जेएनएमसी के कार्डियोलॉजी विभाग द्वारा जटिल एंजियोप्लास्टी पर आयोजित हुयी कार्यशाला

Aligarh Media Desk
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अलीगढ़ मीडिया डिजिटल, अलीगढ| अलीगढ़ मुस्ल्मि विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कालिज के कार्डियोलॉजी विभाग द्वारा अत्याधुनिक कैथ लैब में जटिल एंजियोप्लास्टी प्रक्रियाओं पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें इस्तांबुल, तुर्की के एक प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. ओमर गोकटेकिन ने एंजियोप्लास्टी में अपनी विशेषज्ञता और नवीन तकनीकों को साझा किया। उन्होंने कहा कि जटिल एंजियोप्लास्टी का इस्तेमाल बाईपास सर्जरी कर चुके रोगियों में कोरोनरी धमनी रोग के ठीक करने के लिए किया जाता है। जिसमें संकुचित अथवा अवरूद्व धमनियों को खेलकर हृदय में रक्त प्रवाह बहाल किया जाता है। उन्होंने इस क्षेत्र में हुए शोध व प्रगति से भी अवगत कराया।


विभाग के अध्यक्ष प्रो. आसिफ हसन ने कहा कि डॉ. गोकटेकिन जैसे अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ बातचीत हमें जेएनएमसी में एक उन्नत कार्डियक सेंटर स्थापित करने के हमारे मिशन को आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन करेगी। कार्यशाला में प्रो. मलिक अजहरउद्दीन के अलावा रेजीडेंट चिकित्सकों ने भी भाग लिया।

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एएमयू के एनआरएससी द्वारा दो दिवसीय सुलेख कार्यशाला का आयोजन

अलीगढ़ मीडिया डिजिटल, अलीगढ| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में गैर-आवासीय छात्र केंद्र (एनआरएससी) ने ही ‘हॉब्लिट-इंकलकेमीः बेसिक्स ऑफ कैलीग्राफी’ शीर्षक से दो दिवसीय सुलेख कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का आयोजन प्रो. बृज भूषण सिंह (प्रोवोस्ट) और डॉ. अम्मार इब्ने अनवर (क्लब अध्यक्ष) के मार्गदर्शन में किया गया तथा डॉ. मोहम्मद मुश्फिक (क्लब प्रेसीडेंट) और डॉ. अब्दुल्ला फैजुल हसन (लिटरेरी सेकरेट्री) द्वारा समन्वयित किया गया।

उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में एएमयू के वित्त अधिकारी प्रो. एम. मोहसिन खान, ललित कला विभाग से प्रो. बदर जहां और अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के प्राचार्य और मुआलीजात विभाग के अध्यक्ष प्रो. बदरुद्दुजा खान सहित कई अतिथियों ने भाग लिया। कला के विशेषज्ञ प्रो. बदर जहां ने इस्लामी सुलेख पर विशेष ध्यान देते हुए विभिन्न प्रकार की सुलेख कलाओं के बारे में विस्तार से बताया।

प्रो. बदरुद्दुजा खान ने ताजमहल और एएमयू जामा मस्जिद के द्वार पर सुलेख कला के रोचक इतिहास को साझा किया, दोनों ही एक ही सुलेखक द्वारा लिखे गए थे। प्रो. एम. मोहसिन खान ने अकादमिक सफलता पर सुंदर लिखावट के प्रभाव पर विचार साझा किए। डॉ. अम्मार इब्ने अनवर के धन्यवाद ज्ञापन के साथ सत्र का समापन किया। कार्यशाला में लाइव प्रदर्शन और व्याख्यान शामिल थे।

फिकरो नजर विभाग के सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी साजिद अली खान ने उर्दू नस्तालिक लिपि का प्रदर्शन किया। एएमयू के के.ए. निजामी कुरानिक अध्ययन केंद्र के श्री मोहम्मद अय्यूब खान और अल बरकत कॉलेज, अलीगढ़ की स्वालेहा खलील ने सुलेख कला में ग्राफिक्स के उपयोग पर व्याख्यान दिए। कार्यक्रम का समन्वय एनआरएससी स्टाफ, विशेष रूप से अंबर जैदी और अनुभाग अधिकारी अब्दुल वसीक द्वारा किया गया।

