खनन विभाग, हरदुआगंज पुलिस और स्थानीय लेखपालों की मेहरबानी, JCB मशीनों से अवैध मिटटी खनन का जारी ...देखिये Video

Chanchal Varma
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अलीगढ मीडिया डॉट कॉम, हरदुआगंज| अलीगढ़ जनपद का हरदुआगंज इलाका मिटटी खनन माफियाओ के लिए सेफ जॉन बन गया है| खनन विभाग और स्थानीय लेखपालों  की सेटिंग से मिटटी माफिया हरदुआगंज थाना पुलिस को मोटी महिनेदारी देकर धड़ल्ले से मिट्टी खनन का कारोबार कर रहे है| पैसे की चमक के आगे जिम्मेदार जिला प्रशासन भी मूकदर्शक बना हुआ है| आलम यह है कि हरदुआगंज थाना इलाके की तालानगरी चौकी के गांव जारोठी में बिना परमीशन के ही नियमविरुद्ध उपजाऊ कृषि भूभाग से धड्ड्ले से मिटटी खनन कर रहे है| मिटटी खनन में न सिर्फ उत्तर प्रदेश उपखनिज परिहार नियमावली २०२१ के नियम ३ में नियम 58 अनुसार अवैध मिटटी खनन करने के आरोपी को पांच साल की कैद पांच लाख रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों तक की सजा का प्राविधान है लेकिन खनन विभाग और जिला प्रशासन ने इन मिटटी माफियाओ की जड़ें इतनी मजबूत है कि एक भी मामले में किसी को आज तक सजा नहीं सुनाई गयी है| 


....नियम तोड़ते है मिटटी माफिया किसान रहते है बेखबर 

जानकारी के मुताविक हरदुआगंज कसबे से सटे गांव जारोठी भीमगढ़ी में जटपुरा के किसान मेहताब सिंह का खेत है| इस खेत से कुछ वर्ग घनमीटर मिटटी उठाने की अनुमति उत्तर प्रदेश उपखनिज परिहार नियमावली २०२१ के प्राविधानों के तहत मिटटी माफ़िया ने अपने नाम पर जारी कराई है| किसान को इस बाबत ५० हजार रुपये से ६० हजार रुपये प्रति बीघा यानी करीब ७ से आठ लाख रुपये प्रति हेक्टेयर रुपये मिटटी माफिया देते है| जबकि नियमानुसार मिटटी को बेचा नहीं जा सकता लेकिन जानकारी के अभाब में किसान मिटटी को बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधरता है| किसान की इसी मजबूरी का यह मिटटी माफिया गिरह फायदा उठता है और नियम विरुद्ध तरीके से खेत से मिटटी का खनन करता है| और बाद में जिला प्रशासन जानते हुए भी कार्रवाई के नाम पर किसान के खिलाफ ही नोटिस भेजते है| अवैध मिट्टी खनन का कारोबार जमकर हो रहा है लेकिन स्थानी पुलिस अनभिज्ञ है। सड़कों पर रेतीली धूल उड़ रही है और लोग अपनी आंखें मलते हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन मिट्टी खनन पर कोई भी अंकुश प्रशासन द्वारा नहीं लगाया जा सका है।


...हरदुआगंज के भीमगढ़ी जारोठी में कोल्ड स्टोर के पीछे हो रहा है जेसीबी मशीनों से खनन 

हरदुआगंज पुलिस और स्थानीय लेखपालों की मिलीभगत से मिट्टी का खनन रात दिन चल रहा है, मिटटी खनन माफिया खनन विभाग और एसडीएम कोल के दफ्तर में अच्छी सांठगाठ रखते है| जिसके चलते खुलेआम जीसीबी मशीनों से मिटटी खुदाई होती है और डम्परों में भरकर मिटटी शहर में भेजी जा रही है| नियमानुसार जेसीबी मशीन से खुदाई वर्जित है और मिटटी ले जाने में जिन वाहनों का प्रयोग होगा उनकी भी उत्तर प्रदेश उपखनिज परिहार नियमावली २०२१ के तहत अनुमति जिला अधिकारी जारी करते है लेकिन सह सब घूसखोरी से आने बेकार है| ताज़ा तस्वीरें भीमगढ़ी जारोठी में कोल्ड स्टोर के पीछे जटपुरा के किसान मेहताब सिंह के खेत से सामने आ रही है| जिसमे बड़े पैमाने पर अवैध खनन जारी है|




