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ब्रेस्ट पैथोलाजी एंड अपडेट्स इन एंडोक्राइन पैथोलॉजी‘ पर हुयी संगोष्ठी और सेमिनार| AMU newz


अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग द्वारा ‘ब्रेस्ट पैथोलॉजी एंड अपडेट्स इन एंडोक्राइन पैथोलॉजी‘ पर 16 नवंबर से शुरू होने वाले दो दिवसीय संगोष्ठी और स्लाइड सेमिनार का आयोजन किया गया। उद्घाटन समारोह के दौरान स्तन कैंसर अनुसंधान और अंतःस्रावी विकारों के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श किया गया।


मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए एएमयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि ब्रेस्ट पैथोलॉजी डायग्नोस्टिक सर्जिकल पैथोलॉजी में शामिल एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है और पैथोलॉजिस्ट अंतःस्रावी रोगों वाले रोगियों की बहु-विषयक देखभाल टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


उन्होंने कहा कि आने वाले समय में, एंडोक्राइन पैथोलॉजी में संरचना, कार्य, पूर्वानुमान और भविष्यवाणी की गहन समझ की मांग होगी और यह अनुमान लगाया गया है कि नई प्रौद्योगिकियां पैथोलॉजी में विशेषज्ञता के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के विकास का रास्ता प्रशस्त करेंगी।


उन्होंने कहा कि पैथोलाजी सभी नैदानिक चिकित्सा का आधार है क्योंकि पैथोलॉजिस्ट न केवल यह निर्धारित करते हैं कि कोई बीमारी क्या है, बल्कि यह भी निर्धारित करते हैं कि यह बीमारी क्यों हुई, ऊतक कैसे क्षतिग्रस्त हो गए और कौन से कार्यात्मक परिवर्तन हुए। मेडिकल कालेजों की रैंकिंग में पैथोलाजी और रेडियोलॉजी विभागों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।


उन्होंने सुपर स्पेशियलिटी शाखाओं, अंतर-विभागीय व्याख्यानों और नियमित नैदानिक बैठकों के साथ पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी विभागों के निरंतर उन्नयन पर जोर दिया।


संसाधन व्यक्ति, प्रोफेसर अशरफ खान (पैथोलॉजी विभाग, यूएमएएसएस चौन मेडिकल स्कूल, बायस्टेट, स्प्रिंगफील्ड एमए, यूएसए और एडजंक्ट फैकल्टी, पैथोलॉजी विभाग, जेएनएमसी) ने स्तन कैंसर और अधिवृक्क में भविष्यवाणिय बायोमार्कर पर अपडेट प्रदान किया।


उन्होंने मुख्य स्तन कैंसर-विशिष्ट आणविक भविष्य मार्करों जैसे हार्माेन रिसेप्टर्स, प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर्स और मानव एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर्स के मूल्यांकन में चुनौतियों के बारे में बात की। प्रोफेसर खान ने पैथालोजी विभाग में हुई प्रगति पर संतोष जताया।


दूसरी संसाधन व्यक्ति प्रोफेसर नुज़हत हुसैन (हेड, पैथोलॉजी विभाग, डा राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पिट्यूटरी समस्याओं पर अपडेट के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि एंडोक्राइन ऑर्गन्स के ट्यूमर के नए डब्ल्यूएचओ वर्गीकरण में नई संस्थाओं, आणविक जानकारी और उपचार के तौर-तरीकों के साथ-साथ पिट्यूटरी एडेनोमा के लिए शब्दावली और नैदानिक दिशानिर्देश दोनों में नवाचार शामिल हैं।


फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के डीन, प्रोफेसर एम.यू रब्बानी ने जोर देकर कहा कि डायग्नोस्टिक आन्कोलॉजिस्ट के रूप में पैथोलॉजिस्ट का काम रोकथाम और स्क्रीनिंग से लेकर डायग्नोसिस, प्रोग्नोसिस और चिकित्सीय प्रतिक्रिया रोग निगरानी की भविष्यवाणी तक कैंसर की देखभाल के पूरे स्पेक्ट्रम या निरंतरता को शामिल करना है।


