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अपर निदेशक कृषि रक्षा ने आलू की फसल का किया निरीक्षण,जारी की एडवाइजरी

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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ़ 07 जनवरी, 2023 (सू0वि0) अपर कृषि निदेशक कृषि रक्षा उत्तर प्रदेश कृषि भवन टी0पी0 चौधरी द्वारा शनिवार को जनपद में किसानों की आलू की फसल का निरीक्षण किया गया। जिसके क्रम में अपर कृषि निदेशक कृषि रक्षा, जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमित जायसवाल, एडीओ पीपी धनीपुर राजेंद्र प्रसाद द्वारा ग्राम भूरा किशन गड़ी में आलू की फसल का किसानों के साथ निरीक्षण किया गया। किसानों को अत्यधिक ठंड, कोहर,े पाले से बचाव के लिये सिस्टमिक फंगिसाइड, कांटेक्ट फंगीसाइड एवं अगेती व पछेती झुलसा से बचाने के लिये एंटीबायोटिक का छिड़काव करने का सुझाव दिया गया।


          कृृषक रेशम पाल सिंह, वीरेन्द्र सिंह द्वारा बताया गया की आलू की 3797 एवं सूर्या प्रजाति लगाई गई है जिसमें अभी तक किसी भी कीट रोग की कोई समस्या नहीं आई है।


 


आलू किसानों को दी सलाह:


 


          जनपद के किसानों भाईयों को सलाह दी जाती है कि रबी की प्रमुख फसल आलू को सुरक्षित  रखने के लिये नियमित रूप से निगरानी करें। पछेती झुलसा रोग के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल सुझाव एवं संस्तुतियों को अपनाकर फसलों को बचाऐं।


          पछेती झुलसा रोग- यह रोग पौधे के पत्तियों, डण्ठलों और कन्दों सभी पर लगता है। इस बीमारी के प्रारम्भिक लक्षण पत्तियों पर छोटे हल्के पीले, हरे अनियमित आकार के घने के रूप में दिखाई देते है, जो शीघ्र ही बढ़कर बड़े गीले दिखे वाले धब्बे बनाते हैं। बाद में पत्तियों के निचले भाग पर इन धब्बे के चारों ओर अंगूठीनुमा सफेद फफूँदी आ जाती है। बचाव के लिए रोग ग्रसित कन्दो को भण्डारण एवं फसल की बुआई से पूर्व छांटकर व अलग करके गड्ढे में दबा दंे। बीमारी के लिए अनुकूल मौसम होने पर सिंचाई बन्द कर दें और 75 प्रतिशत पत्तियों के नष्ट होने पर डण्ठलों को काटकर खेत से बाहर गड्ढे़ में दबा दें। कॉपर आक्सी क्लोराइड 2 किग्रा प्रति हेक्टर अथवा फसल पर बीमारी के लक्षण दिखाई देने से पूर्व मैंकोजेब 02 प्रतिशत (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का घोल बनाकर छिड़काव करें, दूसरा छिडकाव 8-10 दिन के बाद करें।



          फसल में कहीं पर रस चूसने वाले कीट या पात फदका (लीफ हॉपर्स) जो कि हरा व भूरे रंग का कीड़ा है जिसका शरीर पतले शंकु के आकार का होता है, जो कि हरी पत्तियों का रस चूसते है, जिसके कारण पत्तियाँ भूरे रंग की होकर सूख जाती है। इसका अगेती फसल में बहुत अधिक प्रकोप होता है। इससे बचाव के लिये थायोमेथाक्साम 25 प्रतिशत डब्ल्यू0ए0 की 100 ग्राम मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें। इसके बाद आवश्यकता पड़ने पर दूसरा छिड़काव 10 से 15 दिन के बाद करें।


          किसान भाईयो को सलाह दी जाती है कि वह किसी भी कीटनाशक रसायन का प्रयोग करने से पहले विकास खण्ड स्तर पर कार्यरत वरिष्ठ प्राविधिक सहायक कृषि रक्षा एवं प्राविधिक सहायक कृषि रक्षा या कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से या जिला कृषि रक्षा अधिकारी से जानकारी करने के बाद ही कीटनाशकों का प्रयोग करें।

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