संयुक्त किसान मोर्चा और संयुक्त ट्रेड यूनियन की ओर से लखनऊ में तीन दिवसीय किसान मजदूर महापड़ाव शुरु

Chanchal Varma
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*महापड़ाव में उतर प्रदेश के हर जिले से बड़ी संख्या में मजदूर और किसानों के जत्थे अपने अपने झंडे बैनर के साथ जोशीले नारे लगाते हुए शामिल हुए।*

अलीगढ मीडिया न्यूज़, लखनऊ 26 नवंबर। संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के फेडरेशनों के संयुक्त मंच के देशव्यापी आह्वान के तहत मोदी योगी सरकारों की किसान विरोधी मजदूर विरोधी नीतियों कॉर्पोरेटपरस्त सांप्रदायिक गठजोड़ के खिलाफ 26 से 28 नवंबर 2023 तक होने वाला महापड़ाव उत्तर प्रदेश में आज 26 नवंबर से ईको गार्डन लखनऊ में शुरू हुआ।

महापड़ाव  स्थल  पर हुई सभा में  किसान, मजदूर संगठनों के नेताओं ने कहा कि मोदी, योगी सरकारें किसानों. मजदूरों एवं जनता के अन्य हिस्सों से किए गए वादों से मुकर गई है। ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दौरान सभी फसलों की एमएसपी की गारंटी बिजली बिल वापसी आदि लिखित वादों से मोदी सरकार पलटी मार गई है कॉर्पोरेट हितों में चार श्रम संहिताओं को थोपकर मजदूर वर्ग के अधिकारों को छीनने की साजिश की जा रही है। सार्वजनिक क्षेत्र को निजी हाथों में बेचा जा रहा है संविधान और जनतन्त्र पर हमला हो रहा है आंदोलन के अधिकार सहित अन्य मूलभूत अधिकारों को छीना जा रहा है । जनता का ध्यान असली मुद्दों से हटाने के लिए सांप्रदायिक नफरत फैलाई जा रही है।

किसान  मजदूर  नेताओं ने कहा कि आज पूरे देश में हर प्रदेश की राजधानियों में तीन दिवसीय किसान मजदूर महापड़ाव हो रहे हैं। ये महापड़ाव ऐतिहासिक किसान आन्दोलन की वर्षगांठ पर अगली कड़ी के रुप में हो रहा है। मोदी सरकार ने ऐतिहासिक किसान आन्दोलन के दवाब में आकर मोदी सरकार को घुटने टेकने को मजबूर हुई और तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया। लिखित वायदा एमएसपी गारंटी कानून बनाने, निकीकरण के बिजली कानून को वापस लेने को आज तक पूरा नहीं किया है। लंबित मांगों को पूरा होने तक आंदोलन जारी रहेगा। 

मजदूर विरोधी चार लेवर कोड वापस लिए जाए। स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। न्यूनतम वेतन 26000 रूपये प्रति माह लागू किया जाए। रिक्त पदों पर भर्ती हो। निजीकरण की नीति बदली जानी चाहिए। 

वक्ताओं ने आगे बताया कि प्रधान मंत्री सबका साथ सबका विकास की बात बोल रहा है। लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। देश की आबादी के 85 फीसदी किसान और मजदूर है,  इनकी जिंदगी में विकास नहीं हो रहा है। पूंजीपतियो का विकास हो रहा है। अदानी अम्बानी का विकास हो रहा है। किसान मजदूर की हालात खराब है। गुजरात में मजदूर को दैनिक वेतन 241 रूपये मिल रहा है। महीने में 6000 रूपये किस का परिवार का गुजारा हो जाएगा क्या। न्यूनतम वेतन की मांग पूरी क्यों नहीं करता है? इतने कम रूपये में खाना, इलाज, शिक्षा की व्यवस्था कैसे होगी? गरीबी में भारत 111 वें स्थान पर है। न्यूनतम वेतन 26000 रुपए चाहिए। केरल में प्रवासी मजदूर को 850 रूपये प्रति दिन मिलता है। न्यूनतम वेतन की जगह चार लेवर कोड लाया है। जिसमें काम के घण्टे न्यूनतम वेतन की कोई गारंटी नहीं। मजदूरों को हड़ताल करने का अधिकार नहीं है। मजदूरों के सौदेबाजी के अधिकार को समाप्त कर रहा है। जबकि दुनियां के हर देश में है।

निजीकरण के रास्ते पर सरकार चल रही है। निजीकरण में सबको व न्यूनतम वेतन, पेंशन नहीं मिलेगा। पुरानी पेंशन अटल बिहारी बाजपेई सरकार बन्द कर गई। पुरानी पेंशन बहाली के लिए लोग लड़ रहे हैं। युवाओं के सपने पूरे नहीं हो रहे। सबको नोकरी नहीं मिल रही। 

खेती अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। सरकार खेती पर बीज, बिजली, खाद, कृषि उपकरण, पानी पर सब्सिडी खत्म कर दिया। गैस सिलेंडर महंगा है। खेती में सही दाम नहीं मिल रहा है। मात्र 6% लोगों को सब्सिडी मिल रही है। जबकि यह सब केरल की सरकार दे रही है। एमएसपी न देने से एक एकड़ खेती पर 30 हज़ार रुपए कम दिया जा रहा है। 6000 रूपये देकर सम्मान की बात कर रहा है। हमें एमएसपी गारंटी कानून चाहिए। खेती घाटे में होने के कारण किसान को कपड़े, इलाज, शिक्षा के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। कर्ज चुकाने के लिए खेत बेचकर प्रवासी मजदूर बनना पड रहा है। हर बड़े शहर में प्रवासी मजदूर की बड़ी संख्या कम मजदूरी में काम करने के लिए तैयार है। इसलिए मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा है। बेरोजगारी बढ़ रही है। किसान कानून वापस होने के बाद सरकार पीछे के दरवाजे से कृषि कानूनों को लागू कर रही है। किसानों, मजदूरों, खेतमजदूरों को लेकर दिल्ली में एकता बना कर आंदोलन किया। हमारा हक चहिए। हमे बांटने की कोशिश की जा रही है। हम मजदूर किसान,। कर्मचारी हिन्दू मुस्लिम में नहीं बंटेंगे। हिन्दू मुस्लिम एकता से अंग्रेजो को भगाया था। हम बीजेपी की साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की नीतियों के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे। जो मजदूर किसान की बात करेगा वो देश पर राज करेगा।

  महापड़ाव में जिले से संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य राज्य समन्वय समिति शशिकांत अलीगढ़, क्रांतिकारी किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष नगेन्द्र चौधरी, जिला उपाध्यक्ष सत्यवीर चौधरी, जिला उपाध्यक्ष अशोक नगोला, बीएमकएयू अध्यक्ष अशोक प्रकाश,  किसान सभा अध्यक्ष सूरज पाल उपाध्याय, इदरीश मोहम्मद, नेत्रपाल सिंह पप्पू सिंह,जगदीश सिंह, रघुराज सिंह, सुनील चौधरी, अर्जुनसिंह, भगवान सिंह, सुखवीर सिंह, सुरेशचंद, जुगेंद्र सिंह, नरेन्द्र पाल, मोहनलाल, रघुराज सिंह, राजूराम आदि किसान शामिल हुए।

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