अलीगढ़ मीडिया डिजिटल, अलीगढ़ | जिलाधिकारी विशाख जी0 के द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) मीनू राणा ने बताया है कि वर्तमान समय में वर्षा ऋतु के कारण सर्पदंश की घटनायें घटित हो रही है। सर्पदंश की घटनाओं से जनमानस को सुरक्षित रखने के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा बचाव हेतु एडवाइजरी जारी की जा रही है। उन्होनें बताया है कि सर्पदंश होने के पश्चात मानव शरीर को प्रभावित करने के लक्षण
तंत्रिका तन्त्र (जैसे मस्तिष्क) पर असर होना, आँखों में धुंधलापन आना व बेहोशी आना। सर्पदंश वाले स्थान पर तेज दर्द होना। उल्टी महसूस होना, पसीना होना। निगलने एवं बोलने में कठिनाई होना। सांस लेने में तकलीफ होना। डंक लगने के कारण मसूडों में रक्त आना, सूजन होना। सर्पदंश के स्थान पर लाल-लाल धब्बे होना। काटे गये स्थान पर जलन एवं दर्द, पेट में अत्यधिक दर्द। आन्तरिक कोशिकाओं एवं वाह्य कोशिकाओं में रक्तस्राव आदि के लक्षण हो सकते हैं।
जहरीले सर्प की पहचान -
यदि सर्प विषैला होगा तो सर्पदंश की स्थिति में शरीर में सर्पदंश के दो निशान बने होते हैं। जहरीले सर्प के दांतों के निशान शरीर में 2-7 मिमी तक गहरे हो सकते हैं। सर्प यदि जहरीला नहीं होगा तो शरीर में छोटे-छोटे कई निशान बने होंगे जो ज्यादा गहरे नही होंगे। विषैले सर्प के सिर की बनावट त्रिकोण आकार की होती है और विषहीन सर्प के सिर की बनावट लम्बी होती है।
सर्पदंश की स्थिति में क्या करें -
किसी भी प्रकार का प्राथमिक उपचार न करें। घाव को साफ पानी एवं साबुन से धोएं, किसी अन्य प्रकार का हस्तक्षेप न करें। सर्पदंश की सूचना मिलते ही तत्काल 108/1070/112 पर कॉल कर सूचना प्रेषित करें। सर्पदंश वाले अंग को स्थिर (फिक्स) रखें। पीडित व्यक्ति का सिर ऊंचा करके लिटाएं या बैठाएं। काटे हुये अंग को हृदय के लेवल से नीचे रखें। सर्वप्रथम रोगी, पीड़ित व्यक्ति को तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र ले जाएं ताकि यदि जहरीले सर्पदंश की स्थिति में एंटीस्नेक वेनम (एएसवी) का इंजेक्शन लग सके। सर्पदंश की स्थिति में प्रारम्भिक 30 मिनट से लेकर 03 घंटे का समय जीवन रक्षक होता है। पीड़ित व्यक्ति को आश्वस्त करें कि लगभग 80 से 90 प्रतिशत सांप गैर विषैले होते हैं। घबराहट से हृदय गति और खून का संचार तेज हो जाता है जिससे जहर सारे शरीर में जल्द फैल जायेगा। प्रभावित हिस्से के आस-पास यदि अंगूठियां, घड़ी, आभूषण, जूते व तंग कपड़े हों तो उन्हें हटा दें, ताकि शरीर में रक्त की आपूर्ति न रुके। सांप के रंग और आकार को देखने और याद रखने की कोशिश करें जिससे सांप के विषैलेपन का पता चल जाता है। स्वास्थ्य से जुड़ी सहायता के लिए अपने स्थानीय सीएचसी, पीएचसी से संपर्क करें। सांप काटने का समय नोट करें ताकि जरूरत पड़ने पर आपातकालीन कक्ष स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को इसकी सूचना दी जा सके।
सर्पदंश की स्थिति में क्या न करें-
घाव को काटकर जहर निकालने का प्रयास न करें। सर्प से प्रभावित व्यक्ति के कटे स्थान पर दुर्निकेट/डोरी/ रस्सी न बांधे, इससे संबंधित अंग में रक्त प्रवाह पूरी तरह रूक सकता है एवं संबंधित अंग की क्षति हो सकती है। जहर चूसने के लिए अपने मुँह का प्रयोग न करें। सांप के काटने पर बर्फ न लगाएं क्योंकि बर्फ रक्त संचार को अवरुद्ध कर सकती है। सांप काटने पर झाड-फूंक करने वाले से इलाज कराने में समय बर्बाद न करें। बर्फ अथवा गर्म पदार्थ का इस्तेमाल सर्पदंश वाले स्थान पर न करें।
सर्पदंश की घटना से बचने के लिए क्या करें, क्या न करें-
सर्प संभावित क्षेत्रों एवं स्थानों पर कार्य करते समय सदैव लकड़ी की छडी का प्रयोग करें एवं रात्रि में टॉर्च का प्रयोग करें। लंबी घास वाली जगह से दूर रहें। घास-फूस वाले स्थानों पर जाना आवश्यक हो तो बूट या जूतोंका प्रयोग करें। पानी में तैरते समय सांपों से सावधान रहें। सांप को अपने आस-पास देखने पर धीरे-धीरे उससे पीछे हट जाएं। सांप को पकड़ने या मारने की कोशिश न करें, क्योंकि सभी सर्प आत्मरक्षा के लिए काटते हैं,सतर्क रहें, मलबे या अन्य वस्तुओं के नीचे सांप हो सकते हैं। वर्षा ऋतु में रात्रि में नीचे जमीन पर सोने से बचें। वर्षा ऋतु में घर के आसपास लम्बे समय से रखे स्थिर सामान के नीचे सर्प के होने की संभावना सबसे अधिक होती है। सॉप के बिल के आसपास कार्बाेलिक एसिड डाल दें, उसके गंध से सॉप दूर हो जाते हैं। मुर्गी के चूजे और चूहों को घरों से दूर रखें।