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AMU शिक्षक को कैंसर प्रिवेंटिंग फॉर्म्युलेशन के लिए मिला पेटेंट, कुलपति ने हॉल पत्रिकाओं का विमोचन किया

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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ़| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में कतर में यूनेस्को के यूनिटविन कार्यक्रम के तहत खाड़ी क्षेत्र में जल विलवणीकरण में पहले यूनेस्को चेयर के रूप में नियुक्ति पर कॉलेज के पूर्व छात्र प्रोफेसर सैयद जावेद जैदी के सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. जैदी ने कहा कि मैं अपने जैसे कई लोगों के जीवन और करियर को सही दिशा और आकार देने के लिए इस विश्वविद्यालय का ऋणी हूं और हमें अपनी मातृ संस्था में मिली सीख के कारण ही सफलता मिली।


उन्होंने 20 फरवरी, 1949 को आयोजित विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान मौलाना अबुल कलाम आजाद के संबोधन को भी याद किया। मौलाना आज़ाद ने कहा था कि ‘आपका कर्तव्य उन पुरानी परंपराओं को पुनर्जीवित करना और अपने विश्वविद्यालय में ज्ञान के सभी क्षेत्रों में अनुसंधान और शोध का माहौल बनाना और बड़े दिल से सहिष्णुता और शुद्ध नैतिकता के मूल्यों का प्रचार करना है।


प्रो जैदी ने सभी संकायों के छात्रों से आग्रह किया कि वे अपनी शोध परियोजनाओं को शुरू करने में मार्गदर्शन के लिए उनसे संपर्क करें। उन्होंने छात्र विनिमय कार्यक्रम शुरू करने का भी प्रस्ताव दिया। इससे पूर्व प्रो. जहीरुद्दीन (पूर्व सहकुलपति, एएमयू) ने प्रो. जैदी की कड़ी मेहनत और नवोन्मेषी शोध के लिए उनकी सराहना की और विदेश जाने वाले छात्रों से प्रो. जैदी के नक्शेकदम पर चलने और अपनी मातृभूमि की सेवा करने के लिए सफलता प्राप्त करने के बाद देश लौटने का आग्रह किया।


मानद अतिथि प्रो. एम एम सुफियान बेग (प्रिंसिपल, जेडएचसीईटी), प्रो. सैयद अखलाक अहमद (चेयरपर्सन, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग) और प्रो. सदफ जैदी (अध्यक्ष, पोस्ट-हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी विभाग) ने प्रो. जैदी के जीवन और एएमयू में उनके अनुभव को याद किया। प्रो. जुनैद खलील (केमिकल इंजीनियरिंग विभाग) और श्री नसीम अहमद (पूर्व अध्यक्ष, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग) ने भी प्रो. जैदी को यूनेस्को चेयर के रूप में उनकी नियुक्ति और प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनके मौलिक कार्यों के प्रकाशन और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में उनकी प्रस्तुति के लिए बधाई दी।


प्रो. जैदी ने जेडएचसीईटी और मौलाना आजाद पुस्तकालय को अपनी पुस्तक ‘रिवर्स ऑस्मोसिस सिस्टम्स’ भी भेंट की। कार्यक्रम का संचालन आसिफ सऊद (अनुसंधान सहायक, कतर विश्वविद्यालय) द्वारा किया गया और इसमें छात्रों, शिक्षकों और कई अध्यक्षों सहित लगभग 150 लोगों ने भाग लिया।


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‘उद्यमिता के माध्यम से महिला सशक्तिकरण’ पर कार्यशाला

अलीगढ़, 25 अगस्तः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के फ्रैंक एंड डेबी इस्लाम एंटरप्रेन्योरशिप इनक्यूबेशन सेंटर द्वारा हाल ही में ‘उद्यमिता के माध्यम से महिला सशक्तिकरण’ पर आयोजित कार्यशाला में छात्राओं, घर पर रहने वाली महिलाओं, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और कारीगरों ने महिलाओं की भूमिका को समझने के लिए व्यापक चर्चाओं और समालोचना सत्रों में भाग लिया।