जेएनएमसी के प्राचार्य, प्रोफेसर राकेश भार्गव ने कहा कि यह संगोष्ठी शैक्षिक रूप से उन्मुख पैथोलॉजिस्ट और शोधकर्ताओं के लिए बहुत फायदेमंद होगी, जो सेलुलर और आणविक जीव विज्ञान से प्राप्त ज्ञान के साथ शारीरिक रूप से आधारित हिस्टोपैथोलॉजी को एकीकृत करने का प्रयास करते हैं।


कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष, प्रोफेसर महबूब हसन ने कहा कि हमने प्रतिभागियों को एंडोक्राइन और ब्रेस्ट पैथोलॉजी के क्षेत्र में किए जा रहे अत्याधुनिक कार्यों के बारे में बताने के लिए अथक प्रयास किया है।


स्वागत भाषण देते हुए, आयोजन सचिव, प्रोफेसर एसएच आरिफ ने क्लिनिकल और एनाटॉमिक पैथोलॉजिस्ट की भूमिकाओं और क्षेत्र में बढ़ती उप-विशिष्टताओं को चित्रित किया। आयोजन सचिव, प्रोफेसर वीणा माहेश्वरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।


कार्यक्रम का संचालन संयुक्त आयोजन सचिव, डा बुशरा सिद्दीकी एवं डा असफा शम्स ने किया।


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प्रख्यात अथ्रशास्त्री प्रोफेसर नेजतुल्लाह सिद्दीकी के निधन पर शोक सभा

अलीगढ़, 16 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग में शिक्षकों ने प्रख्यात अर्थशास्त्री एमेरिटस प्रोफेसर मोहम्मद नेजतुल्लाह सिद्दीकी को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका पिछले 12 नवंबर को सैन जोस, कैलिफोर्निया, यूएसए में निधन हो गया था।


फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च की डीन, प्रोफेसर सलमा अहमद ने कहा कि प्रोफेसर नेजतुल्लाह अग्रिम पंक्ति के अर्थशास्त्री  और एक समावेशी विचारक थे, जिनका ब्याज मुक्त बैंकिंग और माइक्रो फाइनेंस क क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। वह एएमयू में कई विद्वानों के गुरु रहे हैं।


शोक संदेश पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि “प्रोफेसर नेजातुल्लाह के निधन से शिक्षा जगत में एक बड़ी रिक्ति उत्पन्न हो गयी है। वह एक अद्भुत शिक्षक और बहुतों के लिए प्रेरणा श्रोत थे, हमने उनसे जो सबक सीखा है वह हमेशा याद रहेगा। हम शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।‘


प्रोफेसर वलीद अहमद अंसारी ने कहा कि प्रोफेसर नेजतुल्लाह ने एएमयू और बाद में किंग अब्दुल अजीज यूनिवर्सिटी, जेद्दाह, सऊदी अरब में अर्थशास्त्र में शिक्षण कार्य किया, जहां वह इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक से भी जुड़े थे। उन्हें 1982 में इस्लामिक स्टडीज की सेवा के लिए किंग फैसल इंटरनेशनल प्राइज, 2003 में इस्लामिक इकोनॉमिक्स में योगदान के लिए नई दिल्ली में शाह वलीउल्लाह अवार्ड और 1993 में अमेरिकन फाइनेंस हाउस अवार्ड से सम्मानित किया गया।


वह कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स में सेंटर फॉर नियर ईस्टर्न स्टडीज में फेलो और इस्लामिक रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक, जेद्दाह में विजिटिंग स्कॉलर थे।


डा आसिफ अख्तर और डा तारिक अजीज ने बताया कि प्रोफेसर नेजतुल्लाह ने एएमयू में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग में एमबीए-आईबीएफ कार्यक्रम के विकास में एक वास्तुकार की भूमिका निभाई।