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श्योर कार्यशाला में विशेषज्ञों ने उद्यमिता की बारीकियों पर की चर्चा

अलीगढ़ मीडिया डिजिटल, अलीगढ| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग द्वारा ह्यूस्टन विश्वविद्यालय (यूएसए) के सहयोग से आयोजित दस सप्ताह की उद्यमिता के माध्यम से शहरी नवीकरण को प्रोत्साहित करने वाली कार्यशाला (श्योर 4.0) के समर्पित सत्रों में विशेषज्ञों ने उद्यमिता विकास और कानूनी ढांचे, लेखांकन और कराधान आदि के मुद्दों पर चर्चा की। कार्यशाला में ‘लेखा, लागत, मूल्य निर्धारण और कराधान’, जिसमें प्रतिभागियों को लेखांकन, बहीखाता, कराधान और जीएसटी की मूल बातें बताई गईं।

रिसोर्स पर्सन अनिल वाष्र्णेय चार्टर्ड अकाउंटेंट ने व्यवसाय की मूल बातें और व्यवसाय संगठन के प्रकारों पर चर्चा की और प्रत्येक श्रेणी में निहित पंजीकरण प्रक्रियाओं और सदस्यता संरचनाओं की जटिलताओं को स्पष्ट किया। उन्होंने सीमित देयता की अवधारणा पर चर्चा की, जो विशेष रूप से कंपनियों और सीमित देयता भागीदारी के लिए फायदेमंद है। उन्होंने सावधानीपूर्वक बहीखाता की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया, विभिन्न प्रकार की लागतों पर प्रकाश डाला, ब्रेक-ईवन बिंदु की अवधारणा को समझाया और कराधान, आयकर, आईटीआर फाइलिंग और जीएसटी के लिए एक खंड समर्पित किया। उन्होंने यह कहते हुए समापन किया कि कर नियोजन कर देयता को कम करने और कर लाभ को अधिकतम करने का एक कानूनी तरीका है।

नबीला मिर्जा ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।

कानूनी ढांचे और उद्यमिता विकास पर आयोजित व्याख्यान में पांचवें सत्र के दौरान, रिसोर्स पर्सन श्रुति सरीन, भारतीय वित्तीय सेवा लिमिटेड, नई दिल्ली में उपाध्यक्ष-कानूनी, ने विभिन्न प्रकार की व्यावसायिक संस्थाओं, व्यवसाय के चुनाव से संबंधित कारकों, स्टार्टअप शुरू करने और बढ़ावा देने और उद्यमशीलता विकास पर मार्गदर्शन प्रदान करने के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान की। उन्होंने माइंडट्री और फॉरेस्ट एसेंशियल के मालिकों के मामले जैसे प्रमुख मामलों की कहानियां साझा कीं, स्टार्टअप परिदृश्य के भीतर चुनौतियों और सफलताओं को स्पष्ट किया। उन्होंने सरकार की स्टार्टअप नीतियों का अवलोकन भी प्रस्तुत किया।

अन्य रिसोर्स पर्सन पार्थ राज परासर, ऑर्बिट लॉ सर्विसेज के एक सहयोगी ने यूडीवाईएएम, एमएसएमई, टीएएन और एफएसएसएआई पंजीकरण और लाइसेंसिंग के लिए आवश्यकताओं को रेखांकित किया, पंजीकरण प्रक्रिया में शामिल आवश्यक कागजी कार्रवाई पर प्रकाश डाला।

उन्होंने जीएसटी, जेम पोर्टल के लिए पंजीकरण प्रक्रियाओं को भी समझाया और दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम, कंपनी अधिनियम और महत्वपूर्ण श्रम कानूनों पर चर्चा की।

जुनैबा खलीक ने सत्र का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन किया। श्योर कार्यक्रम की संयोजक और निदेशक प्रो. आसिया चैधरी ने रिसोर्स पर्सन्स और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया, जिनमें श्योर  कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद मोहसिन खान, डॉ. अनवर अहमद और कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागी शामिल थे।


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