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कुलपति ने दी होली की बधाई, वीमेंस कालिज में प्री-प्लेसमेंट टॉक आयोजित | AMU News

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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने होली पर विश्वविद्यालय बरादनी और देश के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि रंगों का यह त्यौहार सभी के जीवन में प्रेम, खुशी, समृद्धि और सफलता के सुंदर रंग लेकर आयेगा। उन्होंने कहा है कि वह सभी के लिए बड़ी कामयाबी और जीवंत होली की कामना करते हैं।  

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यूनिवर्सिटी ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट द्वारा कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित

अलीगढ़ 6 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट आफिस (जनरल) द्वारा विभिन्न कोर्स के छात्रों के लिए रूबिकॉन स्किल डेवलपमेंट (बार्कलेज द्वारा समर्थित) के सहयोग से 9 दिवसीय ऑनलाइन रोजगार कौशल विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। टीपीओ, श्री साद हमीद ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को नौकरी बाजार में आवश्यक पेशेवर अपेक्षाओं और कौशल से अवगत कराना और एक उद्योग-विश्वविद्यालय इंटरफेस विकसित करना था।

सहायक टीपीओ, डा मुजम्मिल मुश्ताक ने कहा कि 9 दिवसीय कार्यक्रम में उद्योग विशेषज्ञों ने छात्रों को पब्लिक स्पीकिंग, प्रेजेंटेशन स्किल्स, सीवी राइटिंग, इंटरव्यू की तैयारी, ईमेल और बिजनेस राइटिंग शिष्टाचार, ग्रुप डिस्कशन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उन्होंने बताया कि छात्रों को उनके करियर के लक्ष्यों के अनुसार खुद को तैयार करने में मदद करने के लिए करियर परामर्श भी प्रदान किया।

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एएमयू शिक्षक ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में व्याख्यान प्रस्तुत किया

अलीगढ़ 6 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डा अकील अहमद ने दिल्ली विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित ‘भारत में दर्शन के सौ साल‘ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में एक व्याख्यान प्रस्तुत किया। ‘बहुसंस्कृतिवाद पर भारतीय परिप्रेक्ष्यः एक प्रतिबिंब‘ पर बोलते हुए डा अहमद ने भारतीय लोकाचार में निहित और वैदिक और उपनिषद परंपराओं में प्रकट बहुसंस्कृतिवाद को चित्रित किया।

प्रोफेसर अकील ने कहा कि बहुसंस्कृतिवाद के पश्चिमी माडल की तुलना में, भारतीय माडल में वासुदेव कुटुम्बकम, सर्व-धर्म संभव और समन्वयवाद की एक विशिष्ट विशेषता है। उन्होंने कहा कि भारत में बहुसंस्कृतिवाद की भावना को मजबूत करने के लिए शैक्षणिक और सामाजिक साधनों के माध्यम से एक ‘‘बहुसांस्कृतिक चेतना‘ और ‘‘सभ्यताओं के बीच संवाद‘‘ विकसित करने की आवश्यकता है।

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ग्राहक खरीदारी अनुभव को वैयक्तिकृत करने पर विस्तार व्याख्यान

अलीगढ़ 6 माचः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के तत्वाधान में श्री सैयद आतिफ उमर, सीनियर डायरेक्टर-एनालिटिक्स, फ्लिपकार्ट, बेंगलुरु द्वारा ‘पर्सनलाइजिंग कस्टमर शॉपिंग एक्सपीरियंस यूजिंग डेटा एंड एआई‘ पर एक विस्तार व्याख्यान का आयोजन किया गया।

श्री आतिफ ने बताया कि वैयक्तिकरण अभी तक विभाजन का एक और स्तर है और कैसे अधिकांश बड़ी कंपनियां डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लाभ उठा रही हैं। उन्होंने भौतिक (पारंपरिक) बनाम आनलाइन खरीदारी के अनुभवों के बीच के अंतर को विस्तार से बताया और उनके फायदे और नुकसान पर चर्चा की।