कार्यक्रम का आयोजन एफडीआईईआईसी द्वारा सीएमएस वातावरन के सहयोग से किया गया था जो एक ऐसा मंच है जो प्रभाव पैदा करने और धारणाओं को बदलने के लिए फिल्मों का प्रदर्शन करता है। यह कार्यशाला कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, नई दिल्ली और जीआईजेड, जर्मनी के सहयोग से प्रोजेक्ट हर एंड नाउ के तहत आयोजित की गई थी।


महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, प्रो सलमा अहमद (डीन, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च) ने कहा कि  विकसित देशों में पुरुष और महिला व्यापारियों के बीच फासला अधिक से अधिक संतुलित होता जा रहा है, परन्तु असमानता की खाई अभी भी महत्वपूर्ण है और प्रगति धीमी है। महिलाएं अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनकी भूमिका को विकास के ढांचे से अलग नहीं किया जा सकता है।


प्रो जमाल ए फारूकी (अध्यक्ष, व्यवसाय प्रबंधन विभाग) ने कहा कि उद्यमशीलता की योग्यता और इच्छा होने के बावजूद, कई युवा महिलाएं अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने में विफल रहती हैं और हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि यह महिलाओं को कठिन क्यों लगता है। इस समस्या का एक कारण यह है कि पुरुष-प्रधान वातावरण हमेशा एक महिला की व्यावसायिक भूमिका को कबूल नहीं करता है और सम्मान अर्जित करना और पूंजी प्राप्त करना महिलाओं के लिए संघर्ष बन सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए।


उन्होंने कहा कि महिला उद्यमिता की कम संख्या का मुख्य कारण पारिवारिक समर्थन और हमारे द्वारा बनाई गई सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की कमी है। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि जागरूकता इस मुद्दे को दूर करने में हमारी मदद कर सकती है और इनमें से अधिक से अधिक कार्यशालाएं निश्चित रूप से महिलाओं को सफल व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। सीएमएस वातावरन वक्ताओं ने महिलाओं को उद्यमिता के लिए प्रेरित करने के लिए पितृसत्ता, लैंगिक मुख्यधारा, सामुदायिक हतोत्साह और अन्य बाधाओं को खत्म करने के तरीकों पर चर्चा की।

 उन्होंने महिला उद्यमिता पर लघु फिल्में भी दिखाईं और समूह चर्चा आयोजित की। प्रो आयशा फारूक (समन्वयक, उद्यमिता समिति) ने बताया कि कैसे एफडीआईईआईसी और इसके शिक्षक और छात्र सदस्य उद्यमशीलता गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। मोहम्मद माज़ हुसैन (इन्क्यूबेशन मैनेजर, एफडीआईईआईसी) ने धन्यवाद ज्ञापित किया।


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यूजीसी एचआरडीसी द्वारा एक्सेस प्रोग्राम लॉन्च समारोह आयोजित

अलीगढ़, 25 अगस्तः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने एएमयू स्कूल के छात्रों को अंग्रेजी एक्सेस माइक्रो छात्रवृत्ति कार्यक्रम के माध्यम से अंग्रेजी भाषा सीखने की सुविधा प्रदान करने के लिए यूजीसी एचआरडीसी में एएमयू एक्सेस कार्यक्रम शुरू किया। लॉन्चिंग समारोह में अमेरिकी राजनयिक डॉ रूथ गोडे, निदेशक क्षेत्रीय अंग्रेजी भाषा कार्यालय (आरईएलओ), अमेरिकी दूतावास और कुलपति, प्रो तारिक मंसूर ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ रूथ ने कार्यक्रम के लिए एएमयू स्कूलों के छात्रों को नामांकन प्रमाण पत्र भी प्रदान किया।


एएमयू ने 2007 में आरईएलओ, अमेरिकी दूतावास के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह एएमयू में सफलतापूर्वक चलाए जा रहे कार्यक्रम का सातवां चक्र है।डॉ रूथ गोडे ने कहा कि इस कार्यक्रम ने युवाओं को अपनी अंग्रेजी भाषा दक्षता विकसित करने का एक बड़ा अवसर प्रदान किया है। एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने डॉ रूथ को बधाई दी और जोर देकर कहा कि अमेरिकी दूतावास के साथ एएमयू का रिश्ता पुराना है और यूजीसी एचआरडीसी द्वारा चलाए जा रहे एक्सेस प्रोग्राम से इसे और मजबूत किया जा रहा है। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रोफेसर असफर अली खान ने कहा कि इन कार्यक्रमों के परिणामों से एएमयू के स्कूली छात्रों में सकारात्मक बदलाव आया है।


