अलीगढ मीडिया न्यूज़ ब्यूरो, अलीगढ| मंगलायतन विश्वविद्यालय में छात्र परिषद व कदम समूह की कमेटी का गठन हुआ। जिसमें छात्र परिषद का अध्यक्ष शशांक सिंह, उपाध्यक्ष आरती, सचिव राजुल, कोषाध्यक्ष अनन्या, शैक्षिक सचिव अजिता व आशुतोष, खेल सचिव शिवम व चेतना, सांस्कृतिक सचिव विपिन व नंदिनी, छात्रावास सचिव सुहास व नंदिनी, सदस्य शिवम, चंचल, रिजवान, अनन्या को चुना गया। वहीं कदम समूह का अध्यक्ष नितिन तिवारी, उपाध्यक्ष भव्या, सदस्य रिजवान, अनुराग, कैफ, देवेंद्र, पारुल को चुना गया।
नवगठित छात्र परिषद व कदम समूह के सदस्यों की कुलपति सभागार में कुलपति प्रो. पीके दशोरा के साथ बैठक हुई। कुलपति ने सभी पदाधिकारियों का परिचय प्राप्त करने के साथ ही बधाई दी। कुलपति ने कहा कि सभी पदाधिकारी विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को अपनी पहली प्राथमिकता में रखें। छात्र जीवन में धैर्य व संयम बहुत आवश्यक है। इससे हमारी शक्ति सकारात्मक कार्यों में व्यय होती है। परिषद के पदाधिकारियों ने शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए नियमित कक्षाओं का संचालन कराने, अनुशासन स्थापित कराने के साथ ही विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए सांस्कृतिक व खेल गतिविधियों का आयोजन कराने का आश्वासन दिया। वहीं कार्ययोजना तैयार करके आस-पास के क्षेत्र में सामाजिक गतिविधि चलाने का भी आश्वासन दिया। इस अवसर पर डायरेक्टर छात्र गतिविधि प्रो. सिद्धार्थ जैन, कोर्डिनेटर डा. सोनी सिंह, लव मित्तल, योगेश कौशिक आदि थे।
-कुलपति ने किया रामगोपाल सिंह की पुस्तक का विमोचनअलीगढ़। मंगलायतन विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक रामगोपाल सिंह की पुस्तक नोवल ड्रग डिलीवरी सिस्टम का विमोचन कुलपति प्रो. पीके दशोरा, प्रति कुलपति प्रो. सिद्दी विरेशम, परीक्षा नियंत्रक प्रो. दिनेश शर्मा, डीन एकेडमिक प्रो. अब्दुल वदूद सिद्दीकी ने किया। उन्होंने बधाई देते हुए उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
पुस्तक के लेखक और विश्वविद्यालय के बीफार्मा विभाग में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत रामगोपाल सिंह ने बताया कि यह पुस्तक बीफार्मा करने वाले विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम के आधार पर बनाई गई है। लेखन में डा. जितेंद्र गुप्ता, डा. रीना गुप्ता, डा. संध्या का सहयोग रहा है। उन्होंने बताया कि पुस्तक के माध्यम से विद्यार्थियों को दवाओं के सूक्ष्म कणों को परिवर्तित करने की नई तकनीक के संबंध में ज्ञान वर्धन होगा। जिससे विद्यार्थियों को प्रयोगशाला की गतिविधियों में नई तकनीकी का प्रयोग करने में आसानी होगी और दवाओं के थेराप्यूटिक्स लेवल को बढ़ाने में मदद मिलेगी।