अलीगढ़, 8 अगस्तः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा विश्वविद्यालय पॉलिटेक्निक सभागार में ‘नवजागृत भारतः 75वीं वर्षगांठ पर चिंतन के विषय, आकांक्षाएं और चुनौतियां’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के महासचिव, श्री भरत लाल ने समावेशी विकास के माध्यम से पुनरुत्थानशील भारत को आकार देने की भारत की कोशिशों को सराहा।
उन्होंने कहा कि समान भागीदारी और अवसर सुनिश्चित करके, भारत अपनी विविध प्रतिभाओं का उपयोग कर सकता है और आर्थिक विकास, सामाजिक समानता और सतत प्रगति को बढ़ावा दे सकता है। यह दृष्टिकोण भारत को वैश्विक मंच पर एक गतिशील भविष्य की ओर ले जाने की क्षमता रखता है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में, एएमयू के कुलपति, प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने सम्मेलन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने को ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मना रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे सम्मेलन का विषय हमारे राष्ट्र के विविध पहलुओं को रेखांकित करता है, जो भारत के सार को दर्शाता है। प्रो. गुलरेज ने कहा कि विश्व स्तर पर भारत शांति, सुरक्षा और प्रगति के प्रबल समर्थक के रूप में उभरा है।
मानद अतिथि, जेएनयू के पूर्व शिक्षक प्रोफेसर अमिताभ कुंडू ने सांख्यिकीय डेटा का सन्दर्भ देते हुए एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक द्वारा लगाए गए अनुमानों को रेखांकित किया, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की संभावित भूमिका का संकेत देते हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में प्रवेश के साथ ही वैश्विक अर्थ व्यवस्था का केंद्र बिंदु एशिया, विशेषकर भारत पर टिक गया है। हालाँकि, हमें अभी श्रम बाजार की असमानताओं को दूर करने की आवश्यकता है।
प्रो. कुंडू ने कहा कि इस स्थिति का सुधार महिलाओं और अल्पसंख्यकों सहित सभी सामाजिक-आर्थिक स्तरों पर उच्च शिक्षा और कौशल विकास तक समान पहुंच द्वारा संभव है।
आईआईएम काशीपुर के प्रोफेसर बहारुल इस्लाम ने बीजक भाषण प्रस्तुत किया। उन्होंने उन कौशलों को अपनाने पर जोर दिया जो इक्कीसवीं सदी में विशेष महत्व रखते हैं।
इस अवसर पर एक स्मारिका का भी विमोचन भी किया गया।
सम्मेलन के संयोजक डॉ. इफ्तिखार ए अंसारी ने सकारात्मकता को बढ़ावा देने और भारत की पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की आकांक्षा को साकार करने के लिए अनुकूल समावेशी प्रयासों को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया।
विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर इकबालुर रहमान ने सम्मेलन के आयोजन में ठोस प्रयासों के लिए आयोजन टीम को धन्यवाद दिया।
कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर रचना कौशल ने किया। इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से राजनीतिक शिक्षाविद्व भाग ले रहे हैं।
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एके तिब्बिया कालिज में ‘जराहत में अद्यतन’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
अलीगढ 8 अगस्तः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के जराहत विभाग के तत्वाधान में ‘इल्मुल जराहत (सर्जरी) में अद्यतन’ विषय पर हाइब्रिड मोड में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में देशभर से बड़ी संख्या में शिक्षकों, डॉक्टरों, विशेषज्ञों और पीजी छात्रों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में 70 से अधिक प्रतिभागियों ने ऑफलाइन भाग लिया, जबकि 38 ऑनलाइन शामिल हुए, जिनमें ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्वविद्यालयों के लोग भी शामिल थे, जो एक समझौते के अंतर्गत यूनानी और पैगम्बर मोहम्मद द्वारा अपनायी गयी चिकित्सा के क्षेत्र में अध्ययन कर रहे हैं।
अपने उद्घाटन भाषण में मुख्य अतिथि प्रोफेसर सैयद मौदूद अशरफ, पूर्व डीन, यूनानी चिकित्सा संकाय, एएमयू ने कहा कि यूनानी चिकित्सा के वैज्ञानिकों ने कई शताब्दियों से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उनकी उपलब्धियों ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में यूनानी चिकित्सा की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि आज हम सर्जरी के क्षेत्र में जो भी प्रगति देखते हैं, वह उन ही वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयासों का परिणाम है और वर्तमान विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को मानव जाति के व्यापक लाभ के लिए जराहत को आधुनिक बनाने की दिशा में काम करते रहना चाहिए।
