उच्च अधिकारियों से जांच कराई जाये तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा
मौरंग व वैरीकेटिंग आदि में 4 ट्रक मौरंग के नाम पर ईटों का पिसा रेता डाला जाता है
लोहे की जाली का भी 50 गुना कार्य
चार डम्फर मिट्टी के डाले जाते हैं और 100 डम्फर का फर्जी भुगतान किया जाता है।
इस बार रंगाई-पुताई के नाम पर खाना पूर्ति
धर्मेन्द्र राघव, अलीगढ़। जिले की नुमाइश पश्चिमी यूपी में सबसे प्रसिद्ध है। यहां पर आसपास जिलों के साथ ही जम्मू कश्मीर, हरियाणा व राजस्थान से भी दुकानदार आते हैं। इस बार प्रशासन ने 1 फरवरी से इसके आयोजन का फैसला लिया है। जिलाधिकारी की बैठक में फटकार लगने के बाद जिले की राजकीय कृषि एवं ओद्यौगिक प्रदर्शनी की तैयारियों का कार्य जोरों शोरों पर चल रहा है। इस प्रदर्शनी में जो लकड़ी की बांस-बल्लियों बेरीकेडिगं,लोहे की जाली लगाने आदि के ठेके दिये गये हैं। भ्रष्ट नौकरशाहों की मिलीभगत से नुमाइश के ठेकों में घोर घपला नजर आ रहा है। जिसकी पोल कैमरे में रिकार्ड फोटो व वीडियो खोल रहे हैं कि कितने बड़े पैमाने पर अलीगढ़ की नुमाइश में ठेकों में घपला किया जा रहा है।
नुमाइश में उठाये गये ठेका मौरंग व वैरीकेटिंग आदि में 4 ट्रक मौरंग के नाम पर ईटों का पिसा रेता डाल दिया जाता है और 40 ट्रक का भुगतान किया जाता है न तो ट्रक की बिल्टी ली जाती है और न ही ट्रक का मौरंग का जी०एस०टी० बिल लिया जाता है। इस ठेके में लोहे की चादर का कार्य नहीं है फिर भी ठेकेदार बिना किसी अधिकारी के आदेश के बिना 4,00,000/- (चार लाख) का फर्जी कार्य करा देता है और जे०ई० साहब आंख बन्द कर मोटी रकम लेकर फर्जी सत्यापन कर देता है और भुगतान कर दिया जाता है। इस ठेके में ठेकेदार बल्लियां की वेरीकेटिंग को पाइप की बैरीकेटिंग 50 गुना आंख बंद कर जे०ई० सत्यापन कर देता है।
नुमाइश इस ठेके में लोहे की जाली लगाई जाती है। उसका का भी 50 गुना कार्य दिखा कर जे०ई० आंख बन्द कर मोटी कमीशन लेकर फर्जी सत्यापन कर देता है। ठेके में ड्राप बैरियर का कार्य का भी 10 गुना कार्य दिखा कर जे०ई० आंख बन्द कर फर्जी सत्यापन कर देता है। नुमाइश के इस ठेके में उच्चाधिकारियों से सत्यापन करा लिया जाये तो ठेकेदार को जहां 17,00,000/- ( सत्तरह लाख) का भुगतान की जगह 200000/- (दो लाख) का भुगतान ही हो पायेगा। इस ठेके में पूरा फर्जी सत्यापन किया जाता है।
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आम मरम्मत के कार्य में इस बार न तो लोहे की जालियों की मरम्मत की गई है और न ही आई०टी०आई० रोड व प्रदर्शनी की दीवारों की मरम्मत की गयी है। चार डम्फर मिट्टी के डाले जाते हैं 100 डम्फर का फर्जी भुगतान किया जाता है। इस बार रंगाई-पुताई के नाम पर खाना पूर्ति की गई है। इसकी उच्च अधिकारियों से जांच करा ली जाये तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा, इसी तरह प्रदर्शनी के पैसों का दुरूपयोग हो रहा है। इस सबंध में नुमाइश प्रभारी/एडीएम सिटी अमित कुमार भट्ट से जानकारी करनी चाही तो वह संतोषजनक जबाव नहीं दे सके और मामले की जांच कराने की बात कहकर मामला टाल दिया।