उर्दू और अंग्रेजी के एक विपुल लेखक, प्रोफेसर नेजतुल्लाह के सहकर्मी समीक्षा पत्रिकाओं में 65 से अधिक पेपर प्रकाशित हुए हैं उनकी कुछ पुस्तकों का अरबी, फ़ारसी, तुर्की, इंडोनेशियाई, मलेशियाई, थाई और अन्य भाषाओं में अनुवाद भी किया गया। उनकी प्रमुख पुस्तकों में से एक ‘ग़ैर सूदी बैंककारी‘ (बैंकिंग विदाउट इंटरेस्ट) के 1973 से अब तक 27 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं।


उन्होंने भारत में सहकारी मॉडल के माध्यम से ब्याज मुक्त माइक्रोफाइनेंस के विकास में भी योगदान दिया और सहुलत माइक्रोफाइनेंस सोसाइटी से भी जुड़े रहे।


प्रोफेसर नेजतुल्लाह के परिवार में बेटे, अरशद सिद्दीकी, खालिद सिद्दीकी और साजिद सिद्दीकी और बेटियां, सीमा सिद्दीकी और दीबा सिद्दीकी हैं।


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जनजातीय गौरव दिवस पर एएमयू ने भगवान बिरसा मुंडा को किया याद

अलीगढ़ 16 नवंबरः महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और लोक नायक, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में ‘जनजाति गौरव दिवस‘ पर अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और स्कूलों में आयोजित कार्यक्रमों के दौरान आदिवासी समुदायों की मुक्ति के लिए उनके योगदान और महत्व से युवा छात्रों को परिचित कराया गया और उनके बारे में वीर लोकगाथाओं को याद किया गया।


डा ज़ियाउद्दीन अहमद डेंटल कॉलेज ने ‘भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों की भूमिका‘ विषय पर एक व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया।


डा सैयद अमान अली (पेरियोडोंटिक्स एंड कम्युनिटी डेंटिस्ट्री विभाग) ने कहा कि युवा पीढ़ी को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत में औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई में पूरे उपमहाद्वीप में समर्पण, वीरता, बहादुरी, सत्याग्रह और बलिदान की अनूठी लोकगाथाएं मौजूद हैं जिनसे साम्राजी शक्ति के विरुद्ध हमारे स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास बना है।


उन्होंने कहा कि हमारी स्थानीय विरासत के गुमनाम और कम जाने-पहचाने नायकों से जुड़ी वीरता और त्याग की इन कहानियों को याद करने और सभी स्तरों पर उनका जश्न मनाने की जरूरत है।


डा सादिका रहमान और डा रश्मी अज़ीम (रेजिडेंट, पीरियोडॉन्टिक्स और सामुदायिक दंत चिकित्सा विभाग) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम को कई आंदोलनों से मजबूती मिली, जिसमें संथाल, तमार, कोल, भील, खासी, मिज़ो और आदिवासी समुदायों द्वारा शुरू किए गए आंदोलन शामिल थे।


डा इमान और मो. अशहब ने राष्ट्रीय अखंडता के लिए जनजातीय समुदायों के योगदान पर एक जागरूकता सत्र आयोजित किया।


प्रोफेसर आर.के. तिवारी (प्रिंसिपल, डा जेड.ए डेंटल कॉलेज) ने कहा कि आदिवासी भारत में सबसे अधिक वंचित समूहों में से हैं और उनके शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता है।


प्रोफेसर एन डी गुप्ता ने वक्ताओं को प्रमाण पत्र वितरित किए। भाषा विज्ञान विभाग में, एमए (तृतीय सेमेस्टर) की छात्रा आलमीन ज़हरा ने आज़ादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में, जनजातीय गौरव दिवस को चिह्नित करने के लिए आयोजित ‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान‘ पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता। नमरा किदवई (एमए, तृतीय सेमेस्टर) और अनीस आलम (बीए, पांचवें सेमेस्टर) को क्रमशः दूसरा और तीसरा पुरस्कार मिला।


वाद-विवाद प्रतियोगिता के परिणाम की घोषणा करते हुए विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर एम जे वारसी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदायों की मुक्ति के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया और चुनौतीपूर्ण समय में उनके सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए काम किया। उन्होंने आदिवासियों, विशेषकर मुंडा और ओरियन समुदायों को धर्म परिवर्तन से बचाने के लिए भी ज़बरदस्त काम किया।


