जानिए..कहाँ है 'बौने चोर' का किला? भारत के सबसे मजबूत किलों में से एक है अलीगढ़ी किला

Chanchal Varma
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चंचल वर्मा,अलीगढ मीडिया डिजिटल| अलीगढ का किला इतिहास की दृष्टि से गौरवशाली, विशाल और अभेद रहा है, लगभग 92 एकड़ के क्षेत्रफल में फैले किले का संरक्षण की जिम्मेदारी अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय के पास है, किले की जर्जर हालत के कारण किला संरक्षण मंच ने अलीगढ़ किले को पर्यटक स्थल बनाने की मांग केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री भारत सरकार से पत्र देकर की है।

अलीगढ़ किला पटवारी नगला नामक स्थान पर स्थित है. किले का निर्माण इब्राहिम लोदी के समय में कोल (अलीगढ़ शहर इस बड़े सेट का उपसमूह है) के गवर्नर उमर के बेटे मुहम्मद द्वारा 1524-25 में किया गया था। साबित खान, जो फर्रुखसियर और मुहम्मद शाह के समय इस क्षेत्र के गवर्नर थे, ने किले का पुनर्निर्माण किया। यह 1759 में माधवराव प्रथम सिंधिया के तहत बहुत महत्व का किला बन गया; यह वह डिपो था जहां उन्होंने फ्रांसीसी सैनिक बेनोइट डी बोइग्ने की सहायता से यूरोपीय फैशन में अपनी बटालियनों को प्रशिक्षित और व्यवस्थित किया था। 1803 में एली घूर की लड़ाई के दौरान, इसे लॉर्ड जेरार्ड लेक की ब्रिटिश सेना द्वारा एक फ्रांसीसी अधिकारी पेरोन के नेतृत्व में मराठों से कब्जा कर लिया गया था। 


अलीगढ़ किले को भारत के सबसे मजबूत किलों में से एक माना जाता है। इसे लोकप्रिय रूप से "बोने चोर का किला" (बौने चोर का किला) कहा जाता है। हालांकि इसका अधिकांश भाग अब खंडहर में बदल चुका है। किले के चारों तरफ स्थानीय निवासी कूड़ा डालने लग गए हैं, किले की बाउंड्री गायब होती जा रही है। वर्तमान में अलीगढ़ किले के संरक्षण की जिम्मेदारी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पास हे जहां पर यूनिवर्सिटी का बॉटनी विभाग भी है।



किला संरक्षण मंच के संयोजक डॉक्टर निशित शर्मा ने ईटीवी भारत को अलीगढ़ जनपद में स्थित अलीगढ़ किले के बारे में बताया के किले के संरक्षण का कार्य संस्कृति मंत्रालय निर्धारित करे और किले की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय हे जिससे यह दायित्व वापस लिया जाए। 


केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्रीमान गजेंद्र सिंह शेखावत को दिए गए पत्र में डॉक्टर निशित शर्मा ने मांग की है किले की विशाल भूमि और ऐतिहासिक वास्तुकला होने के कारण यहां पर्यटन का केंद्र स्थापित हो, इस निर्णय से युवा, आगामी पीढ़ी को हमारे गौरवशाली इतिहास से जुड़ने का प्रभावशाली माध्यम प्राप्त होगा और किले के संरक्षण की जिम्मेदारी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से वापस लि जाए। 



सन् 1803 सितम्बर माह के प्रारंभ में द्वितीय मराठा अंग्रेज युद्ध प्रारंभ हो गया था, इस युद्ध को अलीगढ़ किले में लड़ा गया। मराठा फौज के 2000 सैनिक अंग्रेजी सेना से लड़ते हुए इस अलीगढ़ किले में वीरगति को प्राप्त हुए थे, इस युद्ध को अंग्रेजी सेना ने जीता और किले पर अधिकार प्राप्त किया परंतु मराठाओं के शौर्य के कारण अंग्रेजों को भारी नुकसान हुआ। अलीगढ़ किले के संरक्षण की जिम्मेदारी वर्तमान में अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय के पास है, विश्विद्यालय द्वारा किले को अपनी संपत्ति बताया जाता हैं| 


सामान्य जन का यहां प्रवेश वर्जित करते हुए पूर्व में यहाँ मदरसा संचालित किया जा रहा था, मदरसा पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी जी की धर्मपत्नी द्वारा संचालित था। वर्तमान में किला परिसर में मजार स्थित है और इस्लामिक धार्मिक आयोजन किला परिसर में प्रति सप्ताह किया जाता है। किला परिसर में सामान्य जन का प्रवेश प्रतिबन्धित है। दुर्भाग्यवश किले की मूल संरचना को परिवर्तित करते हुए वहां वनस्पति उद्यान विश्विद्यालय द्वारा दर्शाया जाता है परंतु संरक्षण की दृष्टि से कोई सकारात्मक कार्य नही किया गया है। किले कि भूमि का दुरुपयोग करते हुए स्वच्छता को नकारा जा रहा है, मूल स्वरूप को हानि पहुँचायी जा रही है, ईमारत जर्जर हालत में है, उद्धार के विभिन्न कार्य नहीं हुए हैं, तथा विभिन्न अनैतिक गतिविधियाँ किले के परिसर के अन्दर होती हैं।



गौरवशाली इतिहास वाले अलीगढ़ किले के संरक्षण का कार्य संस्कृति मंत्रालय निर्धारित करे और किले की दुर्दशा और इस्लामीकरण के लिए जिम्मेदार अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय से यह दायित्व वापस लिया जाए। किला परिसर के अंदर मराठाओं, जाट राजा सूरजमल, माधोजी सिंधिया का एक भव्य स्मारक बनवाया जाए तथा इस किले की विशाल भूमि और ऐतिहासिक वास्तुकला होने के कारण यहां पर्यटन का केंद्र स्थापित हो, इस निर्णय से युवा, आगामी पीढ़ी को हमारे गौरवशाली इतिहास से जुड़ने का प्रभावशाली माध्यम प्राप्त होगा, अलीगढ़ किला एक भव्य आकर्षण का केंद्र बन भारत में आए आक्रमणकारियों के प्रतिरोध में एक शक्ति बनेगा।




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