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JNMC में ‘मैकेनिकल वेंटिलेशन, एबीजी और डिफिकल्ट एयरवे मैनेजमेंट’ पर सीएमई एवं कार्यशाला आयोजित

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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, के एनेस्थिसियोलॉजी विभाग द्वारा मेकेनिकल वेंटिलेशन, एबीजी और डिफिकल्ट एयरवे मैनेजमेंट’ पर दो दिवसीय ‘सीएमई एवं कार्यशाला’ का आयोजन किया गया जिसमेंएनेस्थिसियोलॉजिस्ट और अन्य डॉक्टरों ने अनुकूलित स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए वायुमार्ग कौशल की एक श्रृंखला विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

जेएनएमसी सभागार में उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, एएमयू कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि महामारी के दौरान मेडिकल कॉलेज के आपातकालीन कक्षों, भर्ती रोगियों वाले वार्डों और आईसीयू में कोविड रोगियों कि भरी भीड़ जमा थी। विकट स्थिति में स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों का व्यापक इस्तेमाल हुआ। अब जबकि हम सामान्य स्थिति में लौट रहे हैं, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दुनिया एनेस्थेसियोलॉजिस्ट को वायुमार्ग विशेषज्ञों, श्वसन चिकित्सकों और इंटेंसिविस्ट के रूप में देखती है, यहां तक कि इस स्थिति में उनसे अग्रणी भूमिका निभाने कि आशा करती है।


उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि वायरस का एक और प्रकोप हमारे लिए फिर से कठिनाईएन उत्पन्न न करे, हमारे एनेस्थेसियोलॉजिस्ट को एक विशाल कौशल मंच प्रदान करना आवश्यक है जो कोविड जैसी संकट की स्थिति में बेहद मूल्यवान हो सकता है।


कार्यक्रम के संरक्षक, एएमयू के प्रो वाइस चांसलर, प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने कहा कि दुनिया ने महामारी में एनेस्थिसियोलॉजिस्ट की बड़ी कमी महसूस की और अब जबकि एनेस्थीसिया रेजिडेंट्स को भी बड़ा महत्व दिया जा रहा है, उनकी विशेषता के महत्व को दर्शाता है।


उन्होंने कठिन वायुमार्ग प्रबंधन में सभी शाखाओं के डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया।


डीन, फैकल्टी ऑफ मेडिसिन, प्रोफेसर एम यू रब्बानी ने कहा कि महामारी के दौरान चुनौतियों को एनेस्थेसियोलॉजिस्ट द्वारा बहादुरी से स्वीकार किया गया। महामारी की स्थिति का प्रबंधन करने के लिए अधिक कौशल सीखने की उनकी रुचि स्पष्ट थी। मुझे यकीन है कि यह वर्कशॉप और सीएमई हमारे डॉक्टरों के लिए मुश्किल एयरवे मैनेजमेंट स्किल्स को अपडेट करने के लिए बेहद सहायक होगा।


प्रिंसिपल, जेएनएमसी प्रोफेसर राकेश भार्गव ने कहा कि वायुमार्ग प्रबंधन और पुनर्जीवन जैसे कौशल जो एनेस्थिसियोलॉजी प्रशिक्षण का एक बुनियादी हिस्सा हैं, जीवन रक्षक प्रक्रियाएं हैं और किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया में अपरिहार्य हैं। एनेस्थिसियोलॉजी के अलावा चिकित्सा की किसी अन्य शाखा में अंग प्रबंधन की बेहतर समझ और प्रशिक्षण नहीं मिल सकता।


स्वागत भाषण में कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष और एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष, प्रो काज़ी एहसान अली ने बताया कि दो दिवसीय सीएमई और कार्यशाला में सात एनेस्थेसियोलॉजिस्ट वायुमार्ग प्रबंधन में प्रगति पर व्याख्यान देंगे और सात विशेषज्ञ प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।  आयोजन सचिव, डॉ अबु नदीम ने धन्यवाद ज्ञापित किया।