उन्होंने कहा कि विजेताओं को मोमेंटो देकर सम्मानित किया जाएगा और सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे।


हिंदी विभाग में ‘भगवान बिरसा मुंडाः द प्राइड ऑफ ट्राइबल कम्युनिटीज‘ विषय पर व्याख्यान देते हुए इतिहास विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद सज्जाद ने आदिवासियों के बीच साम्राज्यवादी शक्तियों के खिलाफ एक जन आंदोलन बनाने और उन्हें राष्ट्रवादी ढांचे में उनके अधिकारों और स्थान के प्रति जागृत करने में बिरसा मुंडा की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने उस दौरान हो रहे अन्य आंदोलनों की भूमिका को भी रेखांकित किया, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा तैयार किया।


अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर आशिक अली ने कई अन्य आंदोलनों का उल्लेख किया जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। हालांकि, उन्होंने जन आंदोलनों को धर्म से जोड़ने और निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए उनका इस्तेमाल करने की मानसिकता के खिलाफ भी चेताया।कार्यक्रम का संचालन प्रो शंभूनाथ तिवारी ने किया जिसमें शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया।अरबी विभाग ने जनजातीय गौरव दिवस पर भाषण प्रतियोगिता और समूह चर्चा का आयोजन किया।


भाषण प्रतियोगिता में रिसर्च स्कॉलर मोहम्मद शाहिद ने पहला, अजमल हुसैन ने दूसरा और मोहम्मद सईद ने तीसरा स्थान हासिल किया। शहर बानो और परवेज आलम को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।


ग्रुप डिस्कशन में हमीदुर रहमान, अजमल हुसैन और मोहम्मद शाहिद की टीम ए ने पहला पुरस्कार जीता जबकि मोहम्मद सईद, परवेज आलम और मोहम्मद इमरान के ग्रुप बी को उपविजेता घोषित किया गया।छात्रों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए, पूर्व डीन, कला संकाय और विभाग के पूर्व अध्यक्ष, प्रोफेसर सैयद कफील अहमद कासमी ने कहा कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को याद करने का एक महान क्षण है।


विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर मोहम्मद सनाउल्ला नदवी ने कहा कि भारत विभिन्न जातियों, पंथों, समुदायों और धर्मों से बना है और इसकी असंख्य सांस्कृतिक बनावट सभी के लिए एक समृद्ध विरासत का निर्माण करती है जिसमें विभिन्न राज्यों के विभिन्न भागों में रहने वाली जनजातियां भी शामिल हैं।


उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा का नाम तिलका मांझी, सिद्धू, कानू मुर्मू और गोविंद गुरु जैसे कई नायकों में प्रमुख है।


अर्थशास्त्र विभाग ने ‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति वीरों का योगदान‘ विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसका निर्णय अध्यक्ष प्रोफेसर मो. अब्दुस सलाम और प्रोफेसर शहरोज़ आलम रिजवी ने किया।


पहला पुरस्कार सुश्री इकरा जान ने जीता, जबकि सुश्री अरिशा फरहत को दूसरा पुरस्कार मिला। तीसरा पुरस्कार श्री हर्षित गुप्ता और श्री मोहम्मद फतेन रजा ने साझा किया


अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर मो. अब्दुस सलाम ने भगवान बिरसा मुंडा की भूमिका पर प्रकाश डाला, जिन्होंने आदिवासियों की भूमि की लूट को रोकने के लिए अंग्रेजों का शक्तिशाली प्रतिरोध किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदायों ने अपनी विरासत को संरक्षित करने के लिए बहुत संघर्ष किया है और राष्ट्रीय विकास प्रक्रिया में भगवान बिरसा मुंडा और अन्य आदिवासी नेताओं के योगदान को हमेशा सम्मान के साथ याद किया जाएगा।


