अलीगढ़ मीडिया डिजिटल, अलीगढ| अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू), जो अपनी समृद्ध शैक्षणिक उत्कृष्टता की विरासत के लिए प्रसिद्ध है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी.-2020) को लागू करने में अग्रणी बनकर उभरा है। एएमयू. ने अपने शैक्षणिक और प्रशासनिक ढांचों को प्रगतिशील और रूपांतरकारी दृष्टिकोण अपनाकर पुनर्गठित किया है, जिससे यह देशभर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक मानक स्थापित कर रहा है। अपनी नेतृत्व भूमिका को और मजबूत करते हुए, एएमयू. को एनईपी 2020 के सफल कार्यान्वयन में पाँच क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों का मेंटर चुना गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि नीति का दृष्टिकोण उसके परिसर से परे भी प्रभावी रूप से साकार हो।
एनईपी 2020, जो भारत की शिक्षा प्रणाली को नया रूप देने के लिए तैयार किया गया है, बहुविषयक शिक्षा, कौशल विकास, समावेशिता और अनुसंधान-आधारित नवाचार पर जोर देता है। एएमयू द्वारा इन सिद्धांतों को सक्रिय रूप से अपनाना इसकी समावेशी, सुगम्य और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, साथ ही सतत विकास लक्ष्य 4 (एस.डी.जी.4) जैसे वैश्विक शैक्षिक उद्देश्यों के साथ भी संरेखित करता है, जो सभी के लिए समावेशी और न्यायसंगत शिक्षा को बढ़ावा देता है।
विश्वविद्यालय ने पारंपरिक विभागीय बाधाओं को समाप्त करते हुए एक बहुविषयक शैक्षणिक संरचना में सफलतापूर्वक बदलाव किया है, जिससे अंतर्विभागीय सहयोग को बढ़ावा मिला है। अंतःविषयक कार्यक्रमों की शुरुआत के साथ, छात्रों को व्यापक ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का अवसर मिल रहा है। लचीले पाठ्यक्रम, जिसमें बहु-प्रवेश और निकास बिंदु तथा एक मॉड्यूलर क्रेडिट-आधारित प्रणाली शामिल हैं, छात्रों को अपने करियर लक्ष्यों और आकांक्षाओं के अनुसार अपनी शिक्षा को अनुकूलित करने की अनुमति देते हैं।
एएमयू ने कौशल विकास पर भी विशेष ध्यान दिया है, जिससे उद्योग-संबंधित पाठ्यक्रमों और इंटर्नशिप के अवसरों को इसके शैक्षणिक ढांचे में सहज रूप से एकीकृत किया गया है। इन पहलों से यह सुनिश्चित होता है कि छात्र व्यावहारिक कौशल के साथ स्नातक हों, जो उन्हें तेजी से प्रतिस्पर्धी वैश्विक नौकरी बाजार में सफल होने में सक्षम बनाए।
शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए, एएमयू ने अपने अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाया है, जिससे प्रभावी अध्ययन के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया है। शिक्षक और छात्र महत्वपूर्ण सामाजिक चुनौतियों को हल करने वाली शोध परियोजनाओं में संलग्न होते हैं, जो नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के एनईपी 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।
डिजिटल परिवर्तन भी एएमयू . के एनईपी 2020 कार्यान्वयन का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। विश्वविद्यालय ने शिक्षण, अधिगम और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाया है। संकाय विकास कार्यक्रमों और कार्यशालाओं ने यह सुनिश्चित किया है कि शिक्षक डिजिटल युग में नवीन और प्रभावी शिक्षण पद्धतियों को अपनाने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित हों।
इस वर्ष, एएमयू कुछ एफवाईयूपी घटकों में अकादमिक क्रेडिट ट्रांसफर की शुरुआत कर रहा है। एएमयू . शिक्षकों को एस.डब्ल्यू.ए.वाई.ए.एम. प्लेटफॉर्म के माध्यम से वी.ओ.सी.वी.ए.सी चयनात्मक पाठ्यक्रम विकसित करने और प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करने की पहल की है। इस संबंध में, सूचना प्रौद्योगिकी के मूल सिद्धांत नामक 2-क्रेडिट वीओसी. पाठ्यक्रम जनवरी-2025 सत्र में द्वितीय सेमेस्टर के सभी यूजी छात्रों (लगभग 3000 छात्र) के लिए एसडब्ल्यूएवाईएएम प्लेटफॉर्म के माध्यम से पेश किया जा रहा है, जबकि वीओसीवीएसी. श्रेणी के तहत पर्यावरण के मूल सिद्धांत और पर्यावरण अध्ययन जैसे कुछ पाठ्यक्रम आगामी सेमेस्टर में प्रस्तुत किए जाएंगे। इन पाठ्यक्रमों के क्रेडिट छात्रों के खातों में स्थानांतरित किए जाएंगे।
