इस्लामी वास्तुकला की विरासत पर एएमयू में राष्ट्रीय सम्मेलन, छात्रों को मिला एडब्लूएसएआर-डीएसटी अवार्ड

Aligarh Media Desk
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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम अलीगढ़ 28 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (जेडएचसीईटी) के वास्तुकला विभाग द्वारा इस्लामी वास्तुकला के इतिहास और प्रासंगिकता पर विचार-विमर्श में शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को शामिल करने के उद्देश्य से ‘इस्लामी वास्तुकला की विरासत’ विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।


उद्घाटन सत्र में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में एएमयू के कुलपति प्रो तारिक मंसूर ने मध्य पूर्व, तुर्की, यूरोप, कतर और स्पेन जैसे दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में इस्लामी वास्तुकला की विशेषताओं पर चर्चा की। श्रीनगर में परी महल उद्यान महल के विशेष उल्लेख के साथ, उन्होंने इस्लामी वास्तुकला के भारतीय संस्करण को विकसित करने में दारा शिकोह के योगदान पर प्रकाश डाला।


मानद अतिथि प्रो. एस.एम. अख्तर, पूर्व डीन, फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर एंड एकिस्टिक्स, जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली और प्रोफेसर जगबीर सिंह, निदेशक, एमिटी स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर ने इस दिलचस्प विषय पर सम्मेलन आयोजित करने के लिए विभाग को बधाई दी।


फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डीन प्रो मोहम्मद अल्तमश सिद्दीकी ने भी फैकल्टी की उपलब्धियों के बारे में अपने विचार साझा किए।


प्रो मो. खालिद हसन ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विकसित इस्लामी वास्तुकला की विशेषताओं, स्वरूपों और तकनीकों को समझने के लिए व्यवस्थित, वैज्ञानिक और व्यवस्थित चर्चा और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सम्मेलन की दृष्टि को समझाया।


कार्यक्रम की संयोजक, प्रो. शरमीन खान ने विषय को रेखांकित करते हुए इस्लामी वास्तुकला की बारीकियों और महत्व पर चर्चा की, जो कुछ काल्पनिक वास्तुशिल्प सुविधाओं और तत्वों के मात्र प्रतिनिधित्व से अधिक है।


आयोजन सचिव प्रो मोहम्मद फरहान फाजली ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

सम्मेलन के तकनीकी सत्र के दौरान इस्लामी या मुस्लिम वास्तुकला के बारे में मतभेद, इस्लामी वास्तुकला और स्थायित्व, इस्लामी वास्तुकला के सिद्धांतों और तत्वों, समकालीन इस्लामी वास्तुकला और निर्माण तकनीकों के संबंध सहित विभिन्न विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की गई और प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं।


एनआईआरएफ रैंकिंग समिति के अध्यक्ष प्रो. मिर्जा सालिम बेग समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे और प्रो. आई.एच. फारूकी, अध्यक्ष, सिविल इंजीनियरिंग विभाग सम्मानित अतिथि थे।

रिसर्च स्कॉलर और स्टूडेंट कैटेगरी के तहत बेस्ट पेपर और बेस्ट पेपर प्रेजेंटेशन के लिए अवॉर्ड भी दिए गए।


प्रो शर्मिन खान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सम्मेलन की कार्यवाही में कुल पचास सार प्रकाशन के लिए स्वीकार किए गए, जिनका विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।


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एएमयू के छात्रों को मिला एडब्लूएसएआर-डीएसटी अवार्ड

अलीगढ़ 28 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के दो छात्रों ने वर्ष 2022 के लिए ऑगमेंटिंग राइटिंग स्किल्स फॉर आर्टिकुलेटिंग रिसर्च (एडब्ल्यूएसएआर)-डीएसटी अवार्ड हासिल किया है। अब्दुर रऊफ समीम और हुमा फातमा को उनके कार्यों, ‘ए नोबेल एप्रोच टू रीमीडिएट नैनोपार्टिकिल्स यूजिंग ए फंगस प्लूरोटसफोसूलेटस’ और ‘लाइट एट द ऐंड आफ द टनल’ के लिए यह पुरस्कार मिला जिसके अंतगत उन्हें 10 हजार रुपये नकद और एक प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया है।


एडब्लूएसएआर-डीएसटी अवार्ड, डीएसटी-इंडिया की एक पहल है, जिसका उद्देश्य आम लोगों के बीच भारतीय शोध की कहानियों को इस प्रकार प्रस्तुत करना है, जिसे गैर-विशेषज्ञ आसानी से समझ सकें।


