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अलीगढ़| एएमयू में नेत्रहीन, विकलांग और मदरसा छात्रों के साथ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया

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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ़| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एथलेटिक ग्राउंड पर लगभग ढ़ाई हज़ार छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों एवं अन्य लोगों ने शारीरिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित एवं शिक्षा मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों में 8वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उत्सव में भाग लिया। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को इस वर्ष ‘योग फार ह्यमैनेटी‘ के अंर्तगत मनाया गया।


कार्यक्रम की शुरुआत एएमयू के एथलेटिक्स ग्राउंड पर सुबह 5ः45 बजे कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर के आगमन के साथ हुई। शारीरिक शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सैयद तारिक मुर्तजा ने कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर व गणमान्य व्यक्तियों और अन्य प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरुआत में, सभी प्रतिभागियों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के राष्ट्रीय कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देखा और भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी का लाइव भाषण सुना।


कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर ने उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुऐ जोर दिया कि योग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए योग का नियमित अभ्यास आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि योग दिन-प्रतिदिन के तनाव से निपटने का एक उत्कृष्ट माध्यम है। तत्पश्चात, एएमयू शिक्षकों, छात्रों व कर्मियों, विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों और मदरसों एवं अन्य प्रतिभागियों द्वारा विशेषज्ञों के निर्देश में विभिन्न प्रकार के योग आसनों का अभ्यास किया गया। इस आयोजन का प्रमुख आकर्षण दृष्टिबाधित और विकलांग छात्रों की भागीदारी थी। 200 से अधिक संख्या में मदरसों के छात्रों ने भी 8वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में उत्साह के साथ भाग लिया। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के इस कार्यक्रम को लगभग 5000 से अधिक लोगों ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव देखा।


कार्यक्रम के दौरान डा मंसूर अली खान ने विभिन्न योग आसनों के लाभों पर प्रकाश डाला। शारीरिक शिक्षा विभाग के छात्र पुष्पेंद्र, नेहा और मुजाहिद ने मंच पर विभिन्न आसनों का प्रदर्शन किया।


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भौतिकी विभाग ने परमाणु यंत्रीकरण पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया

अलीगढ़, 21 जूनः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग द्वारा ‘परमाणु यंत्रीकरण‘ विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें शोधार्थियों ने भाग लिया।

विभाग के प्रमुख और डीएसटी परियोजना के प्रधान अन्वेषक प्रोफेसर बीपी सिंह ने कहा कि ‘वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) की अवधारणा में नागरिकों के जीवन में सुधार करते हुए समाज को मौलिक रूप से बदलने और इसे टिकाऊ बनाने की क्षमता है।

प्रोफेसर ईसार अहमद रिजवी ने वैज्ञानिकों और शिक्षकों की सामाजिक जिम्मेदारी का उल्लेख करते हुए सामान्य रूप से देश में प्रायोगिक परमाणु भौतिकी के क्षेत्र में और विशेष रूप से एएमयू के भौतिकी विभाग की उपलब्धियां और कार्याें पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि ‘वैज्ञानिक सामाजिक जिम्मेदारी वैज्ञानिक समुदाय के बीच नैतिक जिम्मेदारी पैदा करेगी तथा सामाजिक उद्यमिता और विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रणाली को प्रभावित करने वाले स्टार्ट-अप का वातावरण तैयार करेगी‘। यह नीति संस्थानों के मौजूदा प्रयासों को व्यवस्थित और टिकाऊ तरीके से मजबूत करेगी।‘

प्रोफेसर बीपी सिंह ने विकिरण के महत्वपूर्ण विषय पर भी बात की। डा. मुहम्मद शोएब ने बीटा पार्टिकल स्पेक्ट्रम पर प्रस्तुति दी।


प्रतिभागियों ने भौतिकी विभाग की विशेष परमाणु प्रयोगशाला का दौरा किया और बीटा कण स्पेक्ट्रम की रिकॉर्डिंग और विश्लेषण में प्रशिक्षण प्राप्त किया। अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। एम शारिक असनेन ने कार्यक्रम का संचालन किया और अशफाक मजीद ने धन्यवाद ज्ञापित किया।


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इस्लामी अध्ययन विभाग में विदाई समारोह

अलीगढ़, 21 जूनः सांस्कृतिक गतिविधियां यूजीसी के शैक्षिक मिशन का एक प्रमुख हिस्सा हैं। परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना यूजीसी के शैक्षिक मिशन का हिस्सा है। छात्र पाठ्येतर कार्यक्रमों के माध्यम से अपने कौशल को बहतर करते हैं। ये विचार प्रोफेसर ओबैदुल्लाह फहद फलाही ने एमए इस्लामी अध्ययन के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए आयोजित विदाई समारोह में व्यक्त किए।


अमुवि के इस्लामी अध्ययन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मुहम्मद इस्माइल ने छात्रों को पुस्तकों को एक अच्छा साथी बनाने और सभी प्रकार के भ्रष्टाचार से दूर रहने की सलाह दी। प्रोफेसर इस्माइल ने छात्रों से कहा कि वे दृढ़ संकल्प और दृढ़ता के साथ काम करें सकारात्मक सोच और असफलताओं को सफलता में बदलने का संकल्प लें। वर्तमान को नियंत्रित करके भविष्य को सार्थक बनाएं। उन्होंने छात्रों को पुरस्कार भी प्रदान किये।


अंतिम वर्ष की छात्र सुश्री सामिया अनवर ने अतीत की खूबसूरत यादों को याद करते हुए, अपने अधिकारों प्राप्ति के लिए लड़ने के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। सेदरा रयान ने अंग्रेजी में नातिया कलाम प्रस्तुत किया, जबकि मुहम्मद मुस्लिम ने बंगाली में कविताएं प्रस्तुत कीं।


डा बिलाल अहमद कुट्टी और डा. एजाज अहमद ने निर्णायिक के कर्तव्यों का पालन करते हुए, मुहम्मद मुस्लिम को मिस्टर फेयरवेल और सुश्री हलीमा अता और सेद्राह रयान को उनके समग्र प्रदर्शन के लिए मिस फेयरवेल की उपाधि से सम्मानित किया। कार्यक्रम में डा. आदम मलिक खान, डा. ज़ियाउद्दीन, डा. निगहत रशीद, डा. लुबना नाज और डा. परवेज भी मौजूद थे। शफीआ और ज़िकरा हमीद ने कार्यक्रम का संचालन किया।


 

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