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OMG 2 को देखकर गुस्से से लालपीले को गए अलीगढ में बकील, फ़िल्म निर्माता समेत सभी अभिनेताओ के खिलाफ दायर किया वाद

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अलीगढ मीडिया न्यूज़ ब्यूरो, उत्तर प्रदेश! अलीगढ़ में अधिवक्ता/आरटीआई कार्यकर्ता/समाजसेवी प्रतीक चौधरी ने एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। पत्रकार वार्ता का विषय था अभी हाल ही मे रिलीज हुई अक्षय कुमार अभिनीत हिंदी फिल्म OMG 2 के विवादित दृश्य व फिल्म के निर्माता ,निर्देशक, अभिनेता ,अभिनेत्री के द्वारा की गई न्यायालय की अपमानना और न्यायालय को मजाकिया दिखाया जाना।

प्रतीक चौधरी एडवोकेट ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि दिनांक 11 अगस्त 2023 को सिनेमाघर में एक हिंदी फिल्म लगी जिसका नाम OMG 2 है। इस  फिल्म को फिल्म निर्माण कंपनी वायकोम 18 मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ,वकाऊ फिल्मस एलएलपी ,केप आफ गुड फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड एवम् फिल्म निर्माता विपुल शाह उर्फ विपुल अमृतलाल शाह, राजेश बहल उर्फ राजेश दर्शन बहल ,अश्विन वर्दे ,अरुण गोविल ,अजीत अंधारे ,स्वरूप संपत,ज्योति देशपांडे व अरूणा भाटिया आदि निर्माताओं ने बनाया है और इस फिल्म के निर्देशक अमित राय हैं। इस फिल्म में अभिनेता अक्षय कुमार,पंकज त्रिपाठी ,यामी गौतम, पवन मल्होत्रा, अरुण गोविल व अन्य ने अभिनय किया है। देश की क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान व क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी फिल्म निर्माण कंपनी बायकॉम 18 मीडिया प्राईवेट लिमिटेड के ब्रांड एंबेसडर हैं इसलिए ये भी इस कृत्य में बराबर के दोषी हैं।


इस फिल्म में भगवान शिव के  गण के रूप में अभिनेता अक्षय कुमार ने एक्टिंग की है जो कई जगहों पर मेरी धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुए नजर आए। मैं जन्म से हिंदू हूं तथा हिन्दू धर्म को मानने वाला हूं और फिल्म में मेरे आराध्य भगवान भोलेनाथ के गण को मजाक बनाकर मेरी धार्मिक भावनाओं को इन सभी के द्वारा आहत किया गया है।


इस फिल्म के जो अन्य दृश्य हैं उनमें माननीय न्यायालय का अपमान किया गया है और अवमानना की गई है । न्यायालय को तथा माननीय न्यायाधीश को  इन सभी के द्वारा मजाकिया बनाया गया है। फिल्म के एक दृश्य में चलती हुई और खचाखच भरी हुई कोर्ट में कोर्ट के अंदर न्यायाधीश अपनी कुर्सी पर/डायस पर बैठे हैं और अपने मोबाइल के कैमरे से सेल्फी खींच रहे हैं और एक अन्य दृश्य में न्यायाधीश महोदय सेल्फी स्टिक के जरिए अपनी और पूरे न्यायालय की फोटो खींचते हुए दिखाए गए हैं जबकि कोर्ट चल रहा है।


दूसरे दृश्य में चलते हुए न्यायालय में माननीय न्यायाधीश की डाइस के ऊपर 1 बल्बों की मशीन से मर्दानगी का टेस्ट करते हुए दिखाया गया है जिसमें जज साहब के सामने डायस पर मशीन रखी हुई है कोर्ट खचाखच भरी है महिला अधिवक्ता व अन्य कोर्ट रूम में मौजूद हैं और सबके सामने जज साहब समेत  पूरा न्यायालय इस टेस्ट पर ठहाके लगा लगा कर हंस रहा है।  यहां बताना आवश्यक है की न्यायालय की अपनी गरिमा होती है और यह टेस्ट न्यायालय के आदेश पर व अन्य प्रक्रिया के तहत मेडिकल बोर्ड द्वारा किए जाते हैं और इनकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार होता है । न्यायालय का अपमान इन सभी लोगों के द्वारा किया गया है जो कि अवमानना का विषय है।