शिक्षा मंत्रालय ने एएमयू. को क्षेत्र में पांच विश्वविद्यालयों के एनईपी 2020 की निगरानी और आउटरीच के लिए मेंटर का प्रतिष्ठित दर्जा सौंपा है। ये विश्वविद्यालय राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा, डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा, चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ और पं. दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय मथुरा हैं।
प्रो. नईमा खातून कुलपति ने कहा है कि एएमयू., अपनी समृद्ध शैक्षणिक विरासत के साथ, शैक्षिक नवाचार में अग्रणी है। एनईपी 2020 हमें अकादमिक और अनुसंधान को भविष्य-तैयार शिक्षा के लिए पुनःआकार देने का अवसर प्रदान करता है। पांच क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों को मेंटर करना गुणवत्ता, समावेशिता और राष्ट्रीय प्रगति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। हम इस परिवर्तनकारी दृष्टि के अनुरूप ज्ञान, कौशल और सामाजिक विकास को पोषित करने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने आगे कहा, एन.ई.पी 2020 की 25 प्रमुख थीमों द्वारा निर्देशित, एएमयू . ने समग्र और बहुविषयक शिक्षा, कला और संस्कृति के एकीकरण, व्यावसायिक प्रशिक्षण, डिजिटल अधिगम, अनुसंधान और भारतीय ज्ञान प्रणालियों को बढ़ावा देने को प्राथमिकता दी है। यह संतुलित दृष्टिकोण विश्वविद्यालय की सतत शैक्षणिक विकास और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जैसे-जैसे भारत वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूप में खुद को स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, एनईपी 2020 को लागू करने में एएमयू की नेतृत्वकारी भूमिका उच्च शिक्षा संस्थानों के राष्ट्र-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। विश्वविद्यालय के सक्रिय प्रयास यह दर्शाते हैं कि शिक्षा कैसे व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित कर सकती है।
----------------------
शार्ट इवनिंग कोर्सेज़ क्लब द्वारा तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
अलीगढ़, 4 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक शिक्षा केंद्र (सीईसी) के शॉर्ट ईविनिंग कोर्सेस क्लब (सीएसईसी) द्वारा तीन दिवसीय कम्यूनी क्राफ्ट कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों के कार्यक्रम प्रबंधन, प्रस्तुति, और सार्वजनिक स्थानों पर बोलने के कौशल को बेहतर बनाना था।
पहले दिन की शुरुआत “कार्यक्रम का संचालन कैसे करें” विषय पर एक सत्र से हुई, जिसमें मुख्य अतिथि प्रॉक्टर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम अली ने छात्रों को इवेंट मैनेजमेंट में प्रशिक्षण देने के महत्व पर जोर दिया और एएमयू के आवासीय हालों में इसी प्रकार की कार्यशालाओं के विस्तार का सुझाव दिया। सीएसईसी के अध्यक्ष और प्रमुख रिसोर्स पर्सन डॉ. अहमद मुज्तबा सिद्दीकी ने कार्यक्रम प्रबंधन के लिए एक संरचित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया और “मिनट-टू-मिनट प्रोग्राम” बनाने के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने एंकरिंग के महत्वपूर्ण बिंदुओं जैसे शारीरिक मुद्रा, शब्दावली, और अनुकूलनशीलता पर भी चर्चा की। सांस्कृतिक शिक्षा केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर मोहम्मद नवेद खान ने इस पहल की सराहना की और इसके छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव के बारे में बताया।
