अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ| प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार श्री सम्राट बंदोपाध्याय ने अपने संबोधन में स्वामी विवेकानन्द के उद्धरण ‘शिक्षा मनुष्य में पहले से मौजूद पूर्णता की अभिव्यक्ति है’ से की। उन्होंने सामाजिक गतिशीलता, आईईसी और माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के बारे में बात की।
हेल्प इज इंडिया के अन्य मानद् अतिथि श्री प्रेम पोद्दार ने अपने एनजीओ के बारे में बात की, जिसे वर्ष 1978 में शुरू किया गया था। हेल्पएज इंडिया 4 मुख्य कार्यक्रमों पर काम करता है, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल, आयु देखभाल और आजीविका, आपदा प्रतिक्रिया और वकालत तथा जागरूकता शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पहले आदर्श वाक्य ‘बड़ों के लिए काम करना’ था, लेकिन अब आदर्श वाक्य ‘बड़ों के साथ काम करना’ है।
इससे पूर्व, सेमिनार के निदेशक, समाज कार्य विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर नसीम अहमद खान ने गणमान्य व्यक्तियों, अतिथियों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि सेमिनार में ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड में लगभग 300 प्रतिभागियों भाग लिया।
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनूप कुमार भारतीय और तेलंगाना के डॉ. ताडेपल्ली नागेंद्र स्वामी ने विशेष अतिथि के रूप में इस अवसर की शोभा बढ़ाई। इस अवसर पर कुलपति एवं सभी गणमान्य अतिथियों द्वारा सार-संक्षेप की एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया।
कुलपति ने ‘सोशियो-बिहेवियरल टेक्नो-लीगल मीडिया डायमेंशनः ए मैनेजरियल बर्ड्स आई व्यू’ नामक पुस्तक का कॉन्सेप्ट नोट भी जारी किया, जिसके सह-लेखक श्री सम्राट बंदोपाध्याय, सहायक प्रोफेसर सामाजिक कार्य विभाग डॉ. मोहम्मद आरिफ खान और वाईपी-कानून, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार श्री अब्दुर रहमान मलिक हैं।
सेमिनार के संयोजक डॉ. कुर्रतुल ऐन अली ने सेमिनार का सिंहावलोकन प्रस्तुत किया। सेमिनार के सह-निदेशक डॉ. मोहम्मद ताहिर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सेमिनार के सह-संयोजक डॉ. मोहम्मद आरिफ खान ने संचालन किया।
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एएमयू में शिक्षण पद्धति पर पुनश्चर्या पाठ्यक्रम शुरू
अलीगढ़ 7 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर प्रमोशनल डेवलपमेंट ऑफ उर्दू टीचर्स (सीपीडीयूटी), जिसे उर्दू अकादमी के नाम से भी जाना जाता है, द्वारा ‘भाषा और साहित्य की शिक्षण पद्धति’ पर एक सप्ताह का पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजित किया गया।
मुख्य अतिथि, डीन छात्र कल्याण, प्रो. रफीउद्दीन ने विस्तार से बताया कि शिक्षकों को एक दयालु मार्गदर्शक के रूप में अपने विद्यार्थियों के साथ व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक जीवन भर के लिये अपने छात्रों के लिए आदर्श बन जाते हैं, इसलिए उन्हें शालीनता और विनम्रता के साथ अच्छा आचरण करना चाहिए और बेहतर तरीके से सेवा देने के लिए हमेशा नई चीजें सीखना चाहिए।
सीपीडीयूटी के निदेशक प्रो. कमरुल हुदा फरीदी ने कहा कि यह पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय स्कूलों के उर्दू शिक्षकों के लिए है जो उन्हें उर्दू की शिक्षण पद्धति में अपने कौशल विकसित करने में मदद करेगा। उन्होंने स्कूल शिक्षा निदेशालय और विश्वविद्यालय के स्कूलों के प्राचार्यों को उनके सहयोग और समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया।
रिसोर्स पर्सन प्रोफेसर तारिक छतारी, डॉ. राहत अबरार, डॉ. अबू स्वालेह भी इस अवसर पर उपस्थित थे। पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. रफीउद्दीन ने धन्यवाद ज्ञापन किया।