HIV पॉजिटिव पुलिसकर्मी को अस्पताल ने निकाला बाहर, इलाज से इनकार, स्ट्रेचर पर तड़पता रहा जवान पुलिसकर्मी

Aligarh Media Desk
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अलीगढ मीडिया डिजिटल, अलीगढ़: जनपद की सीमा में हुए भीषण सड़क हादसे ने न सिर्फ कई जिंदगियां लील लीं, बल्कि एक घायल पुलिसकर्मी के साथ हुई अमानवीयता ने चिकित्सा नैतिकता और कानून दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। थाना लोधा क्षेत्र में गुरुवार को फिरोजाबाद से मुजफ्फरनगर पेशी पर ले जाए जा रहे एक कुख्यात गैंगस्टर को लेकर जा रही पुलिस की गाड़ी सड़क हादसे का शिकार हो गई। इस दर्दनाक हादसे में चार पुलिसकर्मियों समेत पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि एक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गया।

इसी घायल पुलिसकर्मी को ईलाज के लिए तत्काल जीवन ज्योति निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन जब इलाज के दौरान उसकी HIV पॉजिटिव रिपोर्ट सामने आई, तो अस्पताल प्रशासन ने इलाज से इनकार कर दिया। परिजनों के अनुसार, अस्पताल ने न केवल जवान को स्ट्रेचर समेत बाहर निकाल दिया, बल्कि किसी अन्य अस्पताल में रेफर तक करने की कोशिश नहीं की।

घायल जवान सुबह से अस्पताल के बाहर स्ट्रेचर पर पड़ा तड़पता रहा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। यह मामला अब मानवाधिकार और चिकित्सा के पेशे की नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।

यहाँ गौरतलब है कि HIV और AIDS (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 2017 के तहत किसी भी मरीज को सिर्फ उसकी बीमारी के आधार पर चिकित्सा सुविधा से वंचित करना कानूनन अपराध है। इसके बावजूद न तो अस्पताल पर कार्रवाई हुई और न ही प्रशासन की ओर से कोई ठोस हस्तक्षेप। परिजनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार लगाई है और दोषी अस्पताल के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। क्या इंसानियत और कानून के ऊपर अब भी लापरवाही भारी पड़ेगी? घटना ने चिकित्सा नैतिकता और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं।

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