सांस लेने में दिक्कत तो जरूरी है ये जांच || If there is difficulty in breathing then this test is necessary

Chanchal Varma
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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ़: सांस लेने में दिक्कत होना गम्भीर फेफडों की बीमारी सी0ओ0पी0डी0 हो सकती है। जिससे फेफडों का अटैक हो सकता है। सी0पी0ओ0डी0 का पता छः सैकेण्ड की साधारण स्क्रीनिंग टैस्ट से लग सकता है। भारत की एक फार्मा कम्पनी के संयोजन से आयोजित एक कार्यक्रम मे डा0 राकेश भार्गव (एच0ओ0डी0 एवं प्रोफेसर) ने अपने वक्तव्य में कहा कि दुनियाभर में सबसे आम फेफडों की बीमारी सी0ओ0पी0डी0 चिंता का विषय है। क्रोनिक ओब्सट्रेक्टिव पल्मोनेरी डिसीज (सी0ओ0पी0डी0) मृत्यु तीसरे सबसे प्रमुख की वजह है। भारत में तकरीबन 15 मिलियन लोग सी0ओ0पी0डी0 से पीड़ित हैं। इससे ज्यादा चिंता का विशय क्या होगा कि अमेरिका और यूरोप की तुलना में भारत में चार गुना ज्यादा मृत्यु का कारण सी0ओ0पी0डी0 है।

अस्थमा और सी0ओ0पी0डी0 रोगियों को सांस लेने में तकलीफ

डा0 राकेश भार्गव (एच0ओ0डी0 एवं प्रोफेसर) का मानना है कि लोगों में सी0ओ0पी0डी0 के प्रति जागरूकता की कमी है इसलिए सी0ओ0पी0डी0 की जानकारी और शिक्षित करना बहुत जरूरी है ताकि लोगों को सी0ओ0पी0डी0 के कारणों जैसे तम्बाकू स्मोक, महिलाओं द्वारा अत्यधिक मात्रा में चूल्हे या अंगीठी का प्रयोग करना और फैक्ट्री के प्रदूषण, धुएं और पर्यावरण प्रदूषकों की जानकारी मिल सके। अस्थमा और सी0ओ0पी0डी0 रोगियों को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसलिए सी0ओ0पी0डी0 का पता चलना काफी मुश्किल हो जाता है और इसके अलावा भारत में सी0ओ0पी0डी0 के शुरूआती निदान के लिए बहुत कम विकल्प है।  ज्यादातर रोगी डॉक्टर के पास आखिरी स्टेज पर जाते है। जिससे फेफडों का अटैक होने का खतरा रहता है। जिससे रोगी और परिवार को मुष्किल हो जाती है। फेफडो में अटैक बहुत घात होता है जिससे रोगी को अस्पताल में भर्ती कराना पडता है जिससे रोगी व परिवार को आर्थिक व भावनात्मक प्रभाव पडता है। डॉक्टरों के अनुसार सी0ओ0पी0डी0 के इलाज का प्रमुख उद्देष्य इसे रोकना और फेफडों के अटैक में देरी करना है।


साधारण स्क्रीनिंग चल सकता है लक्षणों का पता

डॉ0 जुबैर अहमद (पूर्व एच0ओ0डी0 एवं प्रोफेसर) के अनुसार जल्दी स्क्रीनिंग से सी0ओ0पी0डी0 के लक्षणों का पता चलता है और ये बहुत ही साधारण स्क्रीनिंग है। छः सैकेंड में डॉक्टर को सी0ओ0पी0डी0 न होने की जानकारी मिल जाती है या फिर सी0ओ0पी0डी0 की पुष्टि करने के लिए अधिक टैस्ट कराने का सुझाव देते हैं। जिससे लोगों को सी0ओ0पी0डी0 के प्रति जागरूक कराया जा सके।


25 फीसदी से 50 फीसदी लोगों ने जागरूकता का अभाव

चेस्ट फिजिशियन डॉ0 मौ0 शमीम (प्रोफेसर) ने मिशन ‘‘फाइडिंग मिलियन ट्रिटिंग मिलियन’’ के जरिये बीमारी के प्रति जागरूक करना है। सी0ओ0पी0डी0 गैर संचारी फेफडों की बीमारी है जिससे सांस की बीमारी बढती है। हालांकि हाल के अध्ययनों में 25 फीसदी से 50 फीसदी लोगों का सी0ओ0पी0डी0 के चिकित्सकीय महत्वपूर्ण होने के बाबजूद उन्हें इसकी जानकारी नहीं होती। इसकी वजह से सी0ओ0पी0डी0 के बारे में शुरूआती स्टेज में लोगों को जानकारी न होना है।


सी0ओ0पी0डी0 का कोई इलाज नहीं

डॉ0 जुबैर अहमद कहते हैं, ‘‘जितनी जल्दी सी0ओ0पी0डी0 का पता चल जाए उतना ही प्रभावी इलाज हो सकता है। सी0ओ0पी0डी0 लगातार बढ़ने वाली बीमारी है जिसमें रोगी को रोजमर्रा की गतिविधियों जैसे प्लेन की सीढियां चढ़ना, कुत्ते को घूमाना या सुबह नहाना या तैयार होने में परेशानी होने लगती है। हालांकि सी0ओ0पी0डी0 का कोई इलाज नहीं है लेकिन इलाज के माध्यम से रोगियों के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है जिससे रोगी रोजमर्रा के काम आसानी से कर सकते हैं। रोगी को रिस्क कारकों का पता चलने पर सी0ओ0पी0डी0 की बीमारी को कम या बिल्कुल रोका जा सकता है।


उम्र 35 साल से ज्यादा है तो जरूर कराये टेस्ट

डॉ0 राकेश भार्गव ने बताया कि  ‘‘सी0ओ0पी0 डी0 के शुरूआती स्टेज में शारीरिक गतिविधियां जैसे व्यायाम या सीढिया चढते या प्लने की सीढिया चढने पर गम्भीर खांसी, थूक और सांस लेने में तकलीफ होती है। लोग इस तरह के लक्षणों को उम्र से जोडकर देखने लगते हैं। लेकिन ये लक्षण गम्भीर बीमारी के भी हो सकते हैं जिसका इलाज कराना जरूरी है।’’ डॉ0 मौ0 शमीम ने सी0ओ0पी0डी0 के बारे में अवगत कराते हुये कहा कि अगर आपको सांस लेने में परेषानी हो रही हो और आपकी उम्र 35 साल से ज्यादा है और आप धूम्रपान, धुएं, गैस इत्यादि जैसे क्षेत्रों में काम करते हैं या आसपास रहते हैं या आप धूम्रपान करते हैं तो डॉक्टर से सी0ओ0पी0डी0 का साधारण स्क्रीनिंग टैस्ट कराकर सी0ओ0पी0डी0 की बीमारी का पता लगवा सकते हैं। डॉक्टर तय कर सकेंगे कि सी0ओ0पी0डी0 की पुष्टि के लिए और परीक्षण कराने की जरूरत है। 

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