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दर्जनों मुकद्दमें दर्ज होने के बावजूद भी कैसे गरीबों के हक को डकार रहे है दो माफिया.. पढ़िए

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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ| कई साल पहले से घोषित राशन माफिया हरियोम गुप्ता और सुबोध बंसल के कई ट्रक चावल और गोदाम को प्रशासन द्वारा क्लीन चिट कैसे दे दी गई। हालांकि, हरियोम गुप्ता और सुबोध बंसल पर पहले से ही जिले के विभिन्न थानों क्षेत्रों में एक दर्जन के करीब मुकदमे दर्ज हैं। कई बार वह पूर्ति विभाग की छापेमारी में भी दोनों माफिया रंगे हाथों पकड़े गये है और उनसे  सैकड़ों कुंतल राशन बरामद हुआ है। फिर भी आज तक दोनों चावल माफियाओं को जेल नहीं भेजा गया है,जिसके चलते दोनों के विभिन्न स्थानों पर चावल खरीदने के लिये अपने अवैध रूप से गोदाम बना लिये हैं। ऐसे गरीबों के हक पर डाका डालने वालों की अवैध रूप से धन अर्जित कर एकत्रित अथाह सम्पत्तियों पर भी बाबा जी का बुल्डोजर चलना चाहिये।


...जिले में टाप राशन माफिया घोषित

प्रशासन की तरफ से पूर्व से ही जिले में टाप दस राशन माफिया घोषित हैं। इसमें हरियोम गुप्ता और सुबोध बंसल शामिल हैं। अब पिछले दिनों पूर्ति विभाग की टीम को शिकायत मिली थी कि थाना मडराक क्षेत्र के वन चेतना केन्द्र से माफिया हरियोम गुप्ता कालाबाजारी के लिए राशन का चावल ले जाया जा रहा है। इस पर टीम तत्काल मौके पर पहुंच गई। यहां पर एक ट्रक चावल कब्जे में ले लिए गए।


...दर्ज हैं कई मुकदमे

राशन माफिया हरियोम गुप्ता व सुबोध बंसल पिछले काफी समय से प्रशासन की रडार पर है। इनके खिलाफ अलग-अलग थानों में कई मुकदमे दर्ज हैं। तत्कालीन एसडीएम ने भी इसके गोदामों पर छापेमार कार्रवाई की थी। इसमें कई बार तो रंगे हाथों ही गोदामों में राशन पकड़ा गया था।

मडराक और अकराबाद क्षेत्र में राशन की कालाबाजारी के लिये मुफीद साबित हो रहा है। अब हरियोम गुप्ता ने दाऊद खां रेलवे स्टेशन ओवर ब्रिज के पास अपना सरकारी राशन के चावल खरीदने और ट्रकों की लोडिगं कराई जा रही है तो वहींरांहिना सिंहपुर अलीगढ़ धर्म कांटे पर,नानऊ सहित कई स्थानों पर सुबोध बंसल और हरियोम गुप्ता ने अपने ठिकाने गोदाम के रूप में बना रखे हैं जहां से रात्रि में सरकारी राशन के चावल को ट्रकों में लोड़ कर सप्लाई कर दिया जाता है। यहां के अधिकतर मामलों में गिने चुने चर्चित आढ़तियों की भूमिका भी कहीं न कहीं सामने आ ही जाती है। अभी कुछ दिनों पहले आढ़त से जुड़े हरियोम गुप्ता पर भी मुकदमा हुआ था। आढ़त की आड़ में ही कुछ लोग इस धंधे में लगे हैं। गांव-गांव के लोगों से खरीदकर राशन यहां पहुंचता है।

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