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एएमयू की बड़ी खबरे| अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में एएमयू शिक्षक सत्र की अध्यक्षता

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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ़। अलीगढ़ 14 मईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रोफेसर सैयद तारिक मुर्तजा शिक्षा विभाग के नए अध्यक्ष होंगे। वह 16 मई को वर्तमान विभागाध्यक्ष प्रो. जमीर उल्लाह खान से कार्यभार ग्रहण करेंगे। प्रोफेसर तारिक का कार्यकाल तीन वर्ष के लिए होगा।



अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में एएमयू शिक्षक सत्र की अध्यक्षता

अलीगढ़ 14 मईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वेस्ट ऐशियन स्टडीज़ एण्ड नार्थ अफ्रीकन स्टडीज विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज का कहना है कि ‘इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बहरीन, सूडान और मोरक्को के बीच अगस्त और दिसंबर, 2020 के बीच हस्ताक्षरित अब्राहम समझौते का राजनीतिक एजेंडा का उद्देश्य राजनयिक संबंधों को सामान्य करना तथा बड़े पैमाने पर ईरान के प्रभाव को नियंत्रित करना था। उन्होंने कहा कि इस्राइल के प्रभावों के प्रतिरोध के विरूद्व यह समझौता न केवल इज़राइल और उसके लोगों के लिए एक जीत है, बल्कि यह अन्य खाड़ी देशों पर सऊदी अरब के नियंत्रण में  उल्लेखनीय बदलाव का परिचायक है।


प्रोफेसर गुलरेज जेएनयू, नई दिल्ली के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के सेंटर ऑफ वेस्ट एशियन स्टडीज द्वारा ‘ग्लोबल पावर ट्रांजिशन एंड इवॉल्विंग रीजनल आर्किटेक्चर इन वेस्ट एशिया, ईरानी एंड इंडियन पर्सपेक्टिव‘ पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में उद्घाटन भाषण दे रहे थे। उन्हें ‘अब्राहम समझौते या क्षेत्र में कलह‘ विषय पर सत्र की अध्यक्षता करने के लिए आमंत्रित किया गया था।


प्रोफेसर गुलरेज़ ने अरब दुनिया में 2011 के विद्रोह के बाद पश्चिम एशिया की अस्थिर भू-राजनीति और सत्ता के अस्थिर संतुलन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा 2015 के परमाणु समझौते की अस्वीकृति को फारस की खाड़ी के आसपास इजरायल और अरब राज्यों के बीच राजनीतिक संबंधों को प्रभावित करने वाले उत्प्रेरक के रूप में देखा जाना चाहिए।


उन्होंने कहा कि इस परिदृश्य में, भारत को अरब की खाड़ी और इज़राइल के बीच एक बहुत ही नाजुक और संतुलित भूमिका निभानी होगी क्योंकि लगभग 8.5 मिलियन भारतीय खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों में रहते हैं, और भारत में प्रेषण का 55 प्रतिशत अकेले इन देशों से आता है। भारत हाइड्रोकार्बन आपूर्ति का लगभग दो-तिहाई जीसीसी देशों से आयात करता है।


उन्होंने कहा कि भारत ने संयुक्त अरब अमीरात और इज़राइल के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना का स्वागत किया है। बहरहाल, यह भी स्पष्ट किया है कि वह फिलिस्तीन का समर्थन करना जारी रखेगा।


प्रोफेसर गुलरेज ने कहा कि हालांकि, फुलप्रूफ ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, भारत को सऊदी अरब, छह जीसीसी राज्यों के अन्य सदस्यों के साथ-साथ ईरान के साथ इस क्षेत्र के देशों के साथ विशेष संबंध बनाने चाहिए, जिनके साथ इसके लंबे समय तक चलने वाले सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध हैं।


वेबिनार का उद्घाटन इस्लामी गणतंत्र ईरान के राजदूत एच.ई. डा अली चेगानी ने किया और मुख्य भाषण प्रोफेसर गिरजेश पंत, पूर्व कुलपति, जीएसएस विश्वविद्यालय और दून विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया।


