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एएमयू के अर्थशास्त्र विभाग में ‘शिक्षक पर्व’ का आयोजन, हिन्दी सप्ताह भी मनाया

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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम अलीगढ|  राज भाषा (हिन्दी) कार्यान्वयन समिति अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के तत्वाधान में 14 सितम्बर से 20 सितम्बर तक हिन्दी सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत विभिन्न प्रतियोगिताऐं आयोजित की जायेंगी। राज भाषा (हिन्दी) कार्यान्वयन समिति के सचिव एवं हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद आशिक अली ने बताया कि इन प्रतियोगिताओं में विश्वविद्यालय के छात्र एवं कर्मचारी भाग ले सकते हैं। उन्होंने बताया है कि प्रतियोगिता को चार भागों में विभाजित किया गया है। जिसमें स्नातक छात्र, स्नातकोत्तर छात्र, शोध छात्र तथा कर्मचारी वर्ग शामिल हैं। विजेताओं को समापन समारोह में पुरस्कृत किया जायेगा।


प्रोफेसर आशिक अली ने बताया है कि 14 सितम्बर को पूर्वान्ह 11 बजे उद्घाटन समारोह होगा। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सहकुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज शामिल होंगे। प्रख्यात लेखिका एवं आलोचक डा. नमिता सिंह मुख्य वक्ता होंगी। अतिथि वक्ता के रूप में हिन्दी विभाग के प्रोफेसर अब्दुल अलीम भाग लेंगे। 15 सितम्बर को निबन्ध लेखन प्रतियोगिता, 16 सितम्बर को कार्यालय पत्र लेखन प्रतियोगिता, 17 सितम्बर को पारीभाषिक शब्दावली ज्ञान प्रतियोगिता, 19 सितम्बर को आशुभाषण प्रतियोगिता तथा 20 सितम्बर को समापन समारोह और पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया जायेगा। जिसमें मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर प्रतिभागी विजेताओं को पुरस्कृत करेंगे।


कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर एम शाहुल हमीद ने बताया है कि राज भाषा से सम्बद्व कोई भी कर्मचारी इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने का पात्र नहीं होगा। इच्छुक प्रतिभागी अपना नाम 13 सितम्बर तक हिन्दी विभाग के कार्यालय में दर्ज करा सकते हैं। इस सन्दर्भ में अधिक जानकारी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने हिन्दी सप्ताह में सभी से सक्रिय भागेदारी का आव्हान करते हुए इसे सफल बनाने का अनुरोध किया है।


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प्रो. असगर अब्बास के निधन पर 13 सितंबर को शोक सभा का आयोजन


अलीगढ़, 12 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक और सर सैयद अकादमी के पूर्व निदेशक, प्रोफेसर असगर अब्बास के निधन पर सर सैयद अकादमी द्वारा 13 सितंबर को एक शोक सभा का आयोजन किया जायेगा।


सर सैयद अकादमी के निदेशक, डॉ मोहम्मद शाहिद ने बताया की शोक सभा का आयोजन 1 बजे दिन में अकादमी के सभागार में किया जायेगा।


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एएमयू के स्कूलों में मनाया गया स्वच्छता पखवाड़ा


अलीगढ़ 12 सितंबरः स्वच्छता पखवाड़ा मनाने के लिए, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के स्कूलों, सैयदना ताहिर सैफुद्दीन स्कूल (एसटीएस), अब्दुल बसीर खान (एबीके) स्कूल-गर्ल्स, एएमयू सिटी गर्ल्स हाई स्कूल, काजीपाड़ा और अहमदी स्कूल में छात्रों में व्यक्तिगत स्वच्छता और आस पास की सफाई के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम आयोजित किए गए।


एसटीएस स्कूल के छात्रों ने क्विज, निबंध लेखन, पोस्टर मेकिंग और नारा लेखन प्रतियोगिताओं सहित विभिन्न स्वच्छता संबंधी गतिविधियों में भाग लिया। इस अवसर पर हाथ धोने के प्रदर्शन के साथ-साथ प्रधानाचार्य श्री फैसल नफीस द्वारा स्वच्छता शपथ भी दिलाई गई।


विशेष रूप से आयोजित सभाओं में, छात्रों ने भाषण दिया और व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्व पर प्रेरक विचार और कविताएं प्रस्तुत कीं।  इस अवसर पर ‘स्वच्छता ही सेवा है’ विषय को रेखांकित करते हुए, सुंदर और प्रेरक हाथ से बने पोस्टर और प्लेकार्ड प्रदर्शित किए गए।


