अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, अलीगढ |वार्ष्णेय पहल संस्था(रजि0) परिवार द्वारा सोमवार को मकर संक्रांति के पर्व पर श्री अक्रूरजी पार्क घण्टाघर पर खिचड़ी महाभोज का कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्थापक अध्यक्ष गौरव वार्ष्णेय पीतल ने बताया कि संक्रान्ति का अर्थ है, 'सूर्य का एक राशि से अलगी राशि में संक्रमण (जाना)'। अतः पूरे वर्ष में कुल १२ संक्रान्तियाँ होती हैं। इस साल 14 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में गोचर (प्रवेश) रात 2 बजकर 43 मिनट पर होगा। कार्य.अध्यक्ष घनेद्र गुप्ता ने कहा कि मकर संक्रांति में स्नान-दान का महत्व अधिक रहता है और इसके लिए प्रात:काल का समय ही उत्तम रहता है। ऐसे में इस साल मकरसंक्रांति 15जनवरी को मनाई जा रही है। स्नान-दान करना लाभदायक सिद्ध होगा। घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है| सूर्य को अर्घ्य - सूर्य देव की पूजा के लिए मकर संक्रांति का दिन श्रेष्ठ माना जाता है।
महामंत्री अमित गुप्ता किताब ने बताया कि इसके साथ ही सूर्यदेव को जल भी अर्पित करना चाहिए. मकर संक्रांति के दिन दान देना काफी शुभ माना जाता है इस दिन तिल-गुड़ और खिचड़ी का दान करना अच्छा हैं |ज्योतिषियों की मानें तो 15 जनवरी (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) को देर रात 02 बजकर 43 मिनट पर सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश के दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। कोषाध्यक्ष हिमांशु वार्ष्णेय ने कहा कि इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अक्षय फल प्राप्त होता है। साथ ही जाने-अनजाने जन्मों के किए गए पाप का भी क्षय हो जाता है। इस दिन देवी-देवता एक साथ प्रसन्न होते हैं। उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान कर कंबल, घृत दान, तिल, लडू, वस्त्र आदि दान का विशेष महत्व है।मकर संक्रांति के मौके पर स्नान और दान की परंपरा है। हालांकि कुछ जगहों पर इसे मनाने के अलग रीति रिवाज हैं। मकर संक्रांति को कुछ जगहों पर खिचड़ी के पर्व के नाम से भी जाना जाता है तो वहीं कुछ लोग इसे पोंगल के पर्व के तौर पर मनाते हैं।