अलीगढ़ मीडिया डिजिटल, अलीगढ| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग द्वारा ‘वायस ऑफ मेडिसिन बनाम वॉयस ऑफ लाइफवर्ल्ड कम्युनिकेशनः कम्युनिकेशन और रोगी अनुपालन दुविधा’ विषय पर एक इंटरैक्टिव सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में यूटा टेक यूनिवर्सिटी, सेंट जॉर्ज, यूटा, यूएसए के स्वास्थय संचार विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. शारिक आई. शेरवानी मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।
डॉ. शेरवानी ने स्वास्थ्य सेवा और डाक्टर तथा रोगियों के बीच प्रभावी स्वास्थय संचार के महत्व पर बोलते हुए ‘वायस ऑफ मेडिसिन’ और ‘वायस ऑफ लाइफवर्ल्ड’ के बीच अंतर को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वॉयस ऑफ मेडिसिन साक्ष्य आधारित उपचार को प्राथमिकता देता है जबकि वॉयस ऑफ लाइफवर्ल्ड रोगियों की भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करता है और उनके इलाज के साथ ही चोटों या बीमारियों की रोकथाम का मार्ग प्रशस्त करता है।
उन्होंने केस स्टडी के साथ अपने विचार को स्पष्ट किया, जिसमें रोगियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में डॉक्टरों की सहानुभूति और रोगियों के रिश्तेदारों के सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने मरीजों की सुविधा के लिए डिजिटल प्रिस्क्रिप्शन के इस्तेमाल पर भी जोर दिया और लिखावट की गलतफहमी के कारण किसी भी तरह की दुर्घटना से बचने के महत्त्व को उजागर किया। सेमिनार में सहानुभूति पर एक संक्षिप्त वीडियो भी दिखाया गया, जिसका शीर्षक था ‘रोगी देखभाल के लिए मानवीय संबंध’, जिसने चिकित्सा पद्धति में करुणामय संचार के महत्व को उजागर किया गया था।
इससे पूर्व, अतिथि वक्ता का स्वागत करते हुए, फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सैयद जियाउर रहमान ने उपस्थितजनों से परिचित कराया और नैदानिक और पूर्व-नैदानिक अनुसंधान में उनकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ. शेरवानी नीति संचालन समिति के अध्यक्ष और अल्जाइमर एसोसिएशन, यूटा चैप्टर के लिए एक समर्पित सार्वजनिक नीति अधिवक्ता और सामुदायिक शिक्षक हैं। प्रोफेसर रहमान ने कहा कि ओहियो विश्वविद्यालय से पीएचडी और मास्टर ऑफ आर्ट्स, ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से एमबीए और मास्टर ऑफ एप्लाइड क्लिनिकल और प्रीक्लिनिकल रिसर्च और एएमयू से कृषि माइक्रोबायोलॉजी में मास्टर ऑफ साइंस सहित विविध शैक्षणिक पृष्ठभूमि के साथ, डॉ. शेरवानी जेएनएमसी में अपने विचार साझा करने के लिए विशेषज्ञता का एक अनूठा मिश्रण लेकर आए हैं।
ऑर्थोपेडिक सर्जरी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. खालिद ए. शेरवानी ने अच्छी लिखावट में दवा लिखने की कला पर अपने विचार साझा किए और मरीजों और स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों दोनों के लिए इसके महत्वव पर जोर दिया। डॉ. जमील अहमद ने धन्यवाद ज्ञापित किया, जबकि जूनियर रेजिडेंट डॉ. रिया शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया।
‘प्रोस्थोडोन्टिक्स में क्लीनिकल प्रशिक्षण कार्यक्रम’12 अगस्त से
अलीगढ़ मीडिया डिजिटल, अलीगढ| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के डॉ. जेड. ए. डेंटल कॉलेज के प्रोस्थोडोन्टिक्स विभाग द्वारा संचालित तीन महीने का स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रम ‘प्रोस्थोडोन्टिक्स में क्लीनिकल प्रशिक्षण कार्यक्रम’ 12 अगस्त, 2024 से शुरू हो रहा है।
प्रोस्थोडोन्टिक्स विभाग की अध्यक्ष, प्रो. शाइस्ता अफरोज ने कहा कि डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) से मान्यता प्राप्त संस्थानों से इंटर्नशिप पास करने वाले बीडीएस स्नातक 5 अगस्त तक अपने आवेदन पत्र ईमेल कर सकते हैं। प्रवेश के समय वांछित शुल्क जमा करना होगा, जो पाठ्यक्रम के आधिकारिक विज्ञापन के बाद पहले आओ पहले पाओ/प्रतीक्षा के आधार पर दिया जाएगा।