एक्सेस प्रोग्राम के समन्वयक डॉ फैज़ जैदी और एक्सेस शिक्षक डॉ साजिदुल इस्लाम ने एक्सेस प्रोग्राम की यात्रा और एएमयू के साथ इसके संबंधों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। सुश्री रचना शर्मा, एक्सेस प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर, आरईएलओ और सुश्री पूजा रानाडे ने एएमयू स्कूल के उन छात्रों के साथ बातचीत की, जिन्होंने एक्सेस बैचों के लिए नामांकन किया है।


प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ हमीदा तारिक ने वैश्विक भाषा के रूप में अंग्रेजी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों के लिए रोजमर्रा की गतिविधियों में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करने के महत्व पर जोर दिया। एएमयू एक्सेस प्रोग्राम के अकादमिक सलाहकार प्रोफेसर ए आर किदवई ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इस कार्यक्रम ने एएमयू स्कूली छात्रों के लिए एक परिवर्तनकारी कार्य किया है।


यूजीसी अकादमिक स्टाफ कॉलेज की निदेशक डॉ फ़ायज़ा अब्बासी ने आरईएलओ की भूमिका की सराहना की जो अब सातवें चक्र में प्रवेश कर चुका है। इस अवसर पर प्रो मोहम्मद गुलरेज़, प्रो-वाईस चांसलर, एएमयू, प्रो नईमा खातून, प्राचार्य, विमेंस कॉलेज और सुश्री तनवीर बदर भी उपस्थित थीं| पुरस्कार समारोह के साथ एक संवाद सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें 125 छात्रों ने भाग लिया।


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एएमयू शिक्षक को कैंसर प्रिवेंटिंग फॉर्म्युलेशन के लिए मिला पेटेंट

अलीगढ़, 25 अगस्तः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के डॉ हिफ्जुर आर सिद्दीकी और उनकी टीम द्वारा पर्याप्त सुरक्षा के साथ कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने के लिए एक दिलचस्प नई खोज लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है। एएमयू में उनकी प्रयोगशाला को हाल ही में कैंसर कोशिकाओं के विकास और उनके प्रसार को रोकने के लिए सोराफेनीब के साथ संयुक्त कंपाउंड फॉर्मूलेशन, ’माजून सुरंजान’ की खोज के लिए पेटेंट प्रदान किया गया है।


सिद्दीकी ने कहा कि ‘माजून सुरंजान’ के तत्व सूजन-रोधी और हेपेटोप्रोटेक्टिव हैं। हमने इस कंपाउंड फॉर्मूलेशन को सोराफेनीब के साथ जोड़ा है जो कैंसर कोशिकाओं के विकास और इसके प्रसार को रोकता है। उन्होंने कहा कि माजून सुरंजान ने सोराफेनीब के साथ, सोराफेनीब को अकेले दिए जाने की तुलना में सेल व्यवहार्यता में अधिक कमी दिखाई। यह यौगिक सूत्रीकरण कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है और सोराफेनिब-आधारित चिकित्सा से गुजरने वाले कैंसर रोगियों में संभावित सहायक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।


डॉ सिद्दीकी ने कहा कि चूंकि एफडीए ने कैंसर के शुरुआती चरणों में प्रभावी पाये गये सोराफेनीब को मंजूरी दी थी, जो एक समग्र मामूली लाभ दर्शाता है, इसलिए इस बात की आवश्यकता थी कि कैंसर उपचार के लिए इस के प्रभावी और गैर-जहरीले एजेंट जो उपभोग के लिए स्वीकार्य हैं, कि पहचान की जाये जिसकी कोई प्रणालीगत विषाक्तता नहीं है, जो एक से अधिक महत्वपूर्ण मार्गों पर हस्तक्षेप कर सकते हैं, जिनका सहायक चिकित्सा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और जो मौजूदा दवाओं की विषाक्तता को कम कर सकता है।


