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जानिए, क्या था अलीगढ़ का पुराना नाम, अलीगढ़ के इतिहास पर एक नजर


चंचलवर्मा, अलीगढ़ मीडिया डेस्क। अलीगढ़ नगर दिल्ली-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग और दिल्ली हावड़ा रेलवे ट्रैक पर स्थित है। इसके पश्चिम की ओर 130 किलोमीटर दूर स्थित है देश की राजधानी दिल्ली। प्रदेश की राजधानी लखनऊ शहर के पूरब की ओर 400 किलोमीटर की दूरी पर है। अलीगढ़ ब्रज क्षेत्र का महत्वपूर्ण भाग है। यह गंगा-यमुना के मध्य( दोआब) के सांस्कृतिक तथा राजनैतिक तथा राजनैतिक इतिहास के उत्थान व पतन के साथ न केवल जुड़ा हुआ है बल्कि इसका प्रतिनिधित्व भी करता है इसकी उत्तरी पश्चिमी सीमा पर यमुना नदी इस जनपद को हरियाणा राज्य से अलग करती है। कान्हा की नगरी मथुरा दक्षिण तथा दक्षिण पश्चिमी में एटा इसकी सीमाओं पर स्थित है। दक्षिण पूर्व में हाथरस जनपद है। उत्तर की और बुलन्दशहर जनपद की सीमा से जुड़ा है। उत्तर पूर्व में गंगा इस जनपद को बदायूँ जनपद से अलग करती है।

                इतिहास के अनुसार यहां के शासक रहे कौषिरिव का नाम महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण में उल्लेख है। कौषिरिव को पराजित कोल नामक एक दैत्यराज यहां का  शासक बना उसने अपने नाम के अनुकूल इस स्थल का नाम कोल रखा। सैय्यद वंश के कार्यकाल में ही कोल का नाम बदलकर अलीगढ़ के नाम से जाना जाने लगा। जब अंग्रजों ने भारत पर धीरे-धीरे अपना साम्राज्य स्थापित करना शुरू किया तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर कब्जा जमाने के लिए उन्होंने सन् 1803 ईसवी में अलीगढ़ पर अपना अधिकार जमा लिया।

          सन 1857 के गदर से अलीगढ़ अछूता नहीं रहा। उस दौरान यहां से शिव नारायण पंडित, मंगला सिंह और महताब सिंह के अलावा महबूब खाँ, नसीमुल्ला, हसन खाँ और रहीम अली ने अंग्रजों के खिलाफ झंडा बुलन्द किया। अंग्रजों के साथ लड़ते हुए इन लोंगों ने शहादत दी। बौना चोर का किला जिसे अलीगढ़ किले के नाम से भी जाना जाता है किदवन्ति यह भी कि अलीगढ़(कोइल) एक अत्यधिक प्राचीन नगर है कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कोही नामक ऋशि रहते थे जिनके आश्रम का नाम कोहिला आश्रम था। कालान्तर में वही कोहिला कोल हो गया। यह भी प्रमाणित है कि कोहिला आश्रम के पास ही महर्शि विष्वामित्र का आश्रम था। वर्तमान अलीगढ़ जनपद में स्थित बेसवां स्थान उसी आश्रम के पास ही महर्षि विश्वा मित्र का आश्रम था। वर्तमान अलीगढ़ जनपद में स्थित बेसवां स्थान उसी आश्रम का स्मृति चिन्ह है। अलीगढ़ कोल उत्तर प्रदेश के पष्चिमी भाग में ब्रज मण्डल के उत्तरी किनारे पर है। योगीराज श्री कृश्ण के समय यह स्थान कोर पुकारे जाने लगा और कालान्तर में यह नाम कोइल/कोल हुआ। कहा जाता है कि श्री कृष्ण भगवान के सम्राट होने के पष्चात् इस स्थान का नाम आली राधिका के नाम के साथ जोड़कर अलीगढ़ रख दिया गया जो कालान्तर में अलीगढ़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

        और अचल सरोवर जैसे एैतिहासिक व बहुत ही प्रसिद्ध स्थल है वही एएमयू जैसी शिक्षण संस्था और अपने हार्डवेयर व आर्टवेयर कारोबार के कारण दुनिया के नक्षे पर अपनी पहचान बना चुका है। उर्दू शायर शहरयार खान, कवि गोपालदास नीरज, कव्वाल हबीव  पेटर, संगीतकार रविन्द्र जैन, अभिनेता भारत भूषण, साहित्यकार अक्षय कुमार जैन व रविन्द्र भ्रमर और इतिहासकार इरफान हबीव, संगीतकार प्रेमकिशोर पटाका, सुरेन्द्र सुकुमार ने इस शहर का मान सम्मान बढ़ाया है। और अलीगढ़ की एक अलग पहचान बनाई है।

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