इस पहल के तहत, डॉक्टरेट और पोस्टडॉक्टोरल विद्वानों को उनके छात्रवृत्ति कार्यकाल के दौरान एक कहानी के रूप में अपना शोध लिखने और राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है।


श्री रउफ जीवित मछलियों में निकेल ऑक्साइड नैनोकणों के विषैले विश्लेषण और एक कवक प्रजाति का उपयोग करके इसके बायोरेमेडिएशन पर डॉ. हुमा वसीम की देखरेख में काम कर रहे हैं, जबकि सुश्री हुमा फातमा डॉ हिफजुर रहमान सिद्दीक की निगरानी में लिवर कैंसर के केमोसेंसिटाइजेशन पर काम कर रही हैं।


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क्लासिकल यूनानी अनुसंधान पद्धति पर अजमल खां तिब्बिया कालिज में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन


अलीगढ़ 28 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के इल्मुल अदविया विभाग द्वारा यूजीसी डीआरएस-द्वितीय (एसएपी-द्वितीय) कार्यक्रम के तहत ‘क्लासिकल यूनानी शोध पद्धति और आधुनिक शोध तकनीकों को अपनाने’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।


प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संगोष्ठी आयोजित करने के लिए विभाग और आयोजकों को बधाई दी। उन्होंने उपचार की यूनानी पद्धति के महत्व पर चर्चा की और कई पुरानी और जटिल बीमारियों में इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में उपचार की यूनानी पद्धति बढ़ती लोकप्रियता प्राप्त कर रही है और यह अगले कुछ दशकों में एलोपैथिक दवा के रूप में लोकप्रिय हो जाएगी।


मुख्य अतिथि, डॉ. मुख्तार अहमद कासमी, सलाहकार (यूनानी), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में, यूनानी प्रणाली व्यापक लोकप्रियता प्राप्त कर रही है और बीमारियों के प्रबंधन में प्रभावी रूप से मदद कर रही है। आणविक तकनीकों को अपनाकर, उनके बायो-मार्कर की पहचान करके दवाओं की और खोज की जा सकती है और फिर उन्हें यूनानी उपचार पद्धति के समग्र दृष्टिकोण में अपनाया जा सकता है।


उन्होंने यूनानी दवाओं के पेटेंट के महत्व पर प्रकाश डाला और पारंपरिक चिकित्सा के प्रति सरकार की रुचि का भी उल्लेख किया।


मानद अतिथि, प्रो अब्दुल वदूद (निदेशक, एनआईयूएम, बंगलुरू) ने चिकित्सा अनुसंधान, विशेष रूप से प्रयोगात्मक, शारीरिक और तुलनात्मक अनुसंधान और यूनानी दवाओं के मानकीकरण के क्षेत्र में विभाग की सेवाओं को सराहा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि संगोष्ठी में चर्चा से सामान्य लाभ के लिए यूनानी दवाओं के विकास में मदद मिलेगी।


प्रो रईस अहमद, डीन, कृषि विज्ञान संकाय ने यूनानी चिकित्सा के क्षेत्र में एक अंतःविषयी अनुसंधान शुरू करने के लिए शोधकर्ताओं का आग्रह किया। उन्होंने यूनानी चिकित्सा की प्रभावकारिता और आधुनिक चिकित्सा के साथ इसके प्रभाव पर चर्चा की।


यूनानी चिकित्सा संकाय की डीन प्रो शगुफ्ता अलीम ने संकाय की उपलब्धियों को रेखांकित किया. अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर बदरुद्दुजा खान ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में इल्मुल अदविया विभाग की विशिष्टताओं और व्यक्तिगत विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया।


इससे पूर्व, अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजन सचिव एवं विभागाध्यक्ष, डॉ. अब्दुल रऊफ ने विभाग में हो रहे विकास कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विभाग की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने पर शिक्षकों की उपलब्धियों की चर्चा की और विभाग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कड़ी मेहनत करने का आग्रह किया।


डॉ. नाजिश सिद्दीकी ने उद्घाटन समारोह का संचालन किया और डॉ. सुम्बुल रहमान ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।


संगोष्ठी के दौरान प्रस्तुत किए गए 50 शोध पत्रों, टिप्पणियों और महत्वपूर्ण लेखों और व्याख्यानों के साथ छह वैज्ञानिक सत्र आयोजित किए गए। 13 अतिथि वक्ताओं में प्रो. अब्दुल वदूद (निदेशक, एनआईयूएम, बैंगलोर), प्रो. नफीस बानो (सरकारी एचएसजेडएच कॉलेज, भोपाल), प्रो. मो. असलम (प्रमुख, इल्मुल अदविया विभाग, जामिया हमदर्द), प्रो. के.एम.वाई. अमीन, प्रो. अब्दुल लतीफ, प्रो. असद उल्लाह खान, प्रो. सैयद जियाउर रहमान, प्रो. मुहम्मद अनवर, प्रो. अशर कदीर, डॉ. मुहम्मद मोहसिन, डॉ. रियाज अहमद और डॉ. हिफजुर रहमान सिद्दीकी ने विविध विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। पीजी छात्रों के लिए पोस्टर प्रस्तुति सत्र में लगभग 60 प्रतिभागियों ने अपने पोस्टर प्रस्तुत किए। विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए पुरस्कार भी दिए गए।