दूसरे दिन, डॉ. मोहम्मद साईम खान, वाणिज्य विभाग के सहायक प्रोफेसर ने “प्रस्तुति कौशल बूटकैम्प” का संचालन किया। इस सत्र में श्रोता विश्लेषण, आवाज में उतार-चढ़ाव, और संरचित सामग्री प्रस्तुति पर चर्चा की गई प्रतिभागियों को आत्मविश्वास बनाने और श्रोताओं को प्रभावी ढंग से अकृष्ट करने की तकनीकें सिखाई गईं।
तीसरे दिन, अंतिम सत्र “सार्वजनिक बोलने की कार्यशाला” प्रोफेसर मोहम्मद मोहीबुल हक, डीएलसी सीईसी के मेंटर द्वारा आयोजित किया गया। उन्होंने सार्वजनिक बोलने के महत्वपूर्ण तत्वों जैसे आत्मविश्वास, शारीरिक भाषा और श्रोताओं से जुड़ाव के बारे में गहरी जानकारी दी गई।
सीएसईसी के सचिव मोहम्मद अब्दुल ने कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और वरिष्ठ क्लब सदस्य उफी आलम ने सत्रों का संचालन किया
---------------------
जराहत विभाग में यूनानी चिकित्सा अधिकारियों के लिए सीएमई संपन्न
अलीगढ़, 4 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के जराहत विभाग द्वारा भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सहयोग से यूनानी चिकित्सा अधिकारियों के लिए आयोजित चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम का समापन हो गया।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज, पूर्व कुलपति ने सीएमई कार्यक्रमों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संबंधित प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने जराहत विभाग और अजमल खान तिब्बिया कॉलेज में उपलब्ध अत्याधुनिक सुविधाओं का भी उल्लेख किया, जो एएमयू के अन्य संस्थानों जैसे जेएन मेडिकल कॉलेज, डॉ. जियाउद्दीन अहमद डेंटल कॉलेज और अंतःविभागीय अनुसंधान केंद्रों के साथ सहयोग से संभव हुईं। उन्होंने छात्रों और बाहरी विशेषज्ञों के प्रशिक्षण के लिए इन उन्नत संसाधनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. असफर अली खान, ओएसडी और स्कूल शिक्षा निदेशय के निदेशक ने कहा कि चिकित्सा अधिकारियों के लिए ज्ञान और प्रथाओं में निरंतर सुधार आवश्यक है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रतिभागी कार्यक्रम से प्राप्त नई जानकारी को अपनी चिकित्सा प्रैक्टिस में अपनाएंगे जिससे समाज को लाभ मिलेगा।
मानद अतिथि प्रोफेसर डॉ. वसीम अहमद, राज्य यूनानी मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज के प्राचार्य और चिकित्सा अधीक्षक ने सीएमई के लिए विशेषज्ञों के चयन की सराहना की। उन्होंने आयुष मंत्रालय की ओर से ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को भी सराहा।
आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर तफसीर अली ने एएमयू के कुलपति प्रोफेसर डॉ. नईमा खातून और पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद गुलरेज का धन्यवाद किया, जिनके सहयोग के चलते अनुसंधान और शैक्षिक उत्कृष्टता को बढ़ावा मिला। उन्होंने मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. असफर अली खान को भी आयोजकों और प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद भी दिया।
प्रो. अली ने एएमयू के पूर्व छात्र प्रोफेसर डॉ. वसीम अहमद को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आयुष में विभिन्न भूमिकाओं में उनके निरंतर सहयोग विशेष रूप से प्रोफेसर डॉ. नजर अब्बास, विभागाध्यक्ष, मोलिजात विभाग, जयपुर, राजस्थान का धन्यवाद किया गया, जिन्होंने जाराहत विभाग में उन्नत एंडोस्कोपी केंद्र की स्थापना में योगदान दिया।
