शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान फारसी साहित्य विषय पर आयोजित सम्मलेन का समापन| AMU News

Chanchal Varma
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अलीगढ मीडिया डिजिटल,अलीगढ| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फारसी विभाग के तत्वावधान में आयोजित ‘शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान निर्मित फारसी साहित्य’ विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हो गया| संगोष्ठी में विद्वानों और विशेषज्ञों ने कहा कि मुगल सम्राट शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान निर्मित भारतीय-फारसी साहित्य को अभी तक  विद्वानों का ध्यान नहीं प्राप्त हुआ है जो इसकी विशालता और महत्व के अनुरूप हो। उन्होंने निष्कर्ष निकला कि अंतःविषयक ज्ञान इन विद्वानों के प्रयासों को सुविधाजनक बनाएगा और इस प्रक्रिया में फारसी विद्वान मौजूदा साहित्यिक संग्रह को संपादित करके महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।


विद्वानों द्वारा विभिन्न विषयों पर व्यक्तिगत रूप से और साथ ही ऑनलाइन मोड में 40 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। समारोह के समापन सत्र में अध्यक्ष और समन्वयक प्रोफेसर राना खुर्शीद ने प्रतिनिधियों और आयोजन समिति के सदस्यों को धन्यवाद दिया। प्रो. इराक रजा जैदी ने बताया कि किस तरह दरबारी कवियों द्वारा लिखी गई फारसी कविताओं को बाद के तजकिरा नवीस (जीवनी के लेखक) द्वारा पुनरुत्पादित किया गया, जैसे कि मुमताज महल की मृत्यु और शाहजहाँ के दुःख, बुरहानपुर में ताप्ती नदी के पार जैनाबाद के बागों में उनके दफन के साथ-साथ सम्राट और उनके परिवार के जीवन की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं पर लिखी गई कविताएँ अदि।


मुगल फारसी साहित्यिक संस्कृति प्रारंभिक आधुनिक काल में एक अंतरक्षेत्रीय घटना थी जैसा कि डॉ. अमीना खातून (बंगाली भाषा में सहायक प्रोफेसर) द्वारा प्रस्तुत एक शोधपत्र में बताया गया है। प्रो. गुलाम अशरफ कादरी (गांधी फैज-ए-आम कॉलेज, शाहजहाँपुर) ने शहरीकरण में रईसों के योगदान जैसे कि रईस बहादुर खान चगता ने शाहजहाँपुर की स्थापना पर चर्चा की, जबकि सरफराज अहमद खान (मनु, लखनऊ) ने प्रसिद्ध दरबारी संरक्षक मुंशी चंद्रभान ब्राह्मण और उनके साहित्यिक कार्यों के साहित्यिक योगदान पर चर्चा की।


उमर कमालुद्दीन ने मुख्य रूप से दरबारी कवि कलीम काशानी द्वारा रचित स्थलाकृतिक कविताओं के आकर्षक अंश पढ़े, जो सबक-ए-हिंदी नामक भारतीय शैली के अग्रणी प्रतिपादकों में से एक थे। वक्ताओं में से, प्रोफेसर अखलाक अहान (जेएनयू) ने कहा कि मुगल राजकुमार मुहम्मद दारा शिकोह (1615-59) विशेष रूप से अपने छोटे जीवन के अंतिम कुछ वर्षों के दौरान अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने में एक जटिल और असाधारण अभ्यास के प्रमुख नायक थे।


एएमयू में अखिल भारतीय भाषा विज्ञान और लोककथा सम्मेलन 3 सितंबर को

अलीगढ मीडिया डिजिटल,अलीगढ|  अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषा विज्ञान विभाग द्वारा 3 सितंबर को ‘एनईपी-2020 के संबंध में बहुभाषी भारत में संस्कृतियों के बीच अनुवाद’ विषय पर 10वें अखिल भारतीय भाषा विज्ञान और लोककथा सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, ताकि इस बात पर विचार किया जा सके कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) ने किस प्रकार अनुवाद और सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र को नई ऊर्जा प्रदान की है।


