अलीगढ मीडिया डिजिटल, अलीगढ| केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी ने वर्ष 2024-25 का आम बजट लोकसभा में पेश किया । बजट प्रस्तावों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रभारी विवेक बंसल ने कहा है कि आंध्र प्रदेश और बिहार को विशेष आर्थिक पैकेज स्वागत योग्य है लेकिन इस बजट की सबसे बड़ी कमियां है जैसे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य, रासायनिक खाद की कीमतों में कोई कमी करने का प्रस्ताव, कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र का वित्तमंत्री जी ने कॉपी पेस्ट तो अच्छी तरह से किया है लेकिन किसी भी प्रस्ताव का क्रियान्वयन कैसे होगा इसका कोई संकेत उन्होंने नहीं दिया है, पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें यौं की तयों है । प्रतिवर्ष भारी संख्या में रेल दुर्घटनाएं हो रही हैं लेकिन इस स्थिति से बचने के लिए कोई भी दूरग्रामी योजना इस बजट में नहीं है, कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में बहुत सी जनहितकारी योजनाएं चलाई गई थी उनके ऊपर अब लगभग विराम लग गया है । कुल मिलाकर यह बजट सरकार बचाऊ है । इस बजट में किसानों के लिए कुछ भी नहीं है, युवा बेरोजगारों के लिए कुछ भी नहीं है, उस स्थिति में सरकार यह दावा कैसे कर सकती है कि यह बजट विकासपूरक है ।
केंद्रीय बजट किसानों के लिए सिर्फ़ छलावा : अशोक प्रकाश
अलीगढ मीडिया डिजिटल, अलीगढ | संयुक्त किसान मोर्चा और राष्ट्रीय किसानी मंच (एनएपीएम) से जुड़े संगठन बेरोजगार मजदूर किसान यूनियन के अध्यक्ष अशोक प्रकाश ने केंद्रीय बजट को किसानों के लिए एक निराशाजनक बजट कहा है। उन्होंने कहा है कि
वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन द्वारा पेश केन्द्रीय बजट सी-2+50% के आधार पर फसलों की एमएसपी, किसानों की कर्ज माफी, किसान पेंशन, कृषि उपकरणों से जीएसटी खत्म कर सस्ते उपकरण उपलब्ध कराने और किसान सम्मान निधि में वृद्धि जैसी किसानों की प्रमुख मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया। इससे यही पता लगता है कि सरकार को किसानों की कोई परवाह नहीं। सरकार ने 48 लाख करोड़ के कुल बजट में से कृषि सम्बंधित बजट के लिए केवल 1.52 लाख करोड़ (केवल 3%) का प्रावधान रखा है। इससे भी उसकी किसान-सम्बन्धी नीति और नीयत का पता चलता है। और तो और अधिक उत्पादन देने वाले बीज लाने की योजना के नाम पर उल्टे भारत की खेती में मोन्सेंटो जैसी कम्पनियों के जीएम बीजों की और घुसपैठ कराने की कोशिश कर रही है। विचित्र तो यह है कि एक तरफ सरकार एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती कराने की बात करती है, तो दूसरी तरफ भारत की खेती में जीएम बीजों के और अधिक प्रयोग के लिए छूट दे रही है।