समापन कार्यक्रम में लाइफ साइंसेज फैकल्टी के पूर्व डीन प्रो. वसीम अहमद मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए, जबकि प्रो. सलमा अहमद, सदस्य प्रभारी, दवाखाना तिब्बिया कॉलेज और डीन, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज और प्रो. अब्दुल लतीफ, पूर्व अध्यक्ष, इल्मुल अदविया विभाग कार्यक्रम में मानद अतिथि के रूप में शामिल हुए।


समापन कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुम्बुल रहमान ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शमशाद आलम ने किया।


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रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता आयोजित

अलीगढ़ 28 फरवरीः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग की साहित्यिक एवं ई-मैग समिति द्वारा ‘ऑन द स्पॉट क्रिएटिव राइटिंग प्रतियोगिता’ व ‘स्व रचित कविता पाठ प्रतियोगिता’ का आयोजन किया गया।

स्व-रचित कविता पाठ प्रतियोगिता में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग की फातिमा मोहतशिम, यूनानी मेडिसिन फैकल्टी की आयशा रजी और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के मोहम्मद अमान अंसारी ने क्रमशः पहला, दूसरा और तीसरा पुरस्कार जीता। यूनानी मेडिसिन ने जज च्वाइस अवार्ड जीता और विधि संकाय से ऋतिक सिंह जादौन को विशेष उल्लेखनीय पुरस्कार मिला।

व्यवसाय प्रबन्धन विभाग से प्रतीक्षा सिंह और फारिस रहमान पी ने ‘ऑन द स्पॉट क्रिएटिव राइटिंग प्रतियोगिता’ में क्रमशः पहला और दूसरा पुरस्कार जीता, जबकि व्यवसाय प्रबंधन विभाग से वंशिका वाष्र्णेय और समाजशास्त्र विभाग से मोहम्मद अखलाक को विशेष उल्लेखनीय पुरस्कार मिला।


प्रो फिजा तबस्सुम आजमी और डॉ तारिक अजीज प्रभारी शिक्षक थे, जबकि डॉ आसिफ अख्तर और डॉ जरीन हुसैन फारूक ने प्रतियोगिताओं को जज किया।


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एसएई जेडएचसीईटी कॉलेजिएट क्लब ‘फॉर्मूला स्टूडेंट ऑस्ट्रिया-2023’ में प्रतिस्पर्धा करेगा


अलीगढ़, 28 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के कॉलेजिएट क्लब की फॉर्मूला रेसिंग टीम ने अंतर्राष्ट्रीय स्टार की रेस कार डिजाइन और निर्माण प्रतियोगिता ‘फॉर्मूला स्टूडेंट ऑस्ट्रिया-2023’ के लिए रूलबुक क्विज को सफलतापूर्वक पास कर लिया है।


श्री नफीस अहमद, शिक्षक सलाहकार, एसएई जेएचसीईटी कॉलेजिएट क्लब के अनुसार, ‘फॉर्मूला स्टूडेंट ऑस्ट्रिया’ स्पीलबर्ग में रेड बुल रेसवे में आयोजित किया जाएगा, और इसमें दुनिया भर से छात्र टीमें शामिल होंगी।


उन्होंने कहा कि चुनी गई 55 विदेशी टीमों में से जेडएफआर भारत की उन दो छात्र टीमों में से एक है, जिन्होंने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किया है और एफएस ऑस्ट्रिया 2023 रूल बुक क्विज में कुल मिलाकर 20वां स्थान हासिल किया है।


छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए डॉ सैयद फहद अनवर, फैकल्टी एडवाइजर, एसएई जेएचसीईटी कॉलेजिएट क्लब ने बताया कि टीम जेडएफआर को बिजनेस प्लान प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा और समग्र फॉर्मूला भारत-2023 प्रतियोगिता में तेरहवां स्थान मिला, जो जनवरी 2023 में कोयम्बटूर में कारी मोटर रेसवे में आयोजित किया गया था।


