अलीगढ मीडिया न्यूज़ ब्यूरो, अलीगढ| “सर सैयद भारत की आजादी के लिए एक निर्णायक मोड़ थे और उन्होंने ही सबसे पहले 1857 और उसके बाद देश की आजादी की पहली लड़ाई के कारणों का दस्तावेजीकरण किया और उन लोगों के दिलों में आजादी की अलख जगाई, जिन्होंने आजादी का झंडा उठाया और इस रास्ते पर अपने जीवन की आहुति दी। यह बात अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के डॉ. मोइदुर रहमान ने सेंटर ऑफ कंटीन्यूइंग एंड एडल्ट एजुकेशन एंड एक्सटेंशन (सीसीएईई) में ‘सर सैयद और उनकी विरासत’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कही। व्याख्यान का आयोजन विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह के एक भाग के रूप में किया गया था।
कुरान और हदीस की व्याख्या में तर्क और तर्कसंगतता के उपयोग पर सर सैयद के जोर पर चर्चा करते हुए डॉ. रहमान ने बताया कि सर सैयद का मानना था कि धर्म और विज्ञान के बीच कोई अंतर नहीं है, बल्कि वे एक-दूसरे के पूरक हैं और तर्कसंगत बुनियादों पर जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं।उन्होंने कहा कि सर सैयद एक मुजतहिद थे जिन्होंने ज्ञान, तर्क और विवेक के आधार पर अपनी मान्यताओं की स्थापना की और अपने समय में प्रचलित परंपराओं, रीति-रिवाजों और विचारों के साथ कभी समझौता नहीं किया।
उन्होंने पूर्व और पश्चिम की ज्ञान प्रणाली की गहराई से जांच की और निष्कर्ष निकाला कि निर्विवाद प्रगति के लिए आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से परिचित होना और दुनिया पर शासन करने वाले विकसित समाजों के साथ प्रतिस्पर्धा करना है। डॉ. रहमान ने छात्रों से सर सैयद के विचार के मूल को आत्मसात करने का आग्रह किया, जो आत्म-सम्मान, आत्मनिर्भरता और आत्म-सहायता से चिह्नित है। उन्होंने कहा की वे अपने करियर की राह पर आत्म-विश्वास के साथ आगे बढ़ें। इससे पूर्व, केंद्र के निदेशक डॉ. शमीम अख्तर ने अतिथि वक्ता का स्वागत किया और बाद में धन्यवाद ज्ञापित किया।
एएमयू समुदाय की ‘कौशल दीक्षांत समारोह’ में ऑनलाइन सहभागिता
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने ऑनलाइन ‘कौशल दीक्षांत समारोह’ में भाग लिया, जो एएमयू के विभिन्न स्कूलों, विभागों और आवासीय हालों में आयोजित किया गया था, और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित वार्षिक कौशल दीक्षांत समारोह की लाइव कवरेज देखी।
अपने संबोधन में, श्री मोदी ने 21वीं सदी के शिक्षार्थियों की आकांक्षाओं के अनुरूप कौशल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कौशल दीक्षांत समारोह के पीछे हमारा उद्देश्य स्कूल-आधारित और कार्य-आधारित शिक्षा का मिश्रण करना, प्रतिभा का पोषण करना और छात्रों को अपने कौशल को दुनिया के सामने दिखाने में सक्षम बनाना है।
लाइव समारोह के दौरान, शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने कौशल विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए इस अवसर को संबोधित किया।
इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (पीएमकेके), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई), डीजीटी, पीएमकेवीवाई, संकल्प, प्रशिक्षु, आईआईई, निपुण, स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, एनआईएसबीयूडी और जनशिक्षण संस्थान (जेएसएस) सहित प्रतिष्ठित कौशल विकास संस्थानों के छात्रों ने भाग लिया।