डॉ शाहना अली और डॉ फराह नसरीन ने उद्घाटन समारोह का संचालन किया। कार्यक्रम के रिसोर्स पर्सन्स में प्रो सैयद मुईद अहमद (एनेस्थिसियोलॉजी विभाग, जेएनएमसी), डॉ तारिक अली (मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम), प्रो संदीप साहू (एसजीपीजीआईएमएस, लखनऊ), प्रो अनिल कुमार वर्मा (जीएसवीएम, कानपुर), डॉ फारुख अंसारी (चंदन अस्पताल, लखनऊ), प्रो अखिलेश गुप्ता (आरएमएल अस्पताल, नई दिल्ली), डॉ सैयद नबील मुजफ्फर (केजीएमयू, लखनऊ), प्रो हैदर अब्बास (केजीएमयू, लखनऊ), प्रो प्रशांत कुमार (न्यूरोक्रिटिकल केयर रॉयल विक्टोरिया अस्पताल, बेलफास्ट, यूके), डॉ धर्मेंद्र कुमार यादव (एमएलएन मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज), डॉ मोहम्मद सैफ खान (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, रांची), डॉ बृजेश प्रताप सिंह (केजीएमयू, लखनऊ) और डॉ शिवानी जैन (मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल वैशाली, गाजियाबाद) भाग ले रहे हैं।


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डा. शाह मोहम्मद अब्बास बेस्ट पेपर अवार्ड से सम्मानित


अलीगढ़ 17 दिसंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज के फिजियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शाह मोहम्मद अब्बास वसीम, जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से संबंधित दो अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में पेपर प्रस्तुत किए, को दोनों पेपर्स के लिए सामग्री और प्रभावकारिता के आधार पर बेस्ट पेपर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।


डॉ. शाह मोहम्मद ने ‘मेंटल हेल्थ एंड कोविड-19’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपना पहला पेपर प्रस्तुत किया, जिसके सह-लेखक डॉ. अली जाफ़र आब्दी थे, जबकि ज़ैनब अर्जुमंद वसीम और यूके जैदी के सह लेखन में उनका दूसरा पेपर ‘मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने में परामर्श की भूमिका’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था। दोनों कांफ्रेंस का आयोजन मनोविज्ञान विभाग, एएमयू द्वारा किया गया था।


उन्हें एवीएमसी और एच, पुडुचेरी द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ई-कॉन्फ्रेंस में ‘रोल ऑफ बेसिक मेडिकल साइंसेज इन एकेडेमिया, डायग्नोसिस एंड रिसर्च एडवांसमेंट’ पर अपने पेपर के लिए सराहना का प्रमाण पत्र भी दिया गया। डीन, मेडिसिन फैकल्टी, प्रो. एम.यू. रब्बानी और अध्यक्ष, फिजियोलॉजी विभाग ने डॉ शाह मोहम्मद को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।


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जीआईएएन कोर्स 19 दिसंबर से

अलीगढ़ 17 दिसंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेडएच कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा ‘पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी और आणविक जीव विज्ञान में मात्रात्मक उपकरण’ विषय पर पांच दिवसीय ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स पाठ्यक्रम 19 दिसंबर को कॉन्फ्रेंस हॉल, यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक में प्रातः 10 बजे शुरू होगा। पाठ्यक्रम समन्वयक और प्रभारी, पर्यावरण इंजीनियरिंग सेक्शन, प्रोफेसर इजहारुल हक फारूकी ने बताया कि इस पाठ्यक्रम का समापन 23 दिसंबर को होगा।


 


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एएमयू शिक्षक द्वारा व्याख्यान

अलीगढ़, 17 दिसंबरः चिश्तिया कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स, औरंगाबाद और इतिहास और प्राचीन भारतीय संस्कृति विभाग, डॉ. बाबासाहेब मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद, महाराष्ट्र, में विशेष व्याख्यान देते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सीएएस, इतिहास विभाग में सहायक प्रोफेसर, डॉ. अनीसा इकबाल साबिर ने कहा कि मालफुजत या प्रवचनों का रिकॉर्ड, टेबल वार्ता और सूफी संतों/शेखों के कथन मध्यकालीन भारतीय इतिहास के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य के अध्ययन में विशेष महत्व रखते हैं।


डॉ. अनीसा ने चिश्तिया कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स, औरंगाबाद में ‘पंजाब और कश्मीर में सूफीवाद’ और ‘मध्यकालीन इतिहास के स्रोत, फारसी भाषा के विशेष संदर्भ’ विषयों पर दो व्याख्यान दिए।