एसएई जेडएचसीईटी कॉलेजिएट क्लब के छात्र अध्यक्ष, श्री अरकम हाशिम सिद्दीकी ने कहा कि टीम इस प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करने और इस तरह के वैश्विक स्तर पर विश्वविद्यालय का नाम रौशन करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।


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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर एएमयू के भौतिक विभाग में कार्यक्रम आयोजित


अलीगढ़, 28 फरवरीः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग द्वारा आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस-2023 पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य भारतीय भौतिक विज्ञानी सर सी वी रमन द्वारा ‘रमन इफेक्ट’ के आविष्कार का स्मरण करना था, जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था। सर सीवी रमन का एएमयू से सम्बन्ध रहा है क्योंकि उन्हें 20 नवंबर 1931 को विश्वविद्यालय द्वारा डीएससी की मानद उपाधि प्रदान की गई थी।


अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो तारिक मंसूर ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के महत्व का उल्लेख किया और गुजरते वर्ष के साथ उच्च शैक्षणिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए विभाग की सराहना की। ‘वैश्विक भलाई के लिए वैश्विक विज्ञान’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कर्मचारियों और छात्रों को उनके भविष्य के प्रयासों में और अधिक बेहतरी लेन की कामना की।


स्टीफन हॉकिंग को उद्धृत करते हुए, उन्होंने कहा कि विज्ञान न केवल तर्क का एक अनुशासन है बल्कि रोमांस और जुनून भी है।


उन्होंने कहा कि हम सभी को और अधिक मेहनत करनी होगी ताकि वैज्ञानिक और तकनीकी विकास के माध्यम से सभी चुनौतियों को दूर किया जा सके।


मुख्य अतिथि आईआईटी, दिल्ली में विजिटिंग प्रोफेसर और हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रोफेसर रामकृष्ण रामास्वामी ने कहा कि न केवल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, जो प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को मनाया जाता है, बल्कि हर दिन एक विज्ञान दिवस है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सर सी वी रमन में अन्य लोगों के मूल्यों को पहचानने का गुण था।


मानद अतिथि प्रोफेसर एसके सिंह (पूर्व कुलपति, एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय) ने सर सी वी रमन को मिले नोबेल पुरस्कार से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर अन्य भारतीय भौतिकविदों को भी याद रखना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एएमयू बेहतरीन बुनियादी ढांचे से लैस है और विज्ञान संचार और सामग्री निर्माण के क्षेत्र में नेतृत्व कर सकता है।


विज्ञान संकाय के डीन, प्रोफेसर एम अशरफ ने समारोहों के महत्व पर जोर दिया और आने वाले वर्षों में विभाग के और अधिक विकास की कामना की। उन्होंने छात्रों को विज्ञान में रुचि विकसित करने और ब्रह्मांड के रहस्यों का पता लगाने के लिए भी प्रोत्साहित किया।


प्रोफेसर एम सज्जाद अतहर (अध्यक्ष, फिजिक्स विभाग) ने अपने स्वागत भाषण में विभाग द्वारा आयोजित सभी गतिविधियों और इसकी उपलब्धियों के बारे में एक सिंहावलोकन प्रस्तुत किया।


उन्होंने विभाग द्वारा हाल ही में की गई महत्वपूर्ण पहलों का विस्तृत विवरण भी दिया।


इस अवसर पर कुलपति द्वारा गुणवत्तापूर्ण लेखों से युक्त भौतिकी बुलेटिन-2023 का विमोचन किया गया। कार्यक्रम के दौरान एक वार्षिक रिपोर्ट-2022 भी जारी की गई जिसमें भौतिकी विभाग द्वारा की गई उपलब्धियों और गतिविधियों को शामिल किया गया है।


इस अवसर पर सर्वश्रेष्ठ पोस्टर प्रस्तुति के लिए विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर एसके सिंह द्वारा पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए गए। पुरस्कार पाने वाले छात्रों में सोमैया तारिक और इस्मत जमील को प्रथम, पविका माहेश्वरी को द्वितीय और मोहम्मद रजा और प्रशांत कुमार को तीसरा पुरस्कार दिया गया।


रिसर्च स्कॉलर्स द्वारा सर्वश्रेष्ठ पोस्टर प्रस्तुति के लिए पुरस्कार और प्रमाण पत्र मुख्य अतिथि प्रोफेसर रामकृष्ण रामास्वामी द्वारा दिए गए।  प्रथम पुरस्कार सुश्री वानिया अंसारी को दिया गया। दूसरा पुरस्कार श्री आकाश कुमार को और तीसरा पुरस्कार सुश्री महरूश फातिमा को मिला। डॉ जय प्रकाश, (संयोजक) ने कार्यक्रम का संचालन किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

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