विभागाध्यक्ष और सम्मेलन के निदेशक, प्रो. एमजे वारसी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का कार्यान्वयन भारत के शैक्षिक मूल्यों में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जो इसके विविध भाषाई वातावरण में अनुवाद की महत्वपूर्ण आवश्यकता को स्वीकार करता है।


उन्होंने कहा कि एएमयू की कुलपति प्रो. नईमा खातून उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करेंगी, जबकि श्री एस के बरनवाल, अतिरिक्त सचिव, उच्च शिक्षा, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार और विपिन कुमार, अतिरिक्त सचिव, स्कूल शिक्षा, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार अतिथि वक्ता होंगे। नीता शर्मा, संयुक्त सचिव (भाषा), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार समापन सत्र में मुख्य अतिथि होंगी।


मुख्य भाषण प्रख्यात विद्वान जेएनयू के प्रो. हरीश नारंग द्वारा दिया जाएगा, जबकि प्रमुख भाषाविद् और विशेषज्ञ जो व्याख्यान देंगे उनमें प्रो. आर सी शर्मा (दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. अभिनव के मिश्रा (बीएचयू), प्रो. जी के पणिक्कर (आईएसडीएल, तिरुवनंतपुरम), प्रो. एजाज मोहम्मद शेख (केयू), प्रो. भूपिंदर सिंह खैरा, (पटियाला), प्रो. प्रदीप के दास (जेएनयू), प्रो. राणा नायर, (पीयू), प्रो. एस के झा और प्रो. शांतनु घोष (एमिटी यूनिवर्सिटी) शामिल हैं।


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बेगम अजीजुन निसा हॉल में ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया

अलीगढ मीडिया डिजिटल,अलीगढ|रः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बेगम अजीजुन निसा हॉल में नव प्रवेशित छात्राओं के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में कंप्यूटर विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अरमान रसूल फरीदी ने छात्राओं को संबोधित किया।


प्रो. फरीदी ने अपने छात्र जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार विश्वविद्यालय की सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं ने छात्रों के व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने छात्राओं से शिक्षा के साथ-साथ आत्म-अनुशासन पर ध्यान देने का आग्रह किया, क्योंकि यह उनके जीवन की आधारशिला होगी और पेशेवर जीवन में उन्हें विशिष्ट स्थान प्राप्त करने में मदद करेगी।


हॉल की प्रोवोस्ट प्रोफेसर आसिया चैधरी ने व्यक्तित्व निर्माण और हॉल की छात्राओं में अच्छे गुणों के विकास में नियमित शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने छात्राओं से हॉल में रचनात्मक और शैक्षणिक माहौल बनाए रखने में मदद करने का आग्रह किया और कहा कि उन्हें अच्छा करियर बनाने के लिए हॉल में उपलब्ध सुविधाओं का सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन एमए अंतिम वर्ष की छात्रा बिनीश जुबिया ने किया और बाद में उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन भी किया।

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डा. ताबिश खान का रीढ़ की हड्डी की विकृति पर व्याख्यान

अलीगढ मीडिया डिजिटल,अलीगढ| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. ताबिश खान ने नई दिल्ली में आयोजित चैथे विश्व तंत्रिका विज्ञान शिखर सम्मेलन में एक सत्र की अध्यक्षता की और ‘रीढ़ की हड्डी की विकृति’ पर एक पेपर प्रस्तुत किया।


डॉ. खान ने रीढ़ की हड्डी की विकृति, विशेष रूप से स्कोलियोसिस के प्रबंधन में प्रारंभिक निदान और हस्तक्षेप के महत्व पर जोर दिया, जो अपनी जटिल प्रकृति के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करता है। उन्होंने उन्नत सर्जिकल तकनीकों और आधुनिक उपकरणों के उपयोग सहित विभिन्न प्रबंधन रणनीतियों पर चर्चा की, जिससे सुधार दर और इलाज के परिणामों में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने 60 से अधिक रीढ़ की हड्डी की विकृति सुधार सर्जरी करने में अपने अनुभव साझा किए और चुनौतीपूर्ण स्थितियों और उन्हें कम करने के तरीकों पर प्रकाश डाला।


