अलीगढ़ में भारत विकास परिषद, शिवम शाखा के प्रांतीय अध्यक्ष संजीव वार्ष्णेय की उपस्थिति में महिला कार्यशाला कार्यक्रम हुआ। जिसमे परिषद ने हर शाखा की दस सक्रिय महिलाओं के द्वारा अन्य महिलाओं को सिलाई, ब्यूटी पार्लर और बुटीक जैसे अन्य कार्यों को सीखाने का कार्य परिषद द्वारा किया जाता है
अलीगढ़ में मैरिस रोड पर स्थित मेलरोज रेस्टोरेंट में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रांतीय अध्यक्ष संजीव वार्ष्णेय ने बताया कि भारतीय विकास परिषद एक प्रबुद्ध, समतल और भारतीय संस्कृति में रुचि रखने वाला संघटन है। जो संपर्क, सहयोग,संस्कार, सेवा,समर्पण सूत्रों पर कार्यरत है। साथ ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,बेटी अपनाओ, कुपोषण, एनिमियायुक्त भारत, जैसे चार बाल विकास के कार्य कराता है। और गठित की गयी हर शाखा की दस सक्रिय महिलाओं के द्वारा अभ्यासरत महिलाओं को प्रशिक्षण देने का प्रयास संघटन कर रहा है। उन्होंने बताया कि आज यहाँ करीब 125 महिला इसमें शामिल हुई हैं, यह संघटन बिना किसी सरकारी अनुदान से संचालित है। यह अपने आप फंड इक्कट्ठा करता है, जो इस एनजीओ में एक लाख रुपये दान करता है उन्हें विकास रत्न दिया जाता है,और ग्यारह हजार रुपए देने वालों को विकास मित्र की उपाधि से सम्मानित करते हैं। साथ ही इन रुपयों के ब्याज से भारतीय विकास परिषद अपना संचालन करता है। हर शाखा से कार्य करने वाली महिला के द्वारा कम आय वाले प्रतिवर्ष दस परिवारों को चिंहित करके उनकी मजबूरी व परेशानियों को जानकर उनको आत्मनिर्भर बनाकर उनकी आर्थिक स्थिति के स्तर को ऊपर उठाने के प्रति कार्य करती है।
कुपोषण और एनीमिया युक्त भारत बनाने के लिए दवाइयां और डॉक्टरों की मुफ्त सेवा दे रहा परिषद
बाल विकास एवं क्षेत्रीय सचिव श्रीमती योगेश वरिष्ठ ने बताया कि भारतीय विकास परिषद के द्वारा स्थाई प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। जिसमें महिलाओं को सिलाई,ब्यूटी पार्लर और बुटीक टाइप जैसे अन्य कार्यों को महिलाएं अच्छे से कर सकती हैं, उन कार्यों को सिखाया जाता है। उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा सक्षम की गई दस-दस महिलाएं, एक शाखा चलाती हैं जो महिलाएं केवल पहले घर में रहती थी, वह आगे बढ़ रही है वह महिलाएं वक्ता, कवित्री और लेखक हो गई है।और उन्होंने बताया कि भारतीय विकास परिषद राष्ट्रीय स्तर से भी कार्य करता है। कुपोषण,एनीमिया युक्त भारत जैसे प्रकल्पों पर एनीमिक महिलाओं की, समय-समय पर जांच कराते हैं, उनके लिए दवाइयां और डॉक्टर का इंतजाम करते हैं, ताकि कुपोषण का शिकार ना हो। कुटुंब प्रबोधन यह हमारा इस समय प्रकल्प है, उन्होंने बताया कि हम संगठन द्वारा दिव्यांगों की भी मदद करते हैं।और हम आशा करते हैं, कि हमारा संगठन ऐसे ही कार्य करता रहे।