अलीगढ मीडिया डिजिटल,अलीगढ| आरटीई (RTE) के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश पाने वाले बच्चों को ड्रेस और किताबों के लिए सरकार द्वारा 5,000 रुपये दिए जाते हैं, जो अभिभावकों के खाते में जमा किए जाते हैं लेकिन अलीगढ जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग गरीब बच्चो के अभिभावकों के कहते में हर साल आने वाली इस धनराशि को डकार गया| जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अलीगढ मीडिया डिजिटल ने इस बाबत सवाल किया तो उन्होंने बताया की सभी बच्चो के कहते में पैसा ३१ जुलाई को ही भेजा जा चुका है|
असल में आरटीई (RTE) के तहत मुफ्त में निजी स्कूलों में पढ़ने पाने वाले बच्चों को ड्रेस और किताबों के लिए सरकार द्वारा 5,000 रुपये दिए जाते हैं, जो अभिभावकों के खाते में सीधे जमा किए जाते हैं| लेकिन अलीगढ जनपद में कोरोना काल के बाद किसी भी बच्चे के अभिवाभाक को यह लाभ बेसिक शिक्षा विभाग नहीं दे रहा है| हालांकि पडोसी जनपदों में इसका लाभ छात्रों को मिल रहा है| शिक्षा का अधिकार अधिनियम-२००५ के तहत जनपद में हर साल हजारो बच्चो को निजी स्कूलों में प्रवेश दिया जाता है| सरकार ऐसे सभी छात्रों को इस अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में पढ़ाई करते है उनकी किताबो और ड्रेस के लिए सरकार हर साल उनके अभिभावकों के बैंक खाते में पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद भेजती है| जिसका भुगतान करने का जिम्मा जिले के बेसिक शिक्षा विभाग का है| ज्यादातर इस धनराशि को वित्तीय वर्ष की समाप्ति होने से पहले कर दिया जाता है है| इतना ही नहीं ३१ मार्च तक इस धनराशि का भुगतान नहीं हुआ तो फिर बच्चे के अभिवाभाक इस लाभ से बंचित रह जाते है| इस साल अलीगढ जनपद में दो करोड़ से ज्यादा की धनराशि सरकार ने ऐसे बच्चो के अभिवाभाको के खाते में भेजने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग अलीगढ को आवंटित की थी लेकिन विभाग ने किसी भी बच्चे के अभिभावक के खाते के पैसे नहीं भेजे है|