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सांकेतिक छायाचित्र |
अलीगढ मीडिया डिजिटल, लखनऊ - विवाह के बाद पति-पत्नी के बीच असाधारण परिस्थितियों में मुश्किलों व उत्पीड़न झेल रहे जोड़ों के लिए हाईकोर्ट ने राहत दे दी है। शादी से तंग आकर तलाक की अर्जी दाखिल करने वाले पति पत्नी के लिए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हिन्दू विवाह अधिनियम में एक अहम निर्णय स्पष्ट किया है। जिसमें दंपति विवाह के एक वर्ष के पश्चात ही तलाक की माँग कर सकता है।
दरअसल हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार सामान्यतः विवाह के एक वर्ष तक तलाक की प्रतीक्षा अवधि का प्रावधान है। लेकिन हाल ही में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस निर्णय में संशोधन किया है। जिसमें याची पति या पत्नी वैवाहिक जीवन में असाधारण कठिनाई का सामना कर रहे हों अथवा उत्पीड़न में हों तो एक वर्ष प्रतीक्षा अवधि खत्म की जा सकती है।
इसी आधार पर परिवार न्यायालय ने एक दम्पति के आपसी समझौते के आधार पर दाखिल तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। यह निर्णय न्यायमूर्ति विवेक चौधरी, बृजराज सिंह की पीठ ने अम्बेडकर नगर निवासी पति की अपील पर पारित किया। अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी, कि हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13-बी आपसी समझौते के आधार पर विवाह विच्छेद का प्रावधान करती है। हालांकि धारा 14 स्पष्ट करती है कि मुकदमा विवाह के एक वर्ष के बाद ही लाया जा सकता है, लेकिन धारा 14 का ही परंतुक स्पष्ट करता है। जिसके तहत दंपति तलाक का मुकदमा दाखिल कर सकते हैं।