श्री फैसल नफीस ने छात्रों से अपने स्कूल, घरों और आसपास को साफ रखने का आग्रह किया। उन्होंने रिहायशी इलाकों में अपशिष्ट पदार्थों और जलजमाव को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया, जो बैक्टीरिया और कीड़ों के प्रजनन का कारण बनते हैं।


एबीके हाई स्कूल-गर्ल्स में, छात्रों को स्वच्छता और सफाई के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए एक विशेष सभा आयोजित की गई। विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटक व भाषण प्रस्तुत किया।उप प्राचार्य डॉ. सबा हसन ने अपने संबोधन में कहा कि समय-समय पर सफाई अभियान चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने आसपास कचरे के ढेर पर लगातार नजर रखने की आवश्यकता है।


उन्होंने बुलंदशहर में आयोजित अंर्तराज्यीय फाइट चौंपियनशिप में पांचवां स्थान और स्वर्ण पदक जीतने के लिए आमना फातिमा को भी सम्मानित किया. एएमयू सिटी गर्ल्स हाई स्कूल, काजीपाड़ा ने स्वच्छता पखवाड़ा को चिह्नित करने के लिए रेड लेटर डे आयोजित किया।


सामुदायिक चिकित्सा विभाग की डॉ सुबूही अफजाल और डॉ तबस्सुम नवाब ने हाथ धोने, पोषण, सफाई और मासिक धर्म के दौरान देखभाल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए छात्रों के साथ बातचीत की। उन्होंने छात्रों को उच्च स्तर की पर्यावरणीय स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित किया।


अपने स्वागत भाषण में स्कूल के प्राचार्य डॉ. मोहम्मद आलमगीर ने अतिथियों का परिचय दिया और समय-समय पर स्वच्छता अभियान के आयोजन के महत्व को रेखांकित किया।


नेत्रहीन छात्रों के अहमदी स्कूल में, आतिफा (कक्षा सात) ने ‘प्लास्टिक (एसयूपी) के एकल उपयोग की हानिकारकता’ विषय पर अंग्रेजी में भाषण दिया, जबकि कैफ चाँद (कक्षा नो) ने इसी विषय पर हिंदी में बात की। कक्षाओं और स्कूल में साफ-सफाई का स्तर को बढ़ाने की शपथ भी दिलाई गई।


अपने निजी जीवन में स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूल के छात्रों और कर्मचारियों द्वारा एक बड़ी रैली भी निकाली गई। स्कूल की प्रिंसिपल डॉ नायला राशिद ने प्लास्टिक के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी और लोगों से अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता और स्वच्छ वातावरण के प्रति सतर्क रहने का आग्रह किया।


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एएमयू के अर्थशास्त्र विभाग में ‘शिक्षक पर्व’ का आयोजन


अलीगढ़, 12 सितंबरः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष में पांच दिवसीय ‘शिक्षक पर्व’ कार्यक्रम के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020’ पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भाषण की स्क्रीनिंग, शिक्षापरक फिल्मों और वृत्तचित्रों का प्रदर्शन, शिक्षकों का सम्मान, समूह चर्चा, भाषण, कविता प्रतियोगिता और विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यानों की श्रृंखला पर आधारित कई कार्यक्रम आयोजित किये गए।


एमए के छात्र, तहमीश खान ने भाषण प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया जबकि बीए के छात्रों, मोहम्मद ओवैस, मोहम्मद आदिल इकबाल और मोहम्मद शादान कौसर ने क्रमशः दूसरा, तीसरा और सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया, जिसमें प्रोफेसर शेहरोज़ आलम रिज़वी और प्रोफेसर मोहम्मद आजम खान निर्णायक मंडल में शामिल थे।


बीए के छात्र मुशर्रफ ने कविता प्रतियोगिता जीती जिसमें तहमीश खान (एमए) दूसरे और हर्षित गुप्ता (बीए) तीसरे स्थान पर रहीं। मोहम्मद आदिल इकबाल को सांत्वना पुरस्कार मिला।


विशेष व्याख्यान में, मुख्य अतिथि, प्रो एमएम अंसारी (सलाहकार, यस ग्लोबल इंस्टीट्यूट, पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य) ने कहा कि एनईपी-2020 से व्यापक परिवर्तन का रास्ता प्रशस्त होगा और भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाएगा।


उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत के शिक्षा क्षेत्र को एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करेगी और विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करने के साथ देश को मजबूत करेगी। यह भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों की स्थापना और नए ई-पाठ्यक्रम लाने में मदद करेगी।


प्रोफेसर अंसारी ने कहा कि नयी शिक्षा निति 21वीं सदी की पहली भारतीय शिक्षा नीति है जो लचीलेपन के साथ प्रत्येक छात्र की रचनात्मक क्षमता के विकास का पोषण कर रही है तथा इस के अंतर्गत विषयों, पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों, बहु-विषयी शिक्षा, वैचारिक समझ और आलोचनात्मक सोच के बीच कोई भिन्नता नहीं है। उन्होंने डॉ राधाकृष्णन के योगदान पर भी बात की और पुरानी शैक्षिक नीतियों की तुलना नयी शिक्षा निति से की।


मानद अतिथि मनोहर मनोज (वरिष्ठ पत्रकार, संपादक-इकोनॉमी इंडिया और पब्लिक थिंकर) ने शिक्षा के हर स्तर पर समान अवसरों की वकालत की। उन्होंने उपलब्ध संसाधनों के समुचित उपयोग, निजी क्षेत्र में शिक्षा प्रणाली में नियामक प्राधिकरण की उपलब्धता और समान समाज- रैंकिंग प्रणाली, बोर्ड, पाठ्यक्रम, भाषा, शिक्षा का माध्यम और सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर जोर दिया।


उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा पूर्ण मानव क्षमता प्राप्त करने, एक समान और न्यायपूर्ण समाज के विकास और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए मौलिक रूप से महत्वपूर्ण है। 


विशेष रूप से आमंत्रित, मोहम्मद नौशाद खान (उप संपादक-रेडिएंस व्यूज और स्पेशल लेक्चर्स प्रोग्राम के प्रतिवेदक) ने बताया कि कैसे एनईपी-2020 शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए पाठ्यक्रम को नया स्वरूप दे रहा है।


प्रोफेसर मोहम्मद अब्दुस सलाम (अध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग) ने कहा कि एनईपी-2020 स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षा के सभी स्तरों पर सुधार प्रदान करता है। यह शिक्षक प्रशिक्षण को मजबूत करने, परीक्षा प्रणाली में सुधार, बचपन की देखभाल को बेहतर बनाने और शिक्षा के नियामक ढांचे के पुनर्गठन पर ध्यान केंद्रित करता है।


अपने विचार रखते हुए प्रोफेसर अब्दुस सलाम ने कहा कि एनईपी-2020 समाज और अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुसार शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए आवश्यक कदम है। नई शिक्षा नीति छात्रों के कौशल और प्रतिभा में सुधार करेगी और देश के मानव विकास प्रदर्शन को बढ़ाएगी।


प्रोफेसर अब्दुस सलाम ने टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ सदस्यों को भी सम्मानित किया। उन्होंने शिक्षकों के मौलिक कार्य और शिक्षकों की सहायता करने में गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भूमिका को सराहा।


अपनी परिचयात्मक टिप्पणी में, प्रोफेसर निसार अहमद खान (पूर्व डीन, सामाजिक विज्ञान संकाय) ने कहा कि शिक्षक सारा जीवन छात्रों को सही रास्ता दिखाते हैं और शिक्षक दिवस मानाने से अच्छा उन्हें श्रद्धांजलि देने का तरीका कोई नहीं है।


स्वागत भाषण में शिक्षक दिवस की पृष्ठभूमि पर बोलते हुए, प्रोफेसर असमर बेग (डीन, सामाजिक विज्ञान संकाय) ने कहा कि जब डॉ राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने, तो उनके छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाने के लिए उन पर दबाव डाला। इस पर डॉ राधाकृष्णन ने उन से कहा कि अगर वह उनका जन्मदिन मनाना ही चाहते हैं तो इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाएं।


प्रो एस एम जावेद अख्तर ने वक्ताओं का परिचय दिया और प्रोफेसर शहरोज़ आलम रिज़वी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डा. शीरी रईस ने किया।


कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और संकायों के शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया।