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प्रो. तारिक अध्यक्ष नियुक्त

अलीगढ़ 14 मईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रोफेसर सैयद तारिक मुर्तजा शिक्षा विभाग के नए अध्यक्ष होंगे। वह 16 मई को वर्तमान विभागाध्यक्ष प्रो. जमीर उल्लाह खान से कार्यभार ग्रहण करेंगे। प्रोफेसर तारिक का कार्यकाल तीन वर्ष के लिए होगा।

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एमएससी छात्रों के लिए करियर ओरिएंटेशन प्रोग्राम आयोजित


अलीगढ़ 14 मईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्लांट प्रोटेक्शन विभाग ने एमएससी छात्रों के लिए एक दिवसीय करियर ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया।


छात्रों को संबोधित करते हुए प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट अधिकारी-जनरल श्री साद हमीद ने कहा कि जागरूकता और ज्ञान की कमी के कारण छात्र अपने करियर का रोडमैप तैयार नहीं कर पाते और परिणामस्वरूप वे जाब प्रोफाइल में फिट नहीं हो पाते हैं या अपने चुने हुए क्षेत्र में एक सफल करियर बनाने में सफल नहीं होते हैं।


उन्होंने कहा कि प्लेसमेंट एक शिक्षा उपरान्त प्रक्रिया है और असली चुनौती छात्रों को करियर के विभिन्न अवसरों से अवगत कराना और उन्हें इसके लिए तैयार करना है।


इससे पहले, प्रोफेसर पी.क्यू रिज़वी (अध्यक्ष, प्लांट प्रोटेक्शन विभाग) ने स्पीकर का स्वागत किया और बाद में धन्यवाद ज्ञापित किया।


प्रोफेसर रईस अहमद (डीन, कृषि विज्ञान संकाय), प्रोफेसर मुजीबुर रहमान खान, प्रोफेसर इकबाल अहमद (कृषि सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग), डा रिजवान अली अंसारी, डा जियाउल हक़, डा सैयद कामरान अहमद और डा मजूरूल हक अंसारी और स्नातकोत्तर छात्र इस अवसर पर उपस्थित थे।


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वन्यजीव संरक्षण में महिलाओं की भूमिका पर व्याख्यान


अलीगढ़, 14 मईः एक प्रसिद्ध प्रकृतिवादी, एएमयू वन्यजीव विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के पूर्व निदेशक डा असद रफी रहमानी ने वन्यजीव संरक्षण में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला और महिलाओं द्वारा भारत में की गई संरक्षण पहल की कहानियों को साझा किया। वन्यजीव विज्ञान विभाग, एएमयू द्वारा आयोजित आमंत्रित व्याख्यान में बोलते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं के पास संरक्षण निर्णय लेने में भाग लेने की इच्छा और ज्ञान है, लेकिन वर्तमान में सामुदायिक संरक्षण अभ्यास से हाशिए पर हैं। हमारा तर्क है कि सफल समुदाय-आधारित वन्यजीव संरक्षण के लिए अनुसंधान और कार्यवाही में महिलाओं को शामिल करना महत्वपूर्ण है।


डॉ रहमानी ने कहा एक अवसर को देखते हुए बिहार की श्रीमती जमाल आरा भारत की पहली महिला पक्षी विज्ञानी थीं, जिन्होंने पक्षियों पर 50 से अधिक वैज्ञानिक पत्रों का योगदान दिया।


छात्रों को गंभीरता से अध्ययन करने और भारत में वन्यजीव संरक्षण समस्या को हल करने में योगदान देने के लिए प्रेरित करते हुए, उन्होंने कहा कि अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी वह सक्रिय रूप से संरक्षण गतिविधियों में लगे हुए हैं, विशेष रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, लेजर फ्लोरिकन और सारस जैसी कई प्रजातियों को बचाने के प्रयास कर रहे हैं।



प्रोफेसर अफीफुल्ला खान (अध्यक्ष, वन्यजीव विज्ञान विभाग) ने छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अतिथि वक्ता का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि डॉ रहमानी का भारत में वन्यजीव संरक्षण पर काम करते हुए चालीस से अधिक वर्षों का शानदार करियर रहा है।


इस अवसर पर छात्रों एवं शोधार्थियों के अलावा डॉ शरद कुमार, डॉ कलीम अहमद, डॉ अहमद मसूद और डॉ सतीश कुमार अन्य शिक्षक उपस्थित थे। डॉ उरूस इलियास ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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