जनता से वित्तपोषित, UPI, PhonePe, और PayTM: 9219129243

Harduaganj...अंबेडकर के मेले का श्रेय ले रहे नेता जी को आइना दिखाती मुनादी

0


अलीगढ़ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ़। हरदुआगंज के सर्वसमाज को सूचित किया जाता है कि अंबेडकर जयंती पर जो मेला/शोभायात्रा निकाली गई थी वह अंबेडकर नवयुवक सेवा समिति व अम्बेडकर समाज  द्वारा निकाली गई थी। इसका श्रेय के कुछ लोग/नेता बेवजह  ले रहे हैं। अंबेडकर समाज इसका खंडन करता है। मेले में सर्वसमाज उपस्थित रहा इसके लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं।


रविवार को एक माइक लगा रिक्शा नगर भर में घूमकर ये 👆 मुनादी कर रहा था। जिसे कस्बा के लोग बड़े ध्यान से सुनते हुए हैरान होकर एक दूसरे की ओर प्रश्नवाचक नजरों से देख रहे थे। वहीं जानकार लोग चुनावी दावेदार सोनपपड़ी वाले नेता जी का नाम लेकर चुटकी भी ले रहे थे कि वो चंद कदम साथ क्या चल दिए, खुद के द्वारा मेला/शोभायात्रा निकलवाने का श्रेय लेने लगे। 

 ये मुनादी कराकर उन्हें आईना दिखाया जा रहा है। कुछ लोग इस जागरूकता की प्रशंसा भी कर रहे थे। इसलिए करानी पड़ी मुनादी, 

14 अप्रैल को संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर जी की जयंती पर हरदुआगंज के मोहल्ला भीमनगर से अबेडकर नवयुवक सेवा समिति के तत्वावधान में शोभायात्रा निकाली गई थी। चुनावी समर में अनुसूचित जाति के वोटों पर नजर जमाए नेता शोभायात्रा की अगवानी कर वोटरों को लुभाने की जुगत में लगे थे, 

एक नेता जी ने अपने कार्यालय पर कुर्सी से खड़े होकर सम्मान फर्ज अदा किया. दूसरे नेता जी ने अपने घर पर शुभकामनार्थ बैनर लगाकर शोभायात्रा के बीच आंबेडकर के चित्र व बुजुर्गों का माल्यार्पण कर शोभायात्रा में शामिल अनुयायियों को शर्बत का वितरण कर इतिश्री कर ली। 

वहीं तीसरे नेता जी एक बड़ी माला व झंडी लेकर पहुंचे थे, वह बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए अनुयायियों द्वारा माला पकड़वाकर खुद भी माला में इस तरह से घुस गए, जैसे वो बाबा साहब के समकक्ष हों। इसके बाद शोभायात्रा के बीच जा पहुंचे उन्होंने पहले हरीझंडी दिखाकर फ़ोटो खिंचाया, फिर चंद समर्थकों संग कुछ दूरी तक शोभायात्रा में पैदल चले।

आंबेडकर समाज के लोगो ने बताया कि अगले ही दिन वह नेता जी सार्वजनिक रूप से खुद के द्वारा मेले का आयोजन कराने का झूठा दावा करने लगे। ये झूठ समाज के लोगों को बर्दाश्त नहीं हुआ, इसलिए मुनादी करानी पड़ी , 

नेता जी इस मुनादी को रुकवाने तक पहुंचे पर मायूस ही लौटे। झूठ का मुखौटा उतर जाने की ये बात चौराहे पर लोगों के लिए हास्यवाचक चर्चा बनी रही। 

(...रिपोर्ट, नगर भ्रमण में चर्चाओं पर आधारित)

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)