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सुप्रीम कोर्ट का बडा फैसला.... ऐसे आरोप पत्र का संज्ञान नहीं लें मजिस्ट्रेट!


अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, इलाहबाद |न्यायमूर्ति सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने  धारा 173 (8) दंड प्रक्रिया संहिता के तहत आगे की जांच (further investigation ) के आदेश के परिणामस्वरूप पूरक आरोप-पत्र (Supplementary Charge sheet ) प्रस्तुत करते समय  जांच अधिकारी अपने द्वारा निकाले गए निष्कर्षों को साबित करने के लिए पाए गए नए सबूतों का उल्लेख करेगा।  अन्यथा, इस तरह के पूरक आरोप-पत्र में जांच की कठोरता का अभाव होता है और यह सीआरपीसी की धारा 173(8) की आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहता है तथा मजिस्ट्रेट द्वारा ऐसे आरोप पत्र का संज्ञान नहीं लिया जाना चाहिए|

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