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डॉ. अंबेडकर हॉल में ओरिएंटेशन-कम-इंडक्शन प्रोग्राम आयोजित

अलीगढ मीडिया डिजिटल,अलीगढ| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के डॉ. बी.आर. अंबेडकर हॉल में नव-प्रवेशित आवासीय छात्रों के लिए एक ‘ओरिएंटेशन-कम-इंडक्शन प्रोग्राम’ का आयोजन किया गया जिसमें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री निजाम पाशा मुख्य अतिथि थे।


उन्होंने लॉ स्कूल के अपने अनुभव साझा किए और सफलता के लिए आवश्यक कौशल पर चर्चा की। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों का उत्तर दिया और बाद में उनके करियर की तलाश में उन्हें हरसंभव सहायता की पेशकश की। मानद अतिथि, नजीब खान, संस्थापक, थ्योरी ऑफ एब्रोगेशन ने न्यायपालिका परीक्षाओं के विभिन्न चरणों पर प्रकाश डाला और छात्रों से इस प्रतिष्ठित परीक्षा की तैयारी करने और चुनौतियों से पार पाने के लिए उचित रणनीति बनाने का आग्रह किया।


एक अन्य मानद अतिथि, तलत जावेद, एक माइंड कोच, सामाजिक कार्यकर्ता और विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा, ने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने और इसे प्राप्त करने के लिए आवश्यक तैयारी करने की रणनीतियों को साझा किया।इससे पूर्व, हॉल के प्रोवोस्ट प्रोफेसर हशमत अली खान ने नए छात्रों का स्वागत किया और उन्हें हॉल प्रशासन की ओर से हरसंभव मदद और समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने छात्रों की आचार संहिता पर चर्चा की और उनसे विश्वविद्यालय की परंपराओं का पालन करने का आग्रह किया, जो विश्वविद्यालय की संस्कृति और देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच इसकी अनूठी पहचान की नींव हैं।


सीनियर हॉल, कैफ हसन ने हॉल और विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर चर्चा की और छात्रों से अपने समय का उपयोग अकादमिक उत्कृष्टता और अच्छे करियर के लिए सर्वोत्तम व्यक्तिगत कौशल प्राप्त करने के लिए करने का आग्रह किया। शान-ए-आलम ने कार्यक्रम का संचालन किया और मोहम्मद फराज ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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नूरस सबाह आलम के निधन पर शोक सभा का आयोजन

अलीगढ मीडिया डिजिटल,अलीगढ|अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के ग्रह विज्ञान विभाग की शिक्षिका और पोषण विषय की विशेषज्ञ नूरस सबाह आलम के दुखद निधन पर विभाग में एक शोक सभा आयोजित की गई। कृषि विज्ञान संकाय के डीन प्रो. अकरम ए. खान ने उन के लिए स्वर्ग में उच्च स्थान और उनके परिवार और दोस्तों के लिए सांत्वना की प्रार्थना की।


वरिष्ठतम शिक्षिका शिक्षकों में से एक, प्रो. फरजाना अलीम ने कहा कि आलम एक ज्ञानी शिक्षिका और एक अच्छी इंसान थीं। गृह विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ. सबा खान ने उनके निधन से होने वाली क्षति की भावना व्यक्त की और उनके परिवार के सदस्यों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आलम 1998 में एक शिक्षिका के रूप में विभाग में शामिल हुईं और बड़ी विशेषज्ञता के साथ पोषण का विषय पढ़ाया। वह फरवरी 2024 से बीमारियों से पीड़ित थीं और आखिरकार गत एक 1 सितंबर, 2024 की शाम को उन्होंने अंतिम सांस ली। शोक सभा में शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

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