अब फिल्म के एक और दृश्य में एक व्यक्ति जो कि मर्दाना कमजोरी के लिए एक विशेष तेल बेचता हुआ दिखाया गया है। वह न्यायालय में आकर खचाखच भरे न्यायालय में जिसमें जज साहब और वकील साहब, महिला वकील सब मौजूद हैं उनके सामने दावा करता है कि तेल से लिंग में तनाव आता है और न्यायालय में वह जैसे सड़क पर आवाज लगाते हैं ऐसे उसको आवाज लगाने के लिए कहा जाता है तो वह जज साहब और सभी के सामने कहता है कि इस तेल से हाई कोर्ट ............ भी खड़ा हो जाएगा यह देश के समस्त न्यायालय, देश के समस्त उच्च न्यायालय व देश के सर्वोच्च न्यायालय और न्याय प्रणाली का अपमान है और हाईकोर्टस की अवमानना का विषय है।


फिल्म के अंत में एक अन्य दृश्य में खुली जगह पर न्यायालय दिखाया गया है जज साहब बैठे हैं वकील , वादी मौजूद हैं तमाम पब्लिक उनको सुनाने के लिए आई है ऐसे में वादी जिन्होंने अधिवक्ता का रोल भी किया है और महिला अधिवक्ता के रोल में यामी गौतम जो की कामिनी माहेश्वरी के नाम से रोल कर रही हैं उनको सब्जी व अन्य सामान बेचने वालों की तरह जो माइक पड़कर सामान बेचते हैं उसे पर बोलते हुए दिखाया गया है जो कि अधिवक्ता सम्मान, अधिवक्ता गरिमा, न्यायालय सम्मान, न्यायालय गरिमा का खुले तौर पर अपमान है और न्यायालय की अवमानना का विषय है। मुझ प्रार्थी के द्वारा यह मूवी दिनांक 15 अगस्त 2023 को देखी गई जिसके बाद से मैं लगातार अपने आप को असहज महसूस कर रहा हूं और समाज में न्यायालय और अधिवक्ता को जिस तरह से इन लोगों ने मजाकिया दिखाया है मैं अपने कम सही ढंग से नहीं कर पा रहा हूं तथा मानसिक अवसाद में हूं।

इन सभी फिल्म निर्माता कंपनी, निर्माता, निर्देशक अभिनेता , अभिनेत्रियों के द्वारा धार्मिक भावनाओं का सामूहिक रूप से अपमान किया गया और हमें आहत किया गया इसके साथ ही माननीय न्यायालय की गरिमा माननीय न्यायालय की प्रतिष्ठा माननीय न्यायाधीश की गरिमा और प्रतिष्ठा को धूमिल किया गया उनका अपमान किया गया उनकी अवमानना की गई। भारत के न्यायालय के अलावा संविधान और कानून बनाने वाली संस्था संसद का इन लोगों के द्वारा सामूहिक रूप से अपमान किया गया है । इन सभी के द्वारा किए गए यह कृत्य अपराधिक श्रेणी के अपराधों में आते हैं।

इन सभी के द्वारा सामूहिक रूप से किए गए इस कृत्य के लिए फिल्म के निर्माता ,निर्देशक ,फिल्म निर्माण कंपनी, अभिनेता ,अभिनेत्री सहित कुल 17 लोगों को कानूनी नोटिस भेजा गया है।  जिसमें नोटिस प्राप्ति के 15 दिन के अंदर लिखित रूप से माफी मांगने व टेलीविजन के माध्यम से पूरे देश से और माननीय न्यायालयों से माफी मांगने को कहा गया है।

देश के सर्वोच्च न्यायालय के सर्वोच्च न्यायाधीश को जनहित याचिका के रूप में एक पत्र भेजा गया है व  इस कृत्य के दोषी इन सभी लोगों पर जनहित याचिका दायर कर आवश्यक कार्यवाही करने को लिखा गया है।  इसके साथ ही जनपद अलीगढ़ के न्यायालय में सीआरपीसी की धारा 156 (3 ) के तहत इन सभी के विरुद्ध बाद दायर किया गया है। जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा पुलिस से  रिपोर्ट तलब की गई है।



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