आयोजन सचिवों डॉ. राबिया रियाज और डॉ. हफीज हमजा बिलाल ने कार्यक्रम का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया। डॉ. मोहम्मद तारिक ने बताया कि छह दिवसीय कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों द्वारा 24 व्याख्यान और 24 व्यावहारिक प्रदर्शन आयोजित किए गए।
ा्रविभिन्न राज्यों के छह प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिक्रिया साझा की। समापन सत्र डॉ. सीमीं उस्मानी के भाषण के साथ समाप्त हुआ।
-----------------
एएमयू की हैरिटेज सेल द्वारा सांस्कृतिक धरोहर पर कौशल विकास कार्यक्रम संपन्न
अलीगढ़, 4 फरवरीः एएमयू की हैरिटेज सेल द्वारा सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन इस्लामिक आर्किटेक्चर और मुईनउद्दीन अहमद आर्ट गैलरी के सहयोग से आयोजित सप्ताह भर का कौशल विकास कार्यक्रम, जो सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित था, हाल ही में सफलता पूर्वक संपन्न हो गया।
इस कार्यक्रम में 73 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें डिप्लोमा इंजीनियरिंग, अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट छात्र, शोधार्थी और चिकित्सा, यूनानी अध्ययन, वास्तुकला, ललित कला, वाणिज्य, योजना, पॉलिटेक्निक और मनोविज्ञान जैसे विभिन्न विषयों के शिक्षक भी शामिल थे।
पाँच दिन के प्रशिक्षण के दौरान, प्रतिभागियों ने धरोहर भवनों की दीवार चित्रकला, अंग्रेजी और अरबी कैलिग्राफी, बटर पेपर पर कलिग्राफी की ट्रेसिंग, स्केचिंग और फोटोग्राफी में अपने कौशल को निखारा। विशेषज्ञों ने व्यावहारिक सत्रों का संचालन किया, जिनमें डॉ. मोहम्मद इफ्तेखार आलम, जो पाँच देशों में प्रदर्शित दीवार चित्रकला के लिए प्रसिद्ध हैं, बाबर अली खान, दिल्ली स्थित फोटोग्राफर जो धरोहर फोटोग्राफी में एक दशक से अधिक का अनुभव रखते हैं, और आदिल करीम, एएमयू के इन-हाउस कलिग्राफी विशेषज्ञ शामिल थे।
हैरिटेज सेल के संयोजक प्रो. मोहम्मद फरहान फाजली ने प्रतिभागियों की प्रतिबद्धता की सराहना की। डॉ. मोहम्मद खालिद हसन, समन्वयक और डॉ. एस.एम. नोमान तारिक, आयोजन सचिव ने उन्हें अपने कौशल को और अधिक निखारने और उपयोग करने के लिए प्रेरित किया।
प्रो. फाजली ने यह भी घोषणा की कि प्रतिभागियों के कला की प्रदर्शनी मुईनउद्दीन अहमद आर्ट गैलरी में आयोजित की जाएगी, जहां उन्हें एएमयू के कुलपति द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
------------------
प्रोफेसर उबैदुल्लाह खान ईसी सदस्य नियुक्त
अलीगढ़, 4 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूनानी चिकित्सा संकाय के डीन, प्रोफेसर उबैदुल्लाह खान, को आगामी तीन वर्षों के लिए या अगले आदेश तक, या जब तक वह संबंधित संकाय के डीन के पद पर बने रहेंगे, कार्यकारी परिषद (ईसी) का सदस्य घोषित किया गया है।
---------------------
डा. नायला राशिद कोर्ट सदस्य नियुक्त
अलीगढ़, 4 फरवरीः डॉ. नायला राशिद, प्रधानाचार्य, एएमयू अहमदी स्कूल फॉर द विज्युअली चैलेंज्ड, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को स्कूलों के प्रधानाचार्यों में वरिष्ठता के आधार पर एएमयू कोर्ट का सदस्य घोषित किया गया है। डा नायला का कार्यकाल तीन वर्ष या जब तक वह प्रधानाचार्य के पद पर बनी रहेंगी होगा।
-----------------------
एसटीएस स्कूल द्वारा पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित
अलीगढ़, 4 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एसटीएस स्कूल में अंतर-विद्यालय खेल प्रतियोगिता के विजयी छात्रों के लिए पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजित किया गया, जिसमें युवा खिलाड़ियों की विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट उपलब्धियों पर पुरूस्कृत किया गया।
