अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ़| आधुनिकता की चकाचौंध में गुम होती माटी कला को संजीवनी देने के लिए उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश गोला प्रजापति द्वारा माटी टूल किट वितरण योजना में चयनित 36 कारीगरों को इलेक्ट्रॉनिक चाक प्रदान किये गए। इलेक्ट्रॉनिक चाक प्राप्त कर प्रजापति समाज के कुशल कारीगरों के चेहरे खिल उठे। खादी ग्रामोद्योग बोर्ड जनपद में अब तक 2 वर्ष में 72 इलेक्ट्रॉनिक चाक निःशुल्क वितरण कर चुका है। उन्होंने कहा कि माटी कला उद्योग में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं, प्रशिक्षण के माध्यम से इसको और बढाया जा सकता है। उन्होंने एलडीएम को निर्देश दिए कि माटीकला उद्योग के विकास से संबंधित ऋण के लिए प्राप्त होने वाली पत्रावलियों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित करना सुनिश्चित करें ताकि माटी उद्योग के विकास में अपेक्षित प्रगति लाई जा सके।
मा.अध्यक्ष उप्र माटी कला बोर्ड ओम प्रकाश गोला प्रजापति जी द्वारा माटी कला टूल किट वितरण योजना के अन्तर्गत चयनित लाभार्थियों को सर्किट हाउस में विद्युत चालित चाक का निशुल्क वितरण किया गया। इस अवसर पर जिला ग्रामोद्योग अधिकारी ने माटी कला बोर्ड द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में उपस्थित जनसमुदाय को भी अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि विद्युत चालित चाक को प्राप्त कर प्रजापति समाज के चेहरे पर प्रसन्नता की लहर देखने को मिल रही है। लाभार्थियों ने चाक प्राप्त कर करतल ध्वनि से मंत्री जी का आभार व्यक्त किया। मंत्री जी ने माटी कला से सजावटी घरेलू मूर्तियां बनाने का आह्वान किया ताकि अधिक से अधिक धन का उपार्जन हो सके। इसके साथ ही माटी कला से सम्बन्धित पट्टे, बाजार की समस्त समस्याओं से जिला स्तरीय अधिकारियों को अवगत कराते हुए समस्याओं का निदान करने के लिए कहा।
मा. अध्यक्ष ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा विगत कार्यकाल में प्रजापति समाज के पारंपरिक कारोबार को बढ़ावा देने के लिए माटी कला बोर्ड का गठन किया था। माटी कला बोर्ड में मिट्टी के बर्तनों की कमी न होने देने के लिए गांव के किनारे वाले पोखरों को मिट्टी खनन के लिए पट्टा देने का प्रावधान भी किया है। योजना के मुताबिक कुम्हारों को तालाबों की मिट्टी निकालने के लिए कुछ को पट्टा दिया भी गया है। घनश्याम ने बताया कि सिंगल यूज पालीथिन पर सख्ती से प्रतिबंध लगने से कारोबार में पंख लगना तय है। सुखवीर प्रजापति को मिट्टी के बर्तन बनाने का काम पुरखों से विरासत में मिला है। पहले यह हाथ के चाक से मिट्टी के बर्तन बनाते थे। माटीकला बोर्ड के गठन के बाद वर्ष 2020 में खादी ग्राम उद्योग बोर्ड से इलेक्ट्रानिक चाक मिली थी। इससे यह 550 रुपये प्रतिदिन तक के बर्तन तैयार करते हैं। पहले 200 से 300 रुपये प्रतिदिन की आय हासिल करते थे।
खादी ग्रामोद्योग अधिकारी ए के दीक्षित ने बताया कि कुम्हारों के परंपरागत कारोबार को बढ़ावा देने के लिए माटी कला बोर्ड का गठन हुआ है। इलेक्ट्रिक चाक से कुम्हारों को उनके पारम्परिक बर्तन बनाने के काम को प्रदेश सरकार की पहल पर आधुनिकता से जोड़ा गया है। खादी ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा संचालित यह योजना मिट्टी से जुड़े कारीगरों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। सिंगल यूज पालीथिन पर प्रतिबंध लगने के बाद एकाएक मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी है। इस बार गर्मी के मौसम में सुराही, कुल्हड़, घड़ा और मिट्टी से बने गमलों के खूब ऑर्डर प्राप्त हुए हैं। जागरूकता के चलते और सिंगल यूज़ प्लास्टिक, थर्माकोल पर बैन लग जाने से मिट्टी के बर्तनों का जमाना वापस आ गया है। उन्होंने बताया कि तहसील कोल में 52 पट्टे, तहसील इगलास में 9 पट्टे, तहसील गभाना में 19 पट्टे, तहसील खैर में 51 पट्टे और तहसील अतरौली में 25 पट्टे आवंटित हैं। इस अवसर पर आचार्य महेन्द्र सिंह सदस्य खादी ग्रामोद्योग, जिला विकास अधिकारी भरत कुमार मिश्र, एसडीएम, तहसीलदार,एवं अन्य अधिकारीगण व जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
इनको मिला इलैक्ट्रॉनिक चाक:
विनेश देवी, रामा देवी, महिपाल सिंह, सोनदेव, भगवान दास, वीरपाल सिंह, रूपेश कुमार, सुखवीर सिंह, महेश चन्द्र, हरपाल सिंह, दलवीर सतीश कुमार, नेकसेलाल, बलवीर सिंह, वीरपाल सिंह, श्योदान सिंह, प्रेमपाल सिंह, सत्यपाल, दिनेश कुमार, संजय कुमार, रूपेश कुमार, होशियार ंिसंह, अमर सिंह, चोखेलाल, घनश्याम, चन्द्रपाल, ममता देवी, राहुल कुमार, लक्ष्मण ंिसह, रोशन लाल, राजेन्द्र सिंह, महेश चन्द्र, पूरन सिंह, लेखराज, महिपाल सिंह, कमल सिंह, रामवीर।