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AMU: आरएम हॉल में नव प्रवेशित आवासीय छात्रों के साथ इंटरएक्टिव सत्र का आयोजन

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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और आवासीय छात्रावास, सर रॉस मसूद (आरएम) हॉल की प्रशासनिक टीमों ने एक ‘इंटरएक्टिव सत्र‘ में हॉल के नवप्रवेशित आवासीय छात्रों को विश्वविद्यालय के छात्रावासों के जीवन व परम्पराओं के बारे में जानकारी दी।


इंडक्शन प्रोग्राम में नए छात्रों, सीनियर्स और मेहमानों का स्वागत करते हुए, मेजर मोहम्मद इसराइल (प्रोवोस्ट, आरएम हॉल) ने एएमयू की शानदार परम्पराओं और संस्कृति के साथ रहने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों को छात्रावास के कर्मचारियों से परिचित कराया, जिन्हें नए सत्र के लिए विभिन्न जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं और एएमयू में शैक्षिक गुणवत्ता और परिसर के जीवन के बारे में बताया गया।


जेएन मेडिकल कालिज के प्रोफेसर नैयर आसिफ (डिप्टी डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर) ने कहा कि ‘हॉस्टल लाइफ सीनियर्स और जूनियर्स के साथ मज़बूत संबंध बनाने और और मधुरता के साथ जीने का मौका देता है।‘उन्होंने नवागंतुक छात्रों को विभिन्न छात्रवृत्तियों का लाभ उठाने के बारे में भी जानकारी दी।प्रोफेसर शकील अहमद (डिप्टी डीएसडब्ल्यू) ने नए छात्रों से एएमयू संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने का आग्रह किया।


प्रोफेसर हशमत अली खान (डिप्टी प्रॉक्टर) ने नए हॉल छात्रों को एएमयू के नियमों और विनियमों से अवगत कराया।


डा खुर्शीद आलम, अब्दुल फहीम, डा जमाल अहमद, डा फुरकान, मोहम्मद शाहवर खान, डा फरमान अली सहित वरिष्ठ छात्र निवासियों के साथ वार्डन की टीम ने भी छात्रों के साथ बातचीत की।डा. मोहम्मद तौफ़ीक़ (जनरल वार्डन) ने धन्यवाद ज्ञापित किया।


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एएमयू के वन्यजीव विज्ञान विभाग ‘जैव विविधता संरक्षण‘ पर वेबिनार


अलीगढ़, 27 मईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान विभाग के तत्वाधान में ‘जैव विविधता संरक्षण‘ पर आयोजित वेबिनार में विषय विशेषज्ञों ने सतत विकास के लिए संसाधन प्राप्त करने के लिए जैव विविधता के संरक्षण और प्रबंधन पर चर्चा की।वेबिनार का आयोजन ‘अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस‘ के अवसर पर किया गया।


मुख्य भाषण में, डा पी.के माथुर (पूर्व डीन, वन्यजीव विज्ञान संकाय, भारतीय वन्यजीव संस्थान) ने जैव विविधता संरक्षण की रणनीतियों और अवधारणाओं का पता लगाने के लिए जैव विविधता और इसके संरक्षण पर एक विस्तृत चर्चा की। 


उन्होंने कहा कि ‘जैव विविधता वह स्तंभ है जिस पर सभी ग्रह के जीवन के लिए एक स्थायी भविष्य का निर्माण किया जाना चाहिए और जैविक संसाधनों की रक्षा के महत्व और हमारे पर्यावरण को आकार देने वाली वैश्विक जैव विविधता के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना अनिवार्य है।


डा. बिवाश पांडव (निदेशक, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी, मुंबई) ने लुप्तप्राय, रॉयल बंगाल टाइगर के संरक्षण के बारे में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि हमें न केवल सतत विकास के लिए पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों की विभिन्न प्रजातियों को बचाने की आवश्यकता है, बल्कि उनमें से प्रत्येक की आनुवंशिक विविधता के साथ-साथ हमारे ग्रह को बनाने वाले पारिस्थितिक तंत्र की महान विविधता भी है।


डा दिवाकर शर्मा (निदेशक, राष्ट्रीय संरक्षण कार्यक्रम, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया) ने जैव विविधता संरक्षण में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका के बारे में बात की और डा खुर्शीद के खान ने भारत के सबसे नाजुक क्षेत्रों में से एक दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता पर चर्चा की।


स्वागत भाषण में, प्रोफेसर जमाल ए खान ने जैविक विविधता के संरक्षण में चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत के विभिन्न जैव भौगोलिक क्षेत्रों में लुप्तप्राय प्रजातियों के बारे में बात की और 1988 में ‘भारत में संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क की योजनाः नामक दस्तावेज तैयार करने के लिए श्री एच एस पंवार और डा डब्ल्यू ए रॉजर्स को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसने जैव विविधता संरक्षण के लिए एक नींव प्रदान की है।


डा नाज़नीन ज़हरा (कार्यक्रम की आयोजन सचिव) ने अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के महत्व को विस्तार से बताया और धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

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