एसटीएस के आदित्य सिंह और वंश कुमार शर्मा ने अंतर-विद्यालय टेबल टेनिस प्रतियोगिता में सिंगल और डबल दोनों श्रेणियों में विजय प्राप्त की। उजैफ जाहिर और लक्षय ने अंतर-विद्यालय बैडमिंटन प्रतियोगिता में विजेता का खिताब जीता। एसटीएस स्कूल की टीम ने सैयद हामिद सीनियर सेकेंडरी स्कूल (बवले) में आयोजित अंतर-विद्यालय फुटबॉल और वॉलीबॉल प्रतियोगिताओं में उपविजेता का स्थान प्राप्त किया।
जीशान ने शॉट पुट में गोल्ड जीता, यासिर वसीम खान ने जेवलिन थ्रो में सिल्वर, जबकि उजैफ जाहिर ने 100 मीटर दौड़ में सिल्वर और लॉन्ग जंप में ब्रॉन्ज पदक जीता। विद्यालय ने जिला स्तरीय वॉलीबॉल प्रतियोगिता में चैंपियन का खिताब जीता, जिसमें मोहम्मद साजिद को प्रतिष्ठित टूर्नामेंट प्लेयर का पुरस्कार मिला।
गणतंत्र दिवस उत्सव के हिस्से के रूप में, एसटीएस स्कूल ने अपनी प्रभावशाली धारा को जारी रखते हुए, अंतर-विद्यालय फुटबॉल और वॉलीबॉल प्रतियोगिताओं में उपविजेता का स्थान हासिल किया। राष्ट्रीय स्तर पर एसटीएस स्कूल का प्रतिनिधित्व करते हुए, अबुजर जाकिर, अल्ताफ, और कुँवर मुनीर अली खान ने रोलर हॉकी में भाग लिया। कुँवर मुनिर अली खान ने राज्य मैचों में 25 से अधिक गोल किए और यूपी राज्य टीम की कप्तानी की। इसके अतिरिक्त, आदित्य सिंह को राज्य स्तर पर टेबल टेनिस में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरूस्कृत किया गया।
एसटीएस स्कूल के प्रधानाचार्य फैसल नफीस ने विजेताओं और प्रतिभागियों को बधाई दी और खेलों की भूमिका को चरित्र निर्माण, टीमवर्क, और अनुशासन में महत्वपूर्ण बताया। युवा खिलाड़ियों की सफलता को खेल शिक्षक मोहम्मद अदनान खान, मोहम्मद असिम, और डॉ. जीशान हैदर की समर्पण और मार्गदर्शन का श्रेय दिया गया।
कार्यक्रम के आयोजन में नसरीन फातिमा और फरहान हबीब का सहयोग रहा।
---------------------
एएमयू के इतिहास विभाग ने मध्य एशिया और भारत की विरासत पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
अलीगढ़, 4 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के उन्नत अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित “मध्य एशिया और भारत की विरासत वैश्विक परिप्रेक्ष्य में इतिहास, राजनीति, समाज और संस्कृति” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न संस्थानों के प्रख्यात विद्वानों, इतिहासकारों और शिक्षाविदों ने मध्य एशिया और भारत के बीच गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों पर चर्चा की।
इतिहास विभाग के सीएएस के अध्यक्ष और समन्वयक प्रोफेसर हसन इमाम ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने मध्य एशिया और भारत के बीच शुरुआती अंतःक्रियाओं का ऐतिहासिक अवलोकन प्रदान किया। उन्होंने सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान के माध्यम के रूप में सिल्क रूट के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि भारतीय संस्कृति पूर्वी और पश्चिमी प्रभावों का संश्लेषण है।
सम्मेलन के संयोजक प्रोफेसर एम. वसीम राजा ने संगोष्ठी के केंद्रीय विषय का परिचय देते हुए बताया कि मंगोल और तैमूर आदर्शों का अध्ययन किए बिना मुगल राजत्व के सिद्धांत को समझा नहीं जा सकता। समकालीन समय को देखते हुए, उन्होंने मध्य और दक्षिण एशिया के बीच ऐतिहासिक और आधुनिक संबंधों को जोड़ने के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
एएमयू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने कहा कि समकालीन भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह सम्मेलन अत्यधिक प्रासंगिक है। प्रोफेसर गुलरेज ने आधुनिक पश्चिम एशिया और मध्य एशिया के बीच संबंधों को रेखांकित किया, इस क्षेत्र में अमेरिका, रूस, तुर्की, चीन और भारत जैसी वैश्विक शक्तियों की बढ़ती भागीदारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने जीवाश्म ईंधन, यूरेनियम और खनिजों के लिए मध्य एशियाई देशों पर भारत की निर्भरता के बारे में बात की। उन्होंने चीन की वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) नीति पर चर्चा करते हुए ऐतिहासिक “ग्रेट गेम” और इसकी आधुनिक अभिव्यक्ति, “न्यू ग्रेट गेम” के बारे में जानकारी दी।
