*प्रबंध निदेशक पीसीडीएफ कुणाल सिल्कू ने गौवंश संरक्षण, चारागाहों को अतिक्रमणमुक्त कराए जाने के संबंध में की बैठक*
*प्रत्येक ग्राम पंचायत के चाराहागों को अतिक्रमण मुक्त कराकर गौवंशों के लिए बोया जाए हरा चारा*
*क्षमता से अधिक गौवंश होने पर उन्हें अन्यंत्र गौशालाओं में किया जाए स्थानान्तरित*
*बेसहारा गौवंश को संरक्षित कर जल्द से जल्द उपलब्ध कराएं प्रमाण पत्र**
ओडीएफ के समान ही जन-जागरूकता से बेसहारा गौवंष की संख्या में लाएं कमी*
अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ़ 13 जुलाई 2023 (सू0वि0) प्रबंध निदेशक पीसीडीएफ एवं शासन द्वारा नामित नोडल अधिकारी कुणाल सिल्कू की अध्यक्षता में कलैक्ट्रेट सभागार में गौवंश संरक्षण, चारागाहों को अतिक्रमणमुक्त कराए जाने के संबंध में बैठक का आयोजन किया गया। नोडल अधिकारी ने कहा कि हम भारतवासी गाय को माता मानते हैं। सरकार द्वारा भी गौ अधिनियम लागू किया गया है, इसके बावजूद भी सड़कों पर निराश्रित बेसहारा गौवंश दिखाई देना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि हम सभी को गौवंश के प्रति सोच को बदलना होगा। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस प्रकार हमारा देश जनजागरूकता से खुले से शौच मुक्त हुआ है उसी प्रकार अभियान चलाकर गौपालकों को गौवंश संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाए।
कुणाल सिल्कू ने स्पष्ट रूप से कहा कि गौआश्रय स्थल बनाना निराश्रित गौवंश की समस्या का समाधान नहीं है। एक समय था जब पशुपालन में कोई अलग से खर्चा नहीं आता था। परन्तु बदलते परिवेश, बढ़ते शहरीकरण में पशुपालन कठिन हो गया है। इसके लिए आवश्यक है कि हमें पशुपालकों को चारागाह देना होगा। निराश्रित गौवंश को वर्ष भर हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक है कि हमारे सभी चारागाह अतिक्रमणमुक्त हों। उन्होंने राजस्व विभाग को निर्देशित किया कि चारागाहों पर हो रहे अतिक्रमण को हटाकर उनमें बहुवर्षीय हरा चारा नैपियर, मक्खन घास का उत्पादन किया जाए। उन्होंने विकासखण्डवार चारागाहों के बारे में जानकारी भी प्राप्त करते हुए निर्देशित किया कि सभी ग्राम पंचायतों के चारागाह कब्जामुक्त होने चाहिए।
प्रदेश सरकार द्वारा सभी जनपदों में गौशालाओं का निर्माण कराया गया है। ऐसे में गौशालाओं के उचित रखरखाव, गौवंशों की सुरक्षा व देखभाल के लिए आवश्यक है कि क्षमता से अधिक गौवंश होने पर उन्हें अन्यंत्र गौशालाओं में स्थानान्तरित किया जाए। डीपीआरओ ने बताया कि जनपद की सभी 852 ग्राम पंचायतें 153 सक्रिय गौशालाओं से पूल्ड हैं। उन्होंने सहभागिता योजना की समीक्षा करते हुए पाया कि योजना में 3652 गौवंश किसानों को हस्तगत कराए गये थे। त्रैमासिक सत्यापन में यह संख्या 1084 रहने पर नाराजगी प्रकट की गयी। उन्होंने कहा कि यह स्थिति अच्छी नहीं है, दिये गये गौवंशों की वस्तुस्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि जनपद में बेसहारा गौ संरक्षण पर बेहतर कार्य किया गया है, परन्तु अभी तक सड़कों पर विचरण न करने सम्बन्धी प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया है। उन्होंने अपर निदेशक पशुपालन एवं सीवीओ को निर्देशित किया कि बेसहारा गौवंश को संरक्षित कर जल्द से जल्द प्रमाण पत्र उपलब्ध कराएं। बैठक से पूर्व नोडल अधिकारी द्वारा ग्राम ताहरपुर, मूसेपुर जलाल एवं कान्हा गौशाला का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान कान्हा गौशाला में क्षमता से अधिक गौवंश संरक्षित पाए गये, जिन्हें अन्य गौशालाओं में संरक्षित करने के निर्देश दिये गये।
इस अवसर पर सीडीओ आकांक्षा राना, पीडी भाल चन्द्र त्रिपाठी, डीसी मनरेगा दीन दयाल वर्मा, एडी पशुपालन डा0 योगेन्द्र सिंह पवार, सीवीओ डा0 दिनेश कुमार, समस्त बीडीओ, डिप्टी सीवीओ, ईओ एवं एडीओ पंचायत उपस्थित रहे।
--