विभाग में शिक्षक दिवस समारोह का एक प्रमुख आकर्षण एनईपी-2020 पर प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भाषण की स्क्रीनिंग थी जिसमें उन्होंने राष्ट्र को बताया कि कैसे नई शिक्षा नीति ने 21वीं सदी के भारत की दिशा तय करने के लिए एक नए युग की शुरुआत के बीज बोए हैं। स्क्रीनिंग में अर्थशास्त्र और विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया।


बाद में, डॉ राधाकृष्णन के जीवन पर एक वृत्तचित्र भी प्रदर्शित किया गया, जिसमें 5 सितंबर, 1888 को तिरुतानी में उनके जन्म से लेकर मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, तांबरम में उनके छात्र जीवन, मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज, मैसूर विश्वविद्यालय में शिक्षण करियर, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्ति तथा भारत के पहले उपराष्ट्रपति और बाद में भारत के दूसरे राष्ट्रपति बनने तक कि घटनाओं पर प्रकाश डाला गया।


छात्रों और शिक्षकों ने ‘तारे ज़मीन पर’ भी देखी, यह एक ऐसी फिल्म है जिसमें एक स्कूल शिक्षक एक डिस्लेक्सिक लड़के की पढ़ाई में मदद करता है। फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद ’शिक्षक-छात्र संबंधों को मजबूत करने में बॉलीवुड फिल्मों की भूमिका’ पर एक समूह चर्चा हुई।


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जेएनएमसी शिक्षक डा. मुईद ने रायपुर एयरवे वर्कशॉप में प्रशिक्षन प्रदान किया


अलीगढ़, 12 सितंबरः डॉ. एस मुईद अहमद, प्रोफेसर, एनेस्थिसियोलॉजी विभाग, जेएन मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और आईसीयू प्रभारी ने रायपुर क्रिटिकॉन 22 में एयरवे वर्कशॉप में वर्त्तमान वैज्ञानिक साहित्य और मुश्किल वायुमार्ग प्रबंधन के निष्कर्षों से प्राप्त अद्यतन साक्ष्य प्रस्तुत किए जहां उन्हें 8 सितंबर को सहयोगी डॉ अबू नदीम के साथ निदेशक के रूप में आमंत्रित किया गया था।


‘डिफिकल्ट एयरवे का आकलन कैसे करें’ विषय पर बोलते हुए, प्रो मुईद ने सावधानीपूर्वक वायुमार्ग मूल्यांकन में निरंतर सीखने और शिक्षण के लिए ज़ोर दिया जिसमें मास्क या एक्स्ट्राग्लॉटिक डिवाइस का उपयोग करके कठिन वेंटिलेशन की भविष्यवाणियों का व्यापक मूल्यांकन और प्रत्यक्ष लैरींगोस्कोपी या वैकल्पिक इंटुबेटिंग उपकरणों का उपयोग करके कठिन इंटुबेशन शामिल है।


उन्होंने कहा कि हमें सर्वाेत्तम उपलब्ध नैदानिक संसाधनों और साक्ष्यों का उपयोग करके कठिन वायुमार्ग के प्रबंधन में अपनी रणनीतियों और तकनीकों में सुधार करने का प्रयास करना चाहिए और हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कठिन इंटुबैशन का अनुमान लगाया जा सकता है और इसी के अनुरूप तैयारी की जा सकती है। 


प्रो मुईद ने कहा कि यह कार्यशालाएं प्रतिभागियों को मुश्किल वायुमार्ग के रोगियों के प्रबंधन में हालिया प्रगति से अवगत कराती हैं, नवीनतम दिशानिर्देशों के साथ अपने ज्ञान को उन्नत करती हैं और मुश्किल वायुमार्ग के उपायों के रूप में उपलब्ध नए गैजेट्स पर काम करती हैं।


राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा कौशल आधारित शिक्षा पर जोर दिए जाने के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पहले सीखा हुआ कौशल निरर्थक हो सकता है इसलिए इन तकनीकों पर नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए क्योंकि प्रतिनिधि जो देखते हैं उसे भूल सकते हैं, लेकिन वे जो सुनते हैं उसे याद रखेंगे।


प्रो मुईद ने मॉडल प्रदर्शन के माध्यम से कुल 36 प्रतिनिधियों को ‘सर्जिकल एयरवे मैनेजमेंट’ में प्रशिक्षित किया। उन्होंने छह उपदेशात्मक व्याख्यान और नई तकनीकों और गैजेट्स पर व्यावहारिक प्रशिक्षण का मार्गदर्शन किया।