प्रो. गुलरेज ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के साथ भारत के संबंध के महत्व पर भी प्रकाश डाला। मध्य एशिया में भारत की उपस्थिति को मजबूत करने में इसके रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया गया।
कश्मीर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त विद्वान प्रोफेसर मुश्ताक काव ने मुख्य भाषण दिया। उन्होंने अलीगढ़ में अपने बिताये समय को याद करते हुए मध्य एशिया की विरासत के विभिन्न आयामों को शामिल किया। जिसमें इसकी जातीय रूप से विविध जनजातियाँ और राजवंश शामिल हैं। प्रो. काव ने इस बात पर जोर दिया कि मध्य एशिया ने ऐतिहासिक रूप से बहाउद्दीन नक्शबंदी, अल-फराबी, इब्न सिना, बाबर और तैमूर जैसी प्रमुख हस्तियों को जन्म दिया है।
उन्होंने इस क्षेत्र को चीन और रोम को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण व्यापार गलियारा बताया, जो वैश्विक वाणिज्य में इसकी ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित करता है। समकालीन मुद्दों पर बोलते हुए उन्होंने पाँच मध्य एशियाई गणराज्यों- कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा की, साथ ही उनकी स्थानीय संस्कृतियों और सुन्नी इस्लाम के बीच जटिल संबंधों पर भी बात की।
उन्होंने चाबहार बंदरगाह के महत्व और आर्थिक और सांस्कृतिक कूटनीति के लिए सिल्क रूट को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने भू-राजनीतिक, भू-आर्थिक और भू-रणनीतिक चुनौतियों के कारण मध्य एशियाई गणराज्यों के सामने आने वाले सुरक्षा खतरों की ओर भी इशारा किया। उन्होंने पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए भारत के लिए मध्य एशिया के साथ सीधा संपर्क स्थापित करने के वैकल्पिक मार्गों का सुझाव दिया।
सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर शाफे किदवई ने भविष्य को आकार देने में इतिहास की प्रासंगिकता पर एक विचारोत्तेजक परिप्रेक्ष्य प्रदान किया। बहुसंस्कृतिवाद और बहुभाषिकता पर जोर देते हुए उन्होंने महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए कहा कि संस्कृति लोगों के दिल और आत्मा में बसती है। प्रो. किदवई ने जोर देकर कहा कि संस्कृति को दूसरों को कमजोर करने के साधन के रूप में नहीं बल्कि समावेशिता और समझ को बढ़ावा देने के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इतिहास विभाग के सीएएस की डॉ. सना अजीज ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
-----------------------------
विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर जेएन मेडिकल कालिज में कार्यक्रम
अलीगढ़, 4 फरवरीः मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग द्वारा यूपीएआरओआई सोसाइटी के तत्वावधान में कैंसर से जंग जीतने वाले लोगों के लिए कार्यक्रम कैंसर सर्वाइवर्स मीट का आयोजन किया गया। जिसमें कैंसर यौद्धाओं और चिकित्सकों ने अपने विचार साझा किये।
कैंसर सर्वाइवर्स मीट में प्रोफेसर मोहम्मद हबीब रजा, डीन फैकल्टी आफ मेडिसिन, प्रिंसिपल और सीएमएस, जेएनएमसी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने समाज को उत्साहजनक संदेश देते हुए कहा कि कठिनाइयाँ, चुनौतियाँ, बीमारियाँ और दुर्घटनाएँ जीवन का एक हिस्सा हैं, हमें उनका सामना करने के लिए चट्टान की तरह दृढ़ रहना चाहिए।
प्रोफेसर अमजद अली रिजवी, चिकित्सा अधीक्षक ने प्रतिभागियों और आयोजन विभाग को इस तरह के एक अनूठे कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई दी।