...विभाग की मिलीभगत से रॉयल्टी की चोरी 

सड़क पर मिट्टी गिर जाती है वही मिट्टी की धूल उड़कर लोगों को परेशान कर रही है। जिससे लोग अपने आंखें मलते रहते हैं। अब सवाल यह है कि अवैध खनन किसकी अनुमति से चल रहा है जबकि किसान के लिए बुग्गी से अपने प्लाट भराव हेतु सरकार द्वारा छूट दी गई है, लेकिन यहां तो जेसीबी के माध्यम से 3 से 4 ट्रैक्टर द्वारा मिट्टी दुलाई की जा रही है। इस ओर से स्थानीय पुलिस ने भी चुप्पी साध रखी है। प्रशासन के लाख दावों के बाद भी जिले में खेतों से अवैध मिट्टी खनन जारी है। जेसीबी व मिट्टी काटने वाली मशीन लगाकर खेतों से धड़ल्ले से मिट्टी खनन किया जा रहा है। खनन के बाद ट्रैक्टर ट्राॅलियों में भरकर मुख्य मार्गों से मिट्टी गंतव्य तक पहुंचाई जा रही है। जिम्मेदार तमाशबीन बने हुए है। इसमें अधिकतर मिट्टी कारोबारी के पास जा रही है। कारोबारी विभाग की मिलीभगत से रॉयल्टी की चोरी करते हैं।




...मुख्यमंत्री का आदेेश भी अफसरों ने अनसुना कर दिया

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद भी अफसर सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिससे अवैध खनन का धंधा खूब फल-फूल रहा है। पुलिस व खनन अधिकारियों से साठगांठ कर माफिया मिट्टी का खनन दिन-रात कर रहे हैं। यही नहीं, नदी व नालों से निकाले गए सफेद सोने को सरकारी जमीन पर डंप किया जा रहा है। जिस पर अफसर कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साधे हुए हैं। 24 मार्च को मुख्यमंत्री ने जिले के अफसरों को अवैध बालू खनन रोकने के निर्देश दिए थे। जिसे अफसरों ने अनसुना कर दिया।


...रॉयल्टी की होती है चोरी, बंटता है हिस्सा

नियमों के मुताबिक, परमिट देते समय ही यह तय किया जाता है कि किस जगह पर कितनी गहराई तक खनन कराया जा सकता है। अगर किसी जगह पर चार फीट खनन का परमिट है, तो वहां 20 फीट खनन कर दिया जाता है। यानी 16 फीट मिट्टी ज्यादा निकाली जाती है और सरकारी खजाने में इसकी रायल्टी जमा नहीं होती है। जब भी शिकायत पर जांच होती है, उसे साठगांठ से दबा दी जाती है। बचने के लिए तर्क दिया जाता है कि उस जगह पर पहले से 16 फीट गड्ढा था, इस वजह से 20 फीट गहरा हो गया। यानी झूठे तर्क से नियम-कानून को खारिज कर अवैध खनन का खेल जारी रखा जाता है।


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...सिस्टम से जुड़ा है पूरा गिरोह

खनन विभाग के एक कर्मचारी ने नाम नहीं लेने के शर्त पर बताया कि इस तरह के अवैध खनन के खेल में सबसे अहम भूमिका खनन विभाग की होती है। विभाग की अनुमति के बिना यह संभव है नहीं। इसके लिए बाकायदा सरकारी सिस्टम से जुड़ा एक गिरोह काम करता है। विभाग का एक बाबू तय करता है कि कैसे और किसे परमिशन देनी है। इसके अलावा एक आदमी को परमिशन मिलते ही उसकी आड़ में तीन अन्य लोग जेसीबी से खनन कैसे करेंगे, यह भी वही तय करता है। फिर, संबंधित विभागों को साधा जाता है। कहीं भी अवैध खनन नहीं हो रहा है। सभी जगहों पर खनन करने वाले लोगों ने परमिट ले रखा है। बिना राॅयल्टी जमा कराए ईंट भट्ठा वाले मिट़टी की खुदाई करते है, ऐसी शिकायतें आई हैं, उनकी जांच कराई जा रही है। कामर्शियल कामों के लिए अनुमति की जरूरत होती। ईंट भट्ठे के लिए परमिशन अनिवार्य रहती है। इसमें भी मानक से अधिक गहराई की खुदाई होती है तो किसान को तत्काल शिकायत करनी चाहिए है। कुम्हार को गिला मिट्टी तालाब से लेकर आते है उनके लिए कोई परमिशन की आवश्यकता नहीं होती है।


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