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एएमयू में ‘मालवई सथ छपर‘ द्वारा पंजाबी संगीत वाद्यों से जगाया जादू |AligarhNews


अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ़ | उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी, लखनऊ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एनआरएससी क्लब में एक पंजाबी संगीत संध्या ‘सुर ताल संध्या’ का आयोजन किया, जिसे लुधियाना के एक पारंपरिक संगीतकार मंडल ‘मलवई साथ छपर’ ने प्रस्तुत किया। संगीतमय संध्या ने चिमटा की झंकारती धात्विक ध्वनियों, दो चोंच वाले एल्गोज़ के राग की अदम्य गर्मजोशी, गागर की पिचकारी धुन; सिंगल स्ट्रिंग तुम्बी के सरल नोट्स; खड़ताल की धातु की झंकार और एकतारा कि मंत्र मुग्ध करने वाली ध्वनि के साथ श्रोताओं पर जादू कर दिया।


‘मालवई साथ छपर’ के सदस्यों ने बताया कि ऐसे समय में जब आधुनिक संगीत वाद्ययंत्रों ने केंद्रीय पहचान हासिल कर ली है, पंजाबी पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों को भुला दिया गया है। लेकिन, हम चाहते हैं कि आज की संगीत प्रेमियों की पीढ़ी यह जाने कि कैसे ये साधारण बर्तन दिखने वाले यंत्र धुन पैदा करते हैं।


मुख्य अतिथि, प्रोफेसर एम शाफ़े किदवई (जनसंचार विभाग) ने कहा कि यह संगीत कार्यक्रम इस बात पर प्रकाश डालता है कि पारंपरिक वाद्ययंत्र निश्चित रूप से आधुनिक उपकरणों से काम नहीं हैं क्यूंकि पंजाब के संगीतकार पारंपरिक वाद्य यंत्रों को लोकप्रिय बनाने क लिए नए वाद्ययंत्रों के आविष्कार, सुधार और विकास में गहरी रुचि ले रहे हैं।


कार्यक्रम समन्वयक, आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के प्रो क्रांति पाल ने कहा कि पंजाबी शास्त्रीय संगीत के कई अन्य प्रतिपादकों के साथ मलवाई सथ छपर इन पारंपरिक वाद्ययंत्रों, विशेष रूप से तार वाले वाद्ययंत्रों को पुनर्जीवित करने और लोकप्रिय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, अभी भी इन पारंपरिक वाद्य यंत्रों को बजाने के लिए अधिक से अधिक लोगों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।


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प्रोफेसर आसिफ अली के निधन पर एएमयू में शोक

अलीगढ़, 6 दिसंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के जैव रसायन विभाग के वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर आसिफ अली का संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 64 वर्ष के थे।


एएमयू के कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर ने उनके निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि प्रोफेसर आसिफ के निधन से उनके साथियों, छात्रों और प्रियजनों को गहरा आघात पहुंचा है और पूरा विश्वविद्यालय समुदाय उनके बिछड़ जाने पर दुखी है।


वह एक अद्भुत इंसान और शिक्षक थे जिन्होंने छात्रों को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित किया। मैं उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं।


फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के डीन, प्रोफेसर एम यू रब्बानी ने कहा कि प्रोफेसर आसिफ ने अपने कार्यकाल में अपने मृदुल व्यवहार से बहुत से लोगों को प्रभावित किया और छात्रों की मदद की और उन्हें सही रास्ते, ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। हमने नहीं सोचा था कि वह इतनी जल्दी हम से बिछड़ जायेंगे।


जेएनएमसी के प्रधानाचार्य, प्रोफेसर राकेश भार्गव ने कहा कि प्रोफेसर आसिफ ने हमेशा अपने ज्ञान से कक्षा को नई रौशनी दी और निश्चित रूप से उन्हें उनके छात्रों और सहयोगियों द्वारा हमेशा याद किया जाएगा।


बायोकेमिस्ट्री विभाग की अध्यक्ष प्रो शगुफ्ता मोइन ने कहा कि प्रो आसिफ अपने सहयोगियों के लिए अनुशासन और समर्पण के प्रेरणा स्रोत थे। वह एक अनुकरणीय व्यक्ति थे जो हर किसी के लिए हमेशा आसानी से उपलब्ध रहते थे। अपने 40 वर्षों के शोध और 32 वर्षों के शिक्षण अनुभव में प्रो आसिफ ने एमबीबीएस, बीडीएस, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, फार्मेसी, एमडी, एम.फिल और पीएचडी छात्रों को पढ़ाया और दो कार्यकाल के लिए जैव रसायन विभाग के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने सहकर्मी-समीक्षित पत्रिकाओं में कई पत्र प्रकाशित किए। 

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