अलीगढ मीडिया डिजिटल, अलीगढ़। जमालपुर ईदगाह के पास अनूपशहर रोड अलीगढ़ पे हर वर्ष आयोजित होने वाला वार्षिक मिलाद तालीम ए इस्लाम कांफ्रेंस का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता खानकाह मारहरा शरीफ के सज्जादा मौलाना सय्यद अमीन मियां बरकाती और सह अध्यक्ष मौलाना सय्यद अमान मियां कादरी (अलबरकात इस्लामिक रिसर्च इंस्टीट्यूट) अलीगढ़ ने की।
जामिया अशरफिया मुबारकपुर से आए अध्यापक मौलाना मसूद अहमद बरकाती ने बरकाती पैगाम "आधी रोटी खाइए और बच्चों को पढ़ाइए" का सही अर्थ समझाते हुए कहा कि यदि हम शिक्षा के बिना जीवन व्यतीत करेंगे तो ये ऐसा ही है कि हम ने पेड़ तो लगाया मगर उसको खाद पानी से दूर रखा, आज समाज में जितनी भी बुराइयां नज़र आती हैं वो सभी सिर्फ इसलिए हैं कि हमने शिक्षा पर ध्यान देना कम कर के अपने छोटे बड़ों की तरफ जिस तरह से व्यवहार रखना चाहिए हम नहीं रखते।
कुरान और हदीस में भी शिक्षा की महत्ता पर बल देते हुए हर व्यक्ति को उसके उचित स्थान और सम्मान की बात कही गई है। हमारे नबी से लेकर उनके बाद आने वाले नायबीन सब ने तालीम के ऊपर काम किया और तालीम के आधार पर बड़े बड़े काम किए।
संस्थापक सुन्नी दावते इस्लामी मुम्बई मौलाना शाकिर अली नूरी ने भी बड़े अच्छे अंदाज में लोगों के हक़ के बारे में इस्लाम क्या कहता है वो बताया और कहा कि आप सबको अपनी अपनी ज़बान की हिफाज़त करनी है कभी कोई ऐसा शब्द नहीं कहना चाहिए जिस से सामने वाले के सम्मान को ठेस पहुंचे। जिस की ज़बान अच्छी होती है उसके साथ हमेशा अच्छे लोग होते हैं इसके लिए एक उदाहरण ये कि जब आप किसी दुकान पे जाएं तो दुकान वाला आपको सम्मानित और अच्छे व्यवहार के साथ सामान न दिखाता हो और आप पसंद नहीं आने पर वापस आएं तो वो बुदबुदा सा जाए तो आप अगली बार उसके वहां जाने से बचते हैं मगर वहीं जो दुकानदार मुस्कुराते हुए आपके सामने अपने एक एक सामान को दिखाता हो, पसंद न आने पे मीठी ज़बान में ये कहे कोई बात नहीं कल नया मॉल आएगा आप कल आ जाएं तो आप अगली बार कभी मौका मिला तो मुस्कुराहट और सम्मान देने वाली दुकान पे जाएंगे।
दिन भर के कारोबार से थक हार कर जब आप अपने घर पर भी जाएं तो आप मुस्कुराएं और सभी की हंसते हुए खैरियत पूछने के साथ दाखिल हों बच्चों को प्यार करें तो ऐसे लोगों का घर कभी बर्बाद नहीं होता।
कभी किसी के साथ सफर/यात्रा करें तो भी उनके साथ मीठा तरीका रखें जिस से सफर खत्म होने के बाद वो कहे कितना अच्छा सफर का साथी था। इस तरह से अच्छे अखलाक और मीठी ज़बान की तरफ आने की दावत देते हुए बड़े से बड़े दुश्मन को भी दोस्त किया जा सकता है क्योंकि इस मीठी ज़बान में खुदा ने हड्डी नहीं रखी लचक दी है और इसकी हिफाज़त के लिए इसको बत्तीस दांतों के बीच में रखा कि हम इसकी हिफाज़त कर सकें।
मौलाना राशिद रज़ा मरकजी, मैकश रामपुरी और सय्यद फुरकान अली कादरी ने नात पढ़ी। संचालन: हाफ़िज़ सैफ रज़ा (रामपुर) ने किया।
आखिर में सलाम पढ़ा गया उसके बाद सभी की सलामती के लिए, सबके कारोबार के लिए, सभी के घर मकान में खुशहाली तथा देश के अमन चैन के लिए खास दुआएं की गईं। इस अवसर पर शिक्षा क्षेत्र में आयोजित हुई अलग अलग प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी प्राप्त किए छात्रों को पुरस्कृत भी किया गया। तथा सभी मेहमानों को अवार्ड तथा शाल दे कर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर प्रोफेसर मोहम्मद काफी, हाफिज शमशाद अजमल, मोहम्मद अज़हर नूर आज़मी (आयोजक), मौलाना हाफिज तारिक रज़ा, मौलाना हसन, हाजी नूर मोहम्मद सेक्रेटरी, परवेज़ हसन, फर्रुख हसन, मोहम्मद फहीम रज़ा, अब्दुल्ला, हाफिज मुशर्रफ समेत शहर के गणमान्य उपस्थित थे।
आखिर में आयोजक मोहम्मद अज़हर नूर आज़मी ने आए सभी मेहमान, जिला प्रशासन, पुलिस विभाग तथा सभी साथ साथ रहे सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।