवृष्टि से प्रभावित धान की फसल का प्रदेश सरकार द्वारा पारदर्शी तरीके से जल्द से जल्द सर्वे कराने के निर्देश दिये गये हैं, विभिन्न टीमों के माध्यम से सर्वे कराया जा रहा है, जिससे जल्द ही पूर्ण करते हुए किसानों को उचित क्षतिपूर्ति दी जाएगी।


          डीएम ने कहा कि पराली के उचित प्रबन्धन से हम खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने निर्देश दिये कि फसल अवशेष या कूड़ा जलाने के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जाए। गांव एवं देहात क्षेत्रों में पराली जलाने एवं प्रदूषण रोकने के प्रति लोगों को जागरूक करें। डीएम ने कहा कि पराली वेस्ट नहीं वैल्थ है। पराली को मसरूम उत्पादन, मुर्गी एवं पशुपालन के चारे के साथ ही बेलर मशीन का प्रयोग करके पराली के बन्डल बनाकर पेपर या गत्ता बनाने में प्रयोग किया जा सकता है।


          अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व अमित कुमार भट््ट ने कहा कि शासन-प्रशासन एनजीटी द्वारा जारी किये गये निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन कराने के लिये प्रतिबद्ध है। पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिये टीमें गठित कर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। विगत वर्षों में जनपद के खैर तहसील में पराली जलाने की सर्वाधिक प्रकरण चिन्हित किये गये हैं। अन्य तहसीलों में स्थिति को सुधारा गया है। उन्होंने किसान भाईयों को सचेत किया कि पराली जलाने पर रोक लगाने के लिये जुर्माना लगाये जाने का प्राविधान है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशानुसार फसल अवशेष जलाना एक दण्डनीय अपराध है जिसके 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिये 2500 रूपये प्रति घटना, 02-05 एकड़ क्षेत्र के लिए 5000 रूपये प्रति घटना एवं 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए 15000 रुपये प्रति घटना के साथ ही अपराध की पुनरावृत्ति करने पर पुनः अर्थदण्ड से दण्डित किया जायेगा ।


          उप कृषि निदेशक यशराज सिंह ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा पराली प्रबन्धन के लिये विभिन्न यन्त्र जैसे मल्चर, एम0बी0 प्लाऊ, सुपर सीडर, बेलर, पैडी स्ट्रा चापर को क्रय करने पर 50 प्रतिशत एवं फार्म मशीनरी बैंक पर 80 प्रतिशत अनुदान अनुमन्य है। इसके साथ ही किसान भाई इन यन्त्रों को किराये पर लेने के लिये पराली नियन्त्रण कक्ष के दूरभाष नम्बर 0571-2742581 एवं 7500110035 पर सम्पर्क कर सकते है। उन्होंने पराली प्रबन्धन की अन्य विधियों की जानकारी देते हुए बताया कि फसल काटने के बाद मल्चर या एम0 बी0 प्लाऊ चलाकर 15-20 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर डालकर सिंचाई कर दें। 200 लीटर पानी में 2 किलोग्राम गुड़ एवं एक डिब्बी वेस्ट डिकम्पोजर मिला लें, 7 दिनों बाद इसे 1 एकड़ में स्प्रे करने से 20 से 25 दिनों में पराली सड़ कर खाद बन जाती है।


          बैठक में एसडीएम अतरौली रवि शंकर सिंह, एसडीएम इगलास भावना विमल, एसडीएम खैर अनिल कटियार, सीवी

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