इससे पूर्व, अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए प्रो. तफसीर अली (आयोजन अध्यक्ष) ने विभाग द्वारा की गई विभिन्न विकास पहलों पर प्रकाश डाला और संगोष्ठी के उद्देश्यों पर चर्चा की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता यूनानी चिकित्सा संकाय के डीन प्रोफेसर उबैदुल्ला खान ने की, जबकि एके तिब्बिया कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर बी.डी. खान और मानद अतिथि प्रोफेसर शाह आलम (जरहियात के प्रमुख, एनआईयूएम, बैंगलोर) और प्रोफेसर एस.एम. आरिफ जैदी (पूर्व डीन, एसयूएमईआर, जामिया हमदर्द, नई दिल्ली) ने भी उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित किया।
आयोजन सचिव डॉ. मोहम्मद तारिक ने बताया कि चार वैज्ञानिक सत्रों में कुल सात इंटरैक्टिव व्याख्यान प्रस्तुत किये गए। देश के विभिन्न हिस्सों से आए अतिथि वक्ताओं और संसाधन व्यक्तियों में प्रोफेसर अब्दुल वाहिद (निदेशक, यूनानी सेवा, आयुष मंत्रालय, यूपी), प्रोफेसर अफजाल अनीस, प्रोफेसर अतिया जका उर रब और डॉ वासिफ मोहम्मद अली (सर्जरी विभाग, जेएनएमसी, एएमयू), प्रो. एस.एम. आरिफ जैदी और प्रो. मिन्हाज अहमद (जामिया हमदर्द, नई दिल्ली), डॉ. फातिमा खान, प्रो. सैयद शाह आलम (बैंगलोर) और प्रो. नजर अब्बास (जयपुर) संगोष्ठी में शामिल हुए।
संगोष्ठी संयोजक, डॉ. सीमीं उस्मानी और डॉ. यासमीन अजीज ने व्याख्यान कार्यक्रम की व्यवस्था की और डॉ. अफीफा नाज, डॉ. सायमा जुबैर, डॉ. फाखरा खान, डॉ. निदा सईद और डॉ. शाहिद ने विभिन्न वैज्ञानिक सत्रों का संचालन किया। डॉ मो. तारिक ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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एएमयू के छात्रों को मिला प्लेसमेंट
अलीगढ़ 8 अगस्तः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट कार्यालय (सामान्य) द्वारा आयोजित एक भर्ती अभियान में कला और वाणिज्य संकाय के पांच छात्रों को केपीआईटी टेक्नोलॉजीज (एक सॉफ्टवेयर और इंजीनियरिंग उत्पाद बहुराष्ट्रीय कंपनी), लैटन क्राफ्ट (एक कला कंपनी), एसबीआई लाइफ (भारत की एक अग्रणी जीवन बीमा कंपनी) और विग्नान फाउंडेशन ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च (डीम्ड विश्वविद्यालय) द्वारा चयनित किया गया है।
टीपीओ, श्री साद हमीद ने बताया कि चयनित छात्रों में तूबा अंजुम (एमएचआरएमय केपीआईटी टेक्नोलॉजीज), शादान नासिर (बीआरआईएमय एसबीआई लाइफ), रमीज अहमद भट (पीएचडी अंग्रेजी, विगनन), अनुराग सिंह (एमएफएय लैटन क्राफ्ट) और धर्मेंद्र सिंह (एमएफएय लैटन क्राफ्ट) शामिल हैं।
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एएमयू प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र में स्पोकन इंग्लिश पर सप्ताह भर चलने वाली कार्यशाला का उद्घाटन
अलीगढ़, 8 अगस्तः जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत की अध्यक्षता को समारोह पूर्वक मनाने और आजादी का अमृत महोत्सव की भावना के अनुरूप, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सतत और प्रौढ़ शिक्षा और विस्तार केंद्र द्वारा स्पोकन इंग्लिश पर 7 अगस्त से 12 अगस्त तक चलने वाली दो सप्ताह की कार्यशाला शुरू की गई है।
उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए, कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने आयोजकों के प्रयासों की सराहना की और शिक्षार्थियों को बेहतर करियर अवसरों के लिए अंग्रेजी में महारत हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने फिल्मों के उदाहरणों का हवाला देते हुए प्रभावी संचार के महत्व पर जोर दिया और प्रतिभागियों से दक्षता के लिए प्रयास करने का आग्रह किया।
मानद अतिथि, अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद आसिम सिद्दीकी ने सुझाव दिया कि शिक्षार्थी भाषा सीखने की सुविधा के लिए टिप्पणियों, समाचारों और मीडिया स्रोतों से जुड़ें।
कार्यशाला समन्वयक, प्रो. आयशा मुनीरा रशीद ने अपने स्वागत भाषण के दौरान संसाधन व्यक्तियों और कार्यशाला की कार्यप्रणाली और सत्रों का परिचय कराया।
आयोजन टीम की ओर से डॉ. शमीम अख्तर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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