उन्होंने कहा कि पेटेंट का मिलना एएमयू प्रयोगशालाओं में अंतःविषयी शोध की गुणवत्ता का प्रमाण है। सिद्दीकी ने कहा कि कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर हमेशा एएमयू शिक्षकों और शोधकर्ताओं को अंतःविषयी अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं।


उन्होंने इस शोध को अपने दो शोधार्थी, दीप्ति सिंह और मोहम्मद अफसर खान के साथ मिलकर अंजाम दिया है।


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कुलपति ने हॉल पत्रिकाओं का विमोचन किया

अलीगढ़, 25 अगस्तः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने आज अपने कार्यालय में एक विशेष समारोह में बेगम अजीजुन निसा हॉल का ‘फर्स्ट गजट (2019-22)’ और सर सैयद हॉल (साउथ) के शताब्दी अंक ‘हाउस ऑफ अलीग्स’ का विमोचन किया।


प्रो सुबुही खान (प्रोवोस्ट, बेगम अज़ीज़ुन निसा हॉल) ने कहा कि बेगम अज़ीज़ुन निसा हॉल के ‘प्रथम गजट (2019-22)’ में एएमयू संस्थापक सर सैयद की माता बेगम अज़ीज़ुन निसा के जीवन और कार्यों पर एक दिलचस्प लेख है। राजपत्र में महिला शिक्षा पर सर सैयद के काम पर टिप्पणियां, बेगम अज़ीज़ुन निसा हॉल की स्थापना के दस्तावेज विवरण, रेजीडेंट छात्राओं की शैक्षणिक और सह-पाठ्यचर्या संबंधी उपलब्धियां शामिल हैं।


उन्होंने कहा कि पाठक इस हजारों पेड़ों से घिरे आवासीय हाल की पत्रिका के पन्नों के माध्यम से इस आवासीय हॉल का इतिहास जान सकते हैं। संपादक, डॉ फौजिया फरीदी और सह-संपादक, डॉ ग़ज़ाला यास्मीन और रबाब खान और संपादकीय बोर्ड के अन्य सदस्यों ने कहा कि यह पत्रिका बेगम अज़ीज़ुन निसा हॉल की छात्राओं की उपलब्धियों और विश्वविद्यालय के इतिहास को जानने का एक साधन है। इसके अतिरिक्त डॉ अब्दुल अजीज खान (सेंसर एवं आवासीय वार्डन) और मोहम्मद एहतशामुल इस्लाम खान (प्रधान संपादक) के साथ हाउस आफ अलीग्स विमोचन समारोह में भाग लेते हुए, प्रोफेसर बदरूद्दुजा खान (प्रोवोस्ट, सर सय्यद हॉल साउथ) ने कहा कि हाउस ऑफ अलीग्स सर सैयद हॉल (दक्षिण) का शताब्दी अंक है। यह अंक एएमयू के इतिहास के बारे में जानने में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए उपयोगी है क्यूंकि इसमें एमएओ कॉलेज के रूप में इसकी स्थापना से लेकर एक विश्वविद्यालय के रूप में अपनी यात्रा के 100 वर्ष पूरे करने वाली इस संस्था की गाथा इस पत्रिका में उपलब्ध है। इसमें छात्रों और शिक्षकों द्वारा अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू भाषाओं में लिखे गए लेखों के माध्यम से इस सन्दर्भ में जानकारी दी गयी है।


मोहम्मद ग़ज़ाली ‘हाउस ऑफ़ लिग्स’ के अंग्रेज़ी अनुभाग के संपादक हैं। जबकि नसीम उद्दीन और मोहम्मद सलमान हिंदी और उर्दू भाग के संपादक हैं। कुलपति, प्रो तारिक मंसूर ने कहा कि मैं बेगम अज़ीज़ुन निसा हॉल और सर सैयद हॉल (दक्षिण) के छात्र व छात्राओं को शुभकामनाएं देता हूं और संबंधित प्रोवोस्ट, वार्डन और इन पत्रिकाओं के प्रकाशन के लिए ज़िम्मेदार संपादकीय टीमों की कड़ी मेहनत की सराहना करता हूं।


 

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