उन्होंने पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं, प्रौद्योगिकी और डेटा जैसे कारणों के सन्दर्भ सहित ये बताया कि ई-कॉमर्स सुविधा एक बढ़ता हुआ मंच क्यों है। उन्होंने मशीन लर्निंग और एआई एल्गोरिद्म जैसे विषयों पर भी चर्चा की, जिसमें यूजर्स और भविष्य के कार्यों के लिए सिफारिशों का अनुमान लगाने और अनुकूलन करने के लिए डेटा का उपयोग किया गया। श्री आतिफ ने छात्रों द्वारा ग्राहकों की गोपनीयता, भारतीय ई-कॉमर्स की स्थिरता और कैसे फ्लिपकार्ट चैटजीपीटी से सम्बंधित पक्षपात को कम कर सकता है, आदि के बारे में छात्रों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का भी जवाब दिया।

इससे पूर्व, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर जमाल ए फारूकी ने अतिथि वक्ता का स्वागत किया और निजीकरण और वर्गीकरण के बारे में बात की और बताया कि कैसे एआई के आगमन से उत्पादों को निजीकृत करना संभव हो रहा है।

प्रोफेसर सबूही नसीम ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में ग्राहकों के खरीदारी के अनुभव, विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन जुड़ाव और कैसे एआई इन प्लेटफॉर्म के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है, पर चर्चा की। डा लामे बिन साबिर ने धन्यवाद ज्ञापित किया और एमबीए अंतिम वर्ष की छात्रा मदीहा अहमद ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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महिला अध्ययन के शिक्षकों के लिए शिक्षाशास्त्र कार्यशाला का समापन

अलीगढ़ 6 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन के लिए उन्नत केंद्र द्वारा भारतीय महिला अध्ययन संघ (आईए डबल्यू) के सहयोग से दो दिवसीय ‘शिक्षाशास्त्र कार्यशाला‘ का आयोजन किया गया।

कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए केंद्र की निदेशक प्रोफेसर अजरा मुसवी ने अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षाशास्त्र के सम्बन्ध में जागरूकता पैदा करना और प्रतिभागियों को शिक्षण और सीखने की प्रक्रियाओं के बारे में संवेदनशील बनाना था जो कक्षागत प्रथाओं के विकल्पों का मार्गदर्शन करती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा कैसी होनी चाहिए।

भारतीय महिला अध्ययन संघ की संयुक्त सचिव और आईए डबल्यू उत्तरी क्षेत्रीय समिति की समन्वयक, प्रोफेसर शादाब बानो ने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य महिलाओं के अध्ययन के शैक्षणिक उपकरणों पर चर्चा करना और कक्षा के भीतर और प्रायोगिक क्षेत्र में महिल अध्ययन के शिक्षकों के ज्ञान को समृद्ध करना था।

प्रोफेसर एन मणिमीकलाई (महिला अध्ययन विभाग, भारतीदासन विश्वविद्यालय, तमिलनाडु) ने ‘महिला अध्ययन के क्षेत्र में शिक्षणरू सिद्धांत और अभ्यास‘ विषय पर एक अंतर्दृष्टिपूर्ण प्रस्तुति दी।

प्रोफेसर इंदु अग्निहोत्री (पूर्व निदेशक, महिला विकास अध्ययन केंद्र, नई दिल्ली) ने समय-समय पर नीतियों और उनके कार्यान्वयन सहित महिलाओं से संबंधित डेटा संग्रह की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने ‘महिला आंदोलनों और महिलाओं के अध्ययनरू पाठ्यचर्या निर्माण में भूमिका और संबंध‘ को समझने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि शिक्षाशास्त्र को समझने के लिए महिलाओं पर उपलब्ध आंकड़ों को खंगालना चाहिए। इसमें महिलाओं के लिए नीतियों को दर्शाया गया है और उनका कार्यान्वयन कितना सफल है। उन्होंने महिला अध्ययन को मुख्यधारा में लाने के प्रस्ताव पर चर्चा की।

डा पूनम काकोटी बोरा (गौहाटी विश्वविद्यालय, असम) ने कहा कि कार्यशाला का एक मुख्य उद्देश्य महिला अध्ययन के संस्थागतकरण पर ध्यान केंद्रित करना था। उन्होंने कक्षाओं में महिलाओं के अध्ययन की प्रथाओं पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर मंजीत भाटिया (पूर्व शिक्षक, महिला अध्ययन विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने परिसर में महिला अध्ययन को मुख्य धारा में लाने पर विस्तृत चर्चा की। डा नियति कृष्णा (राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान, चंडीगढ़) ने महिला अध्ययन में अंतः विषय और रोजगार के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।