प्रोफेसर मोहम्मद अकरम विभागाध्यक्ष एवं आयोजन अध्यक्ष ने अतिथि और प्रतिभागियों का स्वागत किया और कैंसर से बचे लोगों के साथ एकजुट होने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कैंसर से बचे लोगों के साथ बैठक आयोजित की, जिन्होंने अपने उपचार की कहानियाँ साझा कीं और बताया कि कैसे उन्होंने अपने परिवारों के साथ अपने अनूठे तरीके से कैंसर से लड़ाई लड़ी।
आयोजन विभाग के सदस्यों ने एक कतार बनाई और दिखाया कि वे हर अनोखे मरीज के साथ एकजुट हैं। यह बैठक बहुत भावुक हो गई क्योंकि दर्शकों को आँसू बहाते देखा गया। सभी बचे लोगों और उनके देखभाल करने वालों को डीन फैकल्टी आॅफ मेडिसिन और एमएस, जेएनएमसी द्वारा सम्मानित किया गया। डॉ. मोहम्मद शादाब आलम ने आयोजित सभी कार्यक्रमों की रिपोर्ट पढ़ी। उन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी प्रतिभागियों और आयोजन टीम को बधाई दी और उनकी सराहना की। समापन सत्र में, सभी प्रतिभागियों को डीन ऑफ मेडिसिन और एमएस, जेएनएमसी और आयोजन अध्यक्ष द्वारा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। डॉ. बिलाल हुसैन ने धन्यवाद दिया।
इस कार्यक्रम में डॉ. शादाब आलम, असिस्टेंट प्रोफेसर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग की देखरेख में कैंसर क्विज जैसी कैंसर जागरूकता प्रतियोगिताएं शामिल थीं। डॉ. मोहसिन खान, असिस्टेंट प्रोफेसर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग की देखरेख में पोस्टर मेकिंग, स्लोगन मेकिंग, रील मेकिंग, इमेज रीइमेजिनेशन, कैंसर रिबन रीइमेजिन का आयोजन किया गया। सभी प्रतियोगिताओं में एएमयू के विभिन्न संकायों और स्कूलों के लगभग 120 प्रतिभागी शामिल हुए।
------------------------
एएमयू में गणित विभाग द्वारा ‘फिक्स्ड प्वाइंट प्रॉब्लम’ पर पांच दिवसीय ज्ञान कोर्स प्रारंभ
अलीगढ़, 4 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के गणित विभाग द्वारा ‘फिक्स्ड प्वाइंट प्रॉब्लमः द ओल्ड एंड द न्यू’ शीर्षक से पांच दिवसीय वैश्विक शैक्षिक नेटवर्क (ज्ञान) कोर्स की शुरुआत मंगलवार को एक उद्घाटन समारोह के साथ हुई।
कोर्स की मुख्य संरक्षक, कुलपति प्रो. नईमा खातून ने विभाग को अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग्स में उच्च रैंक प्राप्त करने के लिए बधाई दी, जिनसे कुछ प्रसिद्ध हस्तियां जुड़ी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि गणित को कभी-कभी सभी शास्त्रों की जननी कहा जाता है और इसके कई अन्य शास्त्रों और क्षेत्रों में आवेदन के बारे में सभी को पता है। मुझे उम्मीद है कि यह पांच दिवसीय ज्ञान कोर्स विभाग की धरोहर को और समृद्ध करेगा।
कुलपति ने छात्रों और प्रतिभागियों से कोर्स का अधिकतम लाभ उठाने और सभी व्याख्यानों में भाग लेने का आग्रह किया।
प्रो. शाहिद अली, गणित विभाग के अध्यक्ष ने सम्मानित मेहमानों, शिक्षकों और प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए विभाग के समृद्ध इतिहास का उल्लेख किया, जो 1877 में मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल (एमएओ) कॉलेज की स्थापना से जुड़ा हुआ है। उन्होंने विभाग में किए जा रहे अनुसंधान कार्यों के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि यह विभाग भारतीय विश्वविद्यालयों में कई बार नंबर एक रैंक हासिल कर चुका है, और सेमिनार पुस्तकालय विभाग का गर्व है, जिसमें 22,000 से अधिक उच्च गणित की किताबें और प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाएं हैं।
मानद् अतिथि, प्रो. मोहम्मद इमदाद ने युवा शोधकर्ताओं से अपने क्षेत्र में दिग्गज बनने की प्रेरणा दी, और कुछ प्रमुख हस्तियों जैसे कि सर जिया उद्दीन अहमद, असरारुल हक मजाज, और प्रो. इफरान हबीब का उल्ले