डॉ अबू नदीम ने ‘पर्क्यूटेनियस ट्रेकोस्टॉमी’ पर व्याख्यान दिया और फाइब्रोप्टिक इंटुबेशन पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया।


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एएमयू में ‘अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस’


अलीगढ़, 12 सितंबरः साक्षरता के महत्व को उजागर करने वाले मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए ‘ट्रांसफॉर्मिंग लिटरेसी लर्निंग स्पेस’ विषय पर ‘अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ का आयोजन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ कंटिन्यूइंग एंड एडल्ट एजुकेशन एवं विस्तार (सीसीएईई) में किया गया।


एएमयू के प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ ने कहा कि एएमयू में साक्षरता दिवस के कार्यक्रम समाज और जनसमुदाय की बेहतरी के लिए साक्षरता के महत्व पर जागरूकता पैदा करने में एक लंबा रास्ता तय करेंगे। यह उच्च साक्षरता दर के सकारात्मक प्रभावों को भी उजागर करेगा।


उन्होंने साक्षरता के महत्व को गरिमा और मानवाधिकारों के रूप में जनता को याद दिलाने और साक्षरता के एजेंडे को अधिक साक्षर और टिकाऊ समाज की ओर आगे बढ़ाने के लिए जोर दिया।


इस अवसर पर प्रो गुलरेज़ ने साझा किया कि सीसीएईई जल्द ही शिक्षार्थियों की संभावनाओं को उज्ज्वल करने के लिए विश्वविद्यालय के एक विभाग में परिवर्तित हो जाएगा. मुख्य अतिथि, प्रो जकिया सिद्दीकी (संस्थापक निदेशक, उन्नत महिला अध्ययन केंद्र, एएमयू) ने शिक्षा के अधिकार और अन्य अधिकारों के लिए कड़ी मेहनत करने पर जोर दिया।


उन्होंने कहा कि महिलाओं को किसी भी भेदभाव के सामने आत्मसमर्पण नहीं करना चाहिए जो उन्हें शिक्षा और नारी स्वतंत्रता में पीछे रखता है। उन्हें निडर होकर शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ना चाहिए।


प्रो आयशा मुनीरा रशीद (उप निदेशक, सीसीएईई) ने बताया कि साक्षरता के माध्यम से, व्यक्ति धीरे-धीरे गरीबी, बेरोजगारी और लैंगिक असमानता को मिटा सकता है, और उन क्षेत्रों और समाज में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है जो अधिकारों के ज्ञान की कमी के कारण पीड़ित हैं।


डॉ शमीम अख्तर ने साक्षरता दिवस की उत्पत्ति पर चर्चा की और धन्यवाद प्रस्ताव बढ़ाया।


कुल 70 शिक्षार्थियों ने कार्यक्रम में भाग लिया और राष्ट्रव्यापी स्वच्छता पखवाड़ा अभियान के तहत ‘बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट’ प्रतियोगिता में भाग लिया। उन्होंने भाषण भी दिए और साक्षरता संवर्धन पर गीत भी गाए।


इस बीच, नर्सिंग कॉलेज के छात्रों ने शिक्षा जागरूकता फैलाने के लिए एक नुक्कड़ नाटक (स्ट्रीट प्ले) का मंचन किया।


नर्सिंग कॉलेज के साक्षरता दिवस समारोह में बोलते हुए, प्रो फरहा आज़मी (प्रिंसिपल) ने छात्रों से साक्षरता पर जागरूकता गतिविधियों में संलग्न रहने का आग्रह किया।


उन्होंने कहा कि छात्र सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए सबसे अच्छे संदेशवाहक हैं और उनकी आवाज एक प्रभाव छोड़ती है।


प्रो फरहा ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए।


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उर्दू विभाग में सर सैयद अध्ययन के विशेषज्ञ प्रोफेसर असगर अब्बास के निधन पर शोक सभा


अलीगढ़, 12 सितंबरः मौलाना अबुल कलाम आजाद पुरस्कार विजेता सर सैयद विद्वान एवं उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. असगर अब्बास की मृत्यु पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में शोक सभा का आयोजन किया गया।


उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मुहम्मद अली जौहर ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वह एक अनुकरणीय शिक्षक थे। वह सर सैयद के प्रेमी और सर सैयद के विशेषज्ञ थे, जिस तरह से उन्होंने सर सैयद के जीवन के हर पहलू को छुआ वह अविस्मरणीय है।