डा तरुशिखा सर्वेश (एएमयू) ने महिलाओं के अध्ययन में ज्ञान के उत्पादन में मदद करने वाले इंटरसेक्शनलिटी, थीम और दृष्टिकोण पर चर्चा की। श्री शीराज अहमद ने संसाधन व्यक्तियों का परिचय दिया। डा तौसीफ फातिमा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में महाराष्ट्र, असम, कश्मीर, नई दिल्ली और राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों के संकाय सदस्यों और शोध विद्वानों ने भाग लिया।

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वीमेंस कालिज में प्री-प्लेसमेंट टॉक आयोजित

अलीगढ़ 6 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट ऑफिस (जनरल) द्वारा विमेंस कॉलेज में ‘टीच फॉर इंडिया‘ विषय पर प्री-प्लेसमेंट टॉक का आयोजन किया गया। डा मंसूर आलम सिद्दीकी (टीपीओ, विमेंस कॉलेज) ने कहा कि टीच फॉर इंडिया फेलोशिप भारत के सबसे प्रतिभाशाली और देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों और कार्यस्थलों के सबसे होनहार युवाओं के लिए देश के कुछ सबसे कम आय वाले समुदायों के बच्चों के लिए कम संसाधन वाले स्कूलों में पूर्णकालिक शिक्षक के रूप में सेवा प्रदान करने का एक अवसर है।

छात्रों के साथ अपनी बातचीत में डा सौम्यदीप चटर्जी, भर्ती प्रबंधक, टीएफआई फैलोशिप ने कार्यक्रम के महत्व और इसके लिए आवेदन करने की प्रक्रिया के बारे में विचार साझा किए। उन्होंने छात्रों से शिक्षा क्षेत्र में युवाओं की मदद करने के लिए अपने कौशल को बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने सामाजिक-आर्थिक रूप से विकलांग छात्रों से ऐसे कौशल हासिल करने का आग्रह किया जो उन्हें अधिक आत्मविश्वासी बनने और नेतृत्व क्षितिज को सुशोभित करने में मदद करें।

उन्होंने कहा कि टीएफआई फेलोशिप ‘एक दिन हर बच्चा एक उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त करेगा‘ दृष्टिकोण पर बल देता है और ‘शिक्षा असमानता को खत्म करने के लिए नेताओं के लिए अवसर पैदा करने‘ के मिशन को बढ़ावा देता है।

उन्होंने टीएफआई फेलोशिप के लिए पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में बताया जिसमें टीएफआई कैंपों में प्रयोगात्मक शिक्षा के माध्यम से टीच फॉर इंडिया कार्यक्रम, जीवन को प्रभावित करने और नेतृत्व विकास प्रक्रिया के लिए दो वर्ष का प्रशिक्षण शामिल है।

वार्ता में विमेंस कॉलेज की स्नातक अंतिम वर्ष की छात्राओं ने भाग लिया।

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स्वयंसेवा, प्रौढ़ शिक्षा और एचईआई की भूमिका पर संगोष्ठी आयोजित

अलीगढ़, 6 मार्चः एएमयू के सतत एवं प्रौढ़ शिक्षा एवं विस्तार केंद्र द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम के आलोक में स्वैच्छिकवाद, प्रौढ़ शिक्षा और उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

एएमयू के प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उद्घाटन सत्र के दौरान कहा कि प्रौढ़ शिक्षा और विस्तार कार्य के साथ अपने वर्षों के जुड़ाव के साथ, वह महसूस करते हैं कि सभी के लिए शिक्षा आज भी एक सपना है जिसके लिए सभी को काम करना चाहिए ताकि एक बड़ी आबादी राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सके।

मुख्य अतिथि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एसके सिंह ने कहा कि भारतीय शिक्षा नीति के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में हमारे पास लंबे समय से स्वयंसेवा का अभ्यास है और इस क्षेत्र में काम करने के तरीकों के बारे में सोचना समय की आवश्यकता है।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रोैढ़ और सतत शिक्षा और विस्तार विभाग की अध्यक्ष, प्रोफेसर शिक्का कपूर ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि भारत की विशाल आबादी के साथ, सभी को शिक्षित करने के रास्ते में रुकावटें हैं और सामूहिक स्तर पर स्वयंसेवा समाधान का एक रास्ता है।

इंडियन एडल्ट एजुकेशन एसोसिएशन, नई दिल्ली की निदेशक डा कल्पना कपूर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे प्रौढ़ शिक्षा तब तक आगे नहीं बढ़ सकती जब तक कि विशेषाधिकार प्राप्त लोग अपना समय और संसाधन सार्वभौमिक शिक्षा के लिए समर्पित नहीं करते।