उन्होंने कहा कि सूफियों का उद्देश्य समानता के सिद्धांत पर आधारित एक समतावादी समाज की स्थापना करना था। उनके जीवन का उद्देश्य ईश्वर कि आराधना और विश्व शांति की स्थापना था। यह उनका दृढ़ विश्वास था कि लोगों की सेवा करना औपचारिक पूजा से अधिक महत्वपूर्ण है। मध्यकालीन भारतीय इतिहास के फ़ारसी स्रोतों पर अपने दूसरे व्याख्यान में, डॉ. अनीसा ने अनुसंधान के लिए प्राथमिक स्रोतों के उपयोग के महत्व को समझाया। उन्होंने इतिहास में अनुसंधान के लिए विशेष रूप से मुगल काल के फारसी स्रोतों का अध्ययन प्रस्तुत किया।


डॉ. बीआर अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद में ‘मध्यकालीन भारत में शिक्षा प्रणालीः पश्चिमी पंजाब के एक महान सूफी विद्वान सैयद शेख जलालुद्दीन बुखारी के विशेष संदर्भ में’ विषय पर एक अन्य व्याख्यान में उन्होंने बताया कि मध्यकालीन समय में शिक्षा किस प्रकार मनकुलात (पारंपरिक विज्ञान) और माक़ुलात (तर्कसंगत विज्ञान) का एक संयोजन थी।उन्होंने शासकों द्वारा शिक्षा के संरक्षण और ज्ञान के प्रसार और अधिग्रहण के लिए अपनाए गए विभिन्न तरीकों पर भी चर्चा की।


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एएमयू राइडिंग क्लब कप्तान इमरान गाजी ने आरईएल इवेंट में गोल्ड जीता

अलीगढ़, 17 दिसंबरः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी राइडिंग क्लब के कप्तान इमरान गाजी ने गाजियाबाद में आयोजित हॉर्स शो के दौरान ‘इंडिविजुअल टेंट पेगिंग स्वोर्ड’ इवेंट में सरपट दौड़ते हुए घोड़े पर अपने भाले का सफलतापूर्वक इस्तेमाल करते हुए स्वर्ण पदक जीतने के लिए छोटे-छोटे जमीनी लक्ष्यों को उठाया, उन्हें छेदा, काटा और अपनी जीत के लक्ष्य को प्राप्त किया।


वह बीएसएफ, आईटीबीपी, असम राइफल्स, हरियाणा पुलिस, चंडीगढ़ पुलिस, यूपी पुलिस, एएससी, आरवीसी के 75 सवारों के खिलाफ जीएचआरसी, इक्वेस्ट्रियन फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईएफआई) के क्षेत्रीय इक्वेस्ट्रियन लीग (आरईएल) इक्विविंग्स टीम और हाई-टेक टीम आदि के बीच एएमयू टीम का नेतृत्व कर रहे थे।


इमरान ने गाजी अब 61 कैवेलरी (एपीआरसी), नई दिल्ली में होने वाली नेशनल इक्वेस्ट्रियन चौंपियनशिप (एनईसी) 2023 को लक्ष्य बनाया हुआ है। एनईसी में जगह बनाने के लिए उन्हें एक और आरईएल जीतने के द्वार पर हैं। टॉप हॉर्स शो इवेंट में अपनी टीम के साथ एएमयू का प्रतिनिधित्व करने पर खुशी व्यक्त करते हुए इमरान गाजी ने कहा कि नेशनल्स से पहले आरईएल प्री-क्वालिफिकेशन चौंपियनशिप हैं। एक सवार को एनईसी अर्हता प्राप्त करने के लिए इनमें से दो क्षेत्रीय आयोजनों को अर्हता प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।


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डा. जुल्फिकार वक्ता के रूप में आमंत्रित

अलीगढ़, 17 दिसंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के राजा महेंद्र प्रताप सिंह ए एम यू सिटी स्कूल के वरिष्ठ शिक्षक डॉ जुल्फिकार को भारत उत्थान न्यास के तत्वावधान में आयोजित होने वाली ’राष्ट्रीय परिवाद -जय श्री रॉय का साहित्यः एक आकलन’ विषय पर वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया है। जिसमें डॉ जुल्फिकार ‘जयश्री रॉय की कहानियों में मानवीय संवेदना’ विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। यह राष्ट्रीय संगोष्ठी 19 दिसंबर, 2022 को एग्नेल  इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन, गोवा में होने जा रही है। डॉ. जुल्फिकार हिंदी के शिक्षक हैं।


 

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