अरबी विभाग के शिक्षक प्रो. कफील अहमद ने कहा कि प्रो. असगर अब्बास की किताबों ने अरब जगत में सर सैयद अहमद खान के बारे में गलतफहमियों को दूर करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि प्रो. असगर अब्बास ने सर सैयद से संबंधित सात पुस्तकें लिखी हैं, ये पुस्तकें समय-समय पर पत्रिकाओं और सेमिनारों के लिए लिखे गए लेखों से अलग हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह सर सैयद के किस हद तक प्रेमी थे।


विभाग के पूर्व अध्यक्ष और जाने-माने कहानी लेखक प्रो. तारिक छत्तारी ने कहा कि प्रो. असगर अब्बास का निधन उर्दू साहित्य के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उन्होंने कहा कि प्रो. असगर अब्बास दिखने में और अंतर्मन में एक जैसे थे। उन्होंने कहा कि उनके जीवन के दो पहलू हैं जो उन्हें दूसरों से अलग करते हैं, एक यह है कि उन्होंने सर सैयद को अपनी पढ़ाई का केंद्र बनाया और दूसरा यह कि वे अलीगढ़ और इसकी सभ्यता का जीता जागता सबूत थे।


विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सैयद मुहम्मद हाशिम ने कहा कि प्रोफेसर असगर अब्बास एक विनम्र और मृदभाषी व्यक्ति थे। उन्होंने विभाग में अपनी अध्यक्षता के दौरान उत्कृष्ट संगोष्ठियों का आयोजन किया जिसके के लिये उन्हें आज भी याद किया जाता है।


प्रो. शहाबुद्दीन साकिब ने अपने शिक्षक के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इक्यासी वर्ष की उम्र में भी वह बीमारियों से प्रभावित नहीं हुए, क्योंकि वो हर काम समय पर करते थे इसलिए उस उम्र में भी सक्रिय थे।


प्रोफ़ेसर क़मर उल हुदा फ़रीदी ने कहा कि उनकी निकटता से हम लोगों को फ़ायदा हुआ है। वह हमारे शिक्षक थे, जिन्होंने दीप जलाया और हमें इसका लाभ मिला। उन्होंने प्रोफेसर असगर अब्बास से जुड़ी कई घटनाएं सुनाईं और बताया कि वह अपने छात्रों से कितना प्यार करते थे और उनका कितना ख्याल रखते थे।


डॉ. सुल्तान अहमद ने अपने शिक्षक प्रो. असगर अब्बास को श्रद्धांजलि दी और कहा कि वह एक शिक्षक थे जिन्होंने छात्रों के लिए कड़ी मेहनत की, जिसका उदाहरण विभाग के कई शिक्षक हैं, उसी तरह उन्होंने न केवल अपने शिक्षकों का सम्मान किया, साथ ही उनके अच्छे नाम के लिए प्रयास करते हैं।


अंत में विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. मोईदुर रहमान ने शोक प्रस्ताव पेश किया। जिसमें उनके जन्म से लेकर उनकी शैक्षिक यात्रा, अध्यापन और लेखन जीवन को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।


इस अवसर पर उर्दू विभाग के शिक्षकों, शोधार्थियों, छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने भाग लिया।


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आईपीएस अधिकारी, मोहम्मद इमरान ने एएमयू रजिस्ट्रार के पद का कार्यभार संभाला


अलीगढ़, 12 सितंबरः भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी मोहम्मद इमरान ने आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नए रजिस्ट्रार के रूप में कार्यभार संभाला लिया।


2011 बैच के आईपीएस अधिकारी मोहम्मद इमरान इससे पूर्व पुलिस अधीक्षक (एसपी) रेलवे के पद पर  झांसी में तैनात थे। उन्होंने आईपीएस अधिकारी के रूप में पुलिस संगठन में कमांड स्तर पर पर्याप्त अनुभव के साथ पुलिस सेवा में 11 साल से अधिक समय पूरा किया है। इमरान को पुलिस सेवा के दौरान मिले पुरस्कारों में सर्विस डेकोरेशन में डीजी कमेंडेशन डिस्क सिल्वर (2018) और डीजी कमेंडेशन डिस्क सिल्वर (2019) शामिल हैं।


वह पारस्परिक प्रबंधन और क्षमताओं और संसाधनों के विकास में काफी पारंगत हैं। श्री इमरान ने मास्टर ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस और अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की है।

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