इससे पूर्व संगोष्ठी की संयोजक प्रोफेसर आयशा मुनीरा रशीद ने अतिथियों का स्वागत किया और संगोष्ठी की विषयवस्तु से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि नैतिक संसाधनों और कॉर्पोरेट ज़िम्मेदारी का उपयोग करके, सार्वभौमिक साक्षरता और सॉफ्ट स्किल्स प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है।

प्रतिभागियों ने सामान्य साक्षरता से लेकर संचार कौशल, जीवन कौशल और सॉफ्ट स्किल से लेकर डिजिटल साक्षरता, डिजिटल उत्पीड़न और फिशिंग जैसे विषयों पर 20 शोध पत्र प्रस्तुत किए।

प्रोफेसर नसीम अहमद, प्रोफेसर आसिम सिद्दीकी और प्रोफेसर राशिद नेहाल ने तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता की। डा शमीम अख्तर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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वॉल पेंटिंग प्रोग्राम ‘आर्ट्स विद हार्ट्स‘ का आयोजन

अलीगढ़, 6 मार्चः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अहमदी स्कूल फॉर विसुआलय चैलेंज्ड द्वारा नेत्रहीन छात्रों के लिए दो दिवसीय वॉल पेंटिंग प्रोग्राम ‘आर्ट्स विद हार्ट्स‘ का आयोजन किया गया। स्कूल के सभी छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने उत्साह के साथ कार्यक्रम में भाग लिया।

कार्यक्रम का उदघाटन विद्यालय की प्रधानाध्यापिका, डा नाएला राशिद ने दीवार पर चित्र व हस्तरेखा चित्र बनाकर किया। इन विशेष बच्चों और स्कूल के अन्य स्टाफ सदस्यों ने हाथों को अलग-अलग रंगों में डुबोकर विद्यालय की दीवार पर पंजा पेंट किया।

कार्यक्रम प्रभारी श्रीमती सना रजा एवं सुश्री अर्शी गुप्ता, ललित कला विभाग की रिसर्च स्कॉलर एवं उनकी टीम के सदस्यों ने कार्यवाही का आयोजन किया।

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एएमयू के रिसर्च स्कॉलर द्वारा ग्लोबल टेररिज्म पर पेपर प्रस्तुत

अलीगढ़, 6 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इस्लामिक स्टडीज विभाग के रिसर्च स्कॉलर, श्री मुजफ्फर अहमद मीर ने विभाग के रिसर्च स्कॉलर एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘वैश्विक आतंकवाद और भारतीय मुसलमानों पर इसके प्रभाव‘ पर एक पेपर प्रस्तुत किया। प्रस्तुति में विषय के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया, जिसमें इस्लाम के साथ आतंकवाद को जोड़ने के कारण भारतीय मुसलमानों द्वारा सामना किए जाने वाले लांछन और भेदभाव शामिल है।

मीर ने इस मुद्दे की गहरी समझ की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रहों को खत्म करने में मीडिया और राजनीतिक संवाद की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने चरमपंथी समूहों द्वारा प्रचारित विभाजनकारी आख्यानों का मुकाबला करने के लिए प्रभावित समुदायों के साथ जुड़ने और आपसी सद्भाव को बढ़ावा देने के महत्व पर भी ज़ोर दिया। अपनी प्रस्तुति के दौरान, मीर ने आतंकवाद के बढ़ते वैश्विक खतरे और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा व्यापक, समन्वित और निरंतर प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अब्दुल हमीद फाजिली (अध्यक्ष, इस्लामिक अध्ययन विभाग) ने कहा कि एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य रिसर्च स्कॉलर्स और पीजी, यूजी छात्रों को उपयोगी वस्तुनिष्ठ चर्चाओं में शामिल करना और उनके शैक्षणिक कौशल को बढ़ाना है।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में, प्रोफेसर आदम मलिक खान ने कहा कि प्रस्तुति में इस मुद्दे के विभिन्न आयामों को बहुत अच्छे ढंग से शामिल किया गया। इस अवसर पर डा बिलाल अहमद कुट्टी (एसोसिएशन के सलाहकार), डा एजाज अहमद, डा निगहत रशीद, डा अर्शी शोएब और डा लुबना नाज और अन्य उपस्थित थे। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं शामिल हुए।

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