इस बीच, सैयदना ताहिर सैफुद्दीन स्कूल में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य युवा छात्रों को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी, भगवान बिरसा मुंडा और देश की आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले अन्य वीरों के महान कार्यों से परिचित कराना था।


स्कूल के प्रधानाचार्य फैसल नफीस ने आदिवासी समुदायों के शैक्षिक और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं और नीतियों को रेखांकित किया।


कार्यक्रम का संचालन गजला तनवीर ने किया।


दृष्टिबाधित छात्रों के अहमदी स्कूल द्वारा ‘स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान‘ पर आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में यासमीन, आतिफ़ा और मोहम्मद मिराज ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार जीता।


प्राचार्य डा नायला राशिद ने जनजाति गौरव दिवस की प्रासंगिकता और महत्व पर बात की।


कार्यक्रम का संचालन इराम फातिमा व अलीका तबस्सुम ने किया।


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शिक्षक के निधन पर शोक सभा


अलीगढ, 16 नवम्बरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर श्री जफर अहमद के निधन पर शोक सभा का आयोजन किया गया, जिनका हाल ही में अल्प बीमारी के बाद निधन हो गया था।


फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डीन, प्रोफेसर एम अल्तमश सिद्दीकी और जेडएच कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी के प्रिंसिपल, प्रोफेसर एम.एम सुफियान बेग ने शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति गहरा दुख और संवेदना व्यक्त की।


इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर सलमान हमीद ने कहा कि श्री जफर के निधन की खबर उनके सभी सहयोगियों को सदमे और दुख के साथ मिली। वह एक अद्भुत शिक्षक और अतुलनीय गुणवत्ता वाले व्यक्ति थे, जिन्होंने ईमानदारी और समर्पण के साथ निस्वार्थ भाव से विश्वविद्यालय की सेवा करके सकारात्मक रूप से कई लोगों के जीवन को प्रभावित किया।


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अमेजन द्वारा एएमयू के 16 छात्रों का चयन


अलीगढ़, 16 नवंबरः टेक जायंट और अग्रणी ई-कॉमर्स मल्टीनेशनल कॉरपोरेशन, अमेज़न द्वारा अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट ऑफिस-जनरल के ऑन-कैंपस भर्ती अभियान में विश्वविद्यालय के स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं के 16 छात्रों का चयन किया है।


बुशरा जफर (एमएससी सांख्यिकी), डिंपल सिंह (बीए रूसी), फातिमा परवेज (बीकॉम), गगन मिश्रा (बीएससी आईटी), हीरा आरिफ (एमकॉम), जसवीन कौर सचदेवा (एमएससी बॉटनी), ज्योति वार्ष्णेय (एमआईआरएम) , मोहम्मद काशिफ खान (एमआईआरएम), मोहम्मद साकिब (एम.लिब), मुस्तफा आजम (बी.कॉम), नेहा रफी (बी.लिब), सानिया रहमान (एमएससी बॉटनी), सैयद फरहाद हुसैन (एमबीए), सैयद मोहम्मद अनस जाकिर (बीएससी आईटी), उमरा हमीद (एम.कॉम) और शाइस्ता परवीन (बीएससी भूगोल) को अमेज़न टीम द्वारा आयोजित कई दौर के साक्षात्कार के बाद कैटलॉग एसोसिएट और कैटलॉग लीड के पदों पर काम करने के लिए चुना गया।


एएमयू रजिस्ट्रार, श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) ने अमेज़न टीम का स्वागत किया और कैनेडी हॉल ऑडिटोरियम में एक विशेष प्री-प्लेसमेंट सत्र में उनके साथ बातचीत की।


श्री साद हमीद, सामान्य प्रशिक्षण और प्लेसमेंट अधिकारी और सहायक सामान्य प्रशिक्षण और प्लेसमेंट अधिकारी, डा जहाँगीर आलम और डा मुज़म्मिल मुश्ताक ने अमेज़न टीम का आभार व्यक्त किया और बताया कि आने वाले महीनों में इस तरह के और प्लेसमेंट ड्